सन्त मत्ती के अनुसार सुसमाचार
11: 25-37
तब ईसा उन नगरों को धिक्कारने लगे, जिन्होंने उनके अधिकांश चमत्कार देख कर भी पश्चाताप नहीं किया था,
ईसा किसी दिन घर से निकल कर समुद्र के किनारे जा बैठे।
सन्त मत्ती के अनुसार सुसमाचार
10: 24-33
"न शिष्य गुरू से बड़ा होता है और न सेवक अपने स्वामी से।
राह चलते यह उपदेश दिया करो- स्वर्ग का राज्य निकट आ गया है।
वे बाहर निकल ही रहे थे कि कुछ लोग एक गूँगे अपदूत ग्रस्त मनुष्य को ईसा के पास ले आये।