सन्त योहन के अनुसार सुसमाचार
16: 20-23
20) मैं तुम लोगों से यह कहता हूँ "तुम रोओगे और विलाप करोगे, परन्तु संसार आनंद मनायेगा। तुम शोक करोगे किन्तु तुम्हारा शोक आनन्द बन जायेगा।
सन्त योहन के अनुसार सुसमाचार
16: 20-23
20) मैं तुम लोगों से यह कहता हूँ "तुम रोओगे और विलाप करोगे, परन्तु संसार आनंद मनायेगा। तुम शोक करोगे किन्तु तुम्हारा शोक आनन्द बन जायेगा।
सन्त योहन के अनुसार सुसमाचार
16: 16-20
16) थोडे ही समय बाद तुम लोग मुझे नहीं देखोगे और फिर थोडे ही समय बाद मुझे देखोगे।
सन्त योहन के अनुसार सुसमाचार
16: 12-15
12) मुझे तुम लोगों से और बहुत कुछ कहना है परन्तु अभी तुम वह नहीं सह सकते।
सन्त योहन के अनुसार सुसमाचार
16: 5-11
5) अब मैं उसके पास जा रहा हूँ, जिसने मुझे भेजा और तुम लोगो में कोई मुझ से यह नहीं पूछता कि आप कहाँ जा रहे हैं।
6) मैंने तुम से यह कहा है, इसलिये तुम्हारे हृदय शोक से भर गये हैं।
सन्त योहन के अनुसार सुसमाचार
15:26-16:4
26) जब वह सहायक, पिता के यहाँ से आने वाला वह सत्य का आत्मा आयेगा, जिसे मैं पिता के यहाँ से तुम लोगो के पास भेजूगाँ तो वह मेरे विषय में साक्ष्य देगा।
सन्त योहन के अनुसार सुसमाचार
14:15-21
15) यदि तुम मुझे प्यार करोगे तो मेरी आज्ञाओं का पालन करोगे।
16) मैं पिता से प्रार्थना करूँगा और वह तुम्हें एक दूसरा सहायक प्रदान करेगा, जो सदा तुम्हारे साथ रहेगा।
सन्त योहन के अनुसार सुसमाचार
15:18-21
18) यदि संसार तुम लोगों से बैर करे, तो याद रखो कि तुम से पहले उसने मुझ से बैर किया।
सन्त योहन के अनुसार सुसमाचार
6:44-51
44) कोई मेरे पास तब तक नहीं आ सकता, जब तक कि पिता, जिसने मुझे भेजा, उसे आकर्षित नहीं करता। मैं उसे अन्तिम दिन पुनर्जीवित कर दूंगा।
सन्त योहन के अनुसार सुसमाचार
6:35-40
35) उन्होंने उत्तर दिया, "जीवन की रोटी मैं हूँ। जो मेरे पास आता है, उसे कभी भूख नहीं लगेगी और जो मुझ में विश्वास करता है, उसे कभी प्यास नहीं लगेगी।
सन्त योहन के अनुसार सुसमाचार
6:30-35
30) लोगों ने उन से कहा, "आप हमें कौन सा चमत्कार दिखा सकते हैं, जिसे देख कर हम आप में विश्वास करें? आप क्या कर सकते हैं?