कफ़रनाहूम में स्वर्ग की रोटी की प्रतिज्ञा

सन्त योहन के अनुसार सुसमाचार
6:22-29

22) जो लोग समुद्र के उस पास रह गये थे, उन्होंने देखा था कि वहाँ केवल एक ही नाव थी और ईसा अपने शिष्यों के साथ उस नाव पर सवार नहीं हुए थे- उनके शिष्य अकेले ही चले गये थे।

23) दूसरे दिन तिबेरियस से कुछ नावें उस स्थान के समीप आ गयीं, जहाँ ईसा की धन्यवाद की प्रार्थना के बाद लोगों ने रोटी खायी थी।

24) जब उन्होंने देखा कि वहाँ न तो ईसा हैं और न उनके शिष्य ही, तो वे नावों पर सवार हुए और ईसा की खोज में कफरनाहूम चले गये।

25) उन्होंने समुद्र पार किया और ईसा को वहाँ पा कर उन से कहा, "गुरुवर! आप यहाँ कब आये?"

26) ईसा ने उत्तर दिया, "मैं तुम लोगों से यह कहता हूँ - तुम चमत्कार देखने के कारण मुझे नहीं खोजते, बल्कि इसलिए कि तुम रोटियाँ खा कर तृप्त हो गये हो।

27) नश्वर भोजन के लिए नहीं, बल्कि उस भोजन के लिए परिश्रम करो, जो अनन्त जीवन तक बना रहता है और जिसे मानव पुत्र तुन्हें देगा ; क्योंकि पिता परमेश्वर ने मानव पुत्र को यह अधिकार दिया है।"

28) लोगों ने उन से कहा, "ईश्वर की इच्छा पूरी करने के लिए हमें क्या करना चाहिए?"

29) ईसा ने उत्तर दिया, "ईश्वर की इच्छा यह है- उसने जिसे भेजा है, उस में विश्वास करो"।

 

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