सन्त योहन के अनुसार सुसमाचार
6:22-29
22) जो लोग समुद्र के उस पास रह गये थे, उन्होंने देखा था कि वहाँ केवल एक ही नाव थी और ईसा अपने शिष्यों के साथ उस नाव पर सवार नहीं हुए थे- उनके शिष्य अकेले ही चले गये थे।
सन्त योहन के अनुसार सुसमाचार
6:22-29
22) जो लोग समुद्र के उस पास रह गये थे, उन्होंने देखा था कि वहाँ केवल एक ही नाव थी और ईसा अपने शिष्यों के साथ उस नाव पर सवार नहीं हुए थे- उनके शिष्य अकेले ही चले गये थे।
सन्त लूकस के अनुसार सुसमाचार
24:13-35
13) उसी दिन दो शिष्य इन सब घटनाओं पर बातें करते हुए एम्माउस नामक गाँव जा रहे थे। वह येरूसालेम से कोई चार कोस दूर है।
14) वे आपस में बातचीत और विचार-विमर्श कर ही रहे थे
सन्त मारकुस के अनुसार सुसमाचार
16:15-20
15) इसके बाद ईसा ने उन से कहा, "संसार के कोने-कोने में जाकर सारी सृष्टि को सुसमाचार सुनाओ।
सन्त योहन के अनुसार सुसमाचार
6:1-15
1) इसके बाद ईसा गलीलिया अर्थात् तिबेरियस के समुद्र के उस पर गये।
2) एक विशाल जनसमूह उनके पीछे हो लिया, क्योंकि लोगों ने वे चमत्कार देखे थे, जो ईसा बीमारों के लिए करते थे।
सन्त योहन के अनुसार सुसमाचार
3:31-36
31) जो ऊपर से आता है, वह सर्वोपरि है। जो पृथ्वी से आता है, वह पृथ्वी का है और पृथ्वी की बातें बोलता है। जो स्वर्ग से आता है, वह सर्वोपरि है।
सन्त योहन के अनुसार सुसमाचार
3:16-21
16) ईश्वर ने संसार को इतना प्यार किया कि उसने इसके लिए अपने एकलौते पुत्र को अर्पित कर दिया, जिससे जो उस में विश्वास करता हे, उसका सर्वनाश न हो, बल्कि अनन्त जीवन प्राप्त करे।
सन्त योहन के अनुसार सुसमाचार
3:7-15
7) आश्चर्य न कीजिए कि मैंने यह कहा- आप को दुबारा जन्म लेना है।
सन्त योहन के अनुसार सुसमाचार
3:1-8
1) निकोदेमुस नामक फरीसी यहूदियों की महासभा का सदस्य था।
सन्त योहन के अनुसार सुसमाचार
20: 19-31
19) उसी दिन, अर्थात सप्ताह के प्रथम दिन, संध्या समय जब शिष्य यहूदियों के भय से द्वार बंद किये एकत्र थे, ईसा उनके बीच आकर खडे हो गये। उन्होंने शिष्यों से कहा, "तुम्हें शांति मिले!"
सन्त मारकुस के अनुसार सुसमाचार
16: 9-15
9) ईसा सप्ताह के प्रथम दिन प्रातः जी उठे। वे पहले मरियम मगदलेना को, जिस से उन्होंने सात अपदूतों को निकाला था, दिखाई दिये।