सन्त मत्ती के अनुसार सुसमाचार
10: 26-33
26) "इसलिए उन से नहीं डरो। ऐसा कुछ भी गुप्त नहीं है, जो प्रकाश में नहीं लाया जायेगा और ऐसा कुछ भी छिपा हुआ नहीं है, जो प्रकट नहीं किया जायेगा।
सन्त मत्ती के अनुसार सुसमाचार
10: 26-33
26) "इसलिए उन से नहीं डरो। ऐसा कुछ भी गुप्त नहीं है, जो प्रकाश में नहीं लाया जायेगा और ऐसा कुछ भी छिपा हुआ नहीं है, जो प्रकट नहीं किया जायेगा।
सन्त लूकस के अनुसार सुसमाचार
2:41-51
41) ईसा के माता-पिता प्रति वर्ष पास्का पर्व के लिए येरूसालेम जाया करते थे।
42) जब बालक बारह बरस का था, तो वे प्रथा के अनुसार पर्व के लिए येरूसालेम गये।
सन्त मत्ती के अनुसार सुसमाचार
11: 25-30
25) उस समय ईसा ने कहा, "पिता! स्वर्ग और पृथ्वी के प्रभु! मैं तेरी स्तुति करता हूँ; क्योंकि तूने इन सब बातों को ज्ञानियों और समझदारों से छिपा कर निरे बच्चों पर प्रकट किया है।
सन्त मत्ती के अनुसार सुसमाचार
6:7-15
7) "प्रार्थना करते समय ग़ैर-यहूदियों की तरह रट नहीं लगाओ। वे समझते हैं कि लम्बी-लम्बी प्रार्थनाएँ करने से हमारी सुनवाई होती है।
सन्त मत्ती के अनुसार सुसमाचार
6:1-6, 16-18
1) "सावधान रहो। लोगों का ध्यान आकर्षित करने के लिए अपने धर्मकार्यों का प्रदर्शन न करो, नहीं तो तुम अपने स्वर्गिक पिता के पुरस्कार से वंचित रह जाओगे।
सन्त मत्ती के अनुसार सुसमाचार
5: 43-48
(43) "तुम लोगों ने सुना है कि कहा गया है- अपने पड़ोसी से प्रेम करो और अपने बैरी से बैर।
सन्त मत्ती के अनुसार सुसमाचार
5: 38-42
(38) तुम लोगों ने सुना है कि कहा गया है- आँख के बदले आँख, दाँत के बदले दाँत।
सन्त योहन के अनुसार सुसमाचार
6: 51-58
51) स्वर्ग से उतरी हुई वह जीवन्त रोटी मैं हूँ। यदि कोई वह रोटी खायेगा, तो वह सदा जीवित रहेगा। जो रोटी में दूँगा, वह संसार के लिए अर्पित मेरा मांस है।"
सन्त मत्ती के अनुसार सुसमाचार
5: 33-37
(33) तुम लोगों ने यह भी सुना है कि पूर्वजों से कहा गया है -झूठी शपथ मत खाओ। प्रभु के सामने खायी हुई शपथ पूरी करो।
सन्त मत्ती के अनुसार सुसमाचार
5: 27-32
(27) तुम लोगों ने सुना है कि कहा गया है - व्यभिचार मत करो।