सन्त मत्ती के अनुसार सुसमाचार
11: 25-30
इसके बाद योहन के शिष्य आये और यह बोले, "हम और फरीसी उपवास किया करते हैं। आपके शिष्य ऐसा क्यों नहीं करते?"
ईसा नाव पर बैठ गये और समुद्र पार कर अपने नगर आये।
जब ईसा समुद्र के उस पार गदरेनियों के प्रदेश पहुँचे, तो दो अपदूत ग्रस्त मनुष्य मक़बरों से निकल कर उनके पास आये। वे इतने उग्र थे कि उस रास्ते से कोई भी आ-जा नहीं सकता था।
सन्त मत्ती के अनुसार सुसमाचार
8: 23-27
23) ईसा नाव पर सवार हो गये और उनके शिष्य उनके साथ हो लिये।
24) उस समय समुद्र में एकाएक इतनी भारी आँधी उठी कि नाव लहरों से ढकी जा रही थी। परन्तु ईसा तो सो रहे थे।
सन्त मत्ती के अनुसार सुसमाचार
10: 37-42
37) जो अपने पिता या अपनी माता को मुझ से अधिक प्यार करता है, वह मेरे योग्य नहीं है। जो अपने पुत्र या अपनी पुत्री को मुझ से अधिक प्यार करता है, वह मेरे योग्य नहीं।
सन्त मत्ती के अनुसार सुसमाचार
8: 5-17
5) ईसा कफरनाहूम में प्रवेश कर ही रहे थे कि एक शतपति उनके पास आया और उसने उन से यह निवेदन किया,
6) "प्रभु! मेरा नौकर घर में पड़ा हुआ है। उसे लक़वा हो गया है और वह घोर पीड़ा सह रहा है।"
सन्त मत्ती के अनुसार सुसमाचार
8: 1-4
1) ईसा पहाडी से उतरे। एक विशाल जनसमूह उनके पीछे हो लिया।
2) उस समय एक कोढ़ी उनके पास आया और उसने यह कहते हुए उन्हें दण्डवत् किया, "प्रभु! आप चाहें, तो मुझे शुद्ध कर सकते हैं"।
सन्त मत्ती के अनुसार सुसमाचार
7: 21-29
21) "जो लोग मुझे ’प्रभु ! प्रभु ! कह कर पुकारते हैं, उन में सब-के-सब स्वर्ग-राज्य में प्रवेश नहीं करेंगे। जो मेरे स्वर्गिक पिता की इच्छा पूरी करता है, वही स्वर्गराज्य में प्रवेश करेगा।
सन्त लूकस के अनुसार सुसमाचार
1: 57-66, 80
57) एलीज़बेथ के प्रसव का समय पूरा हो गया और उसने एक पुत्र को जन्म दिया।