चालीसा, प्रायश्चित और पश्चाताप का समय। 

चालीसा, प्रायश्चित और येसु के पुनरुत्थान की तैयारी का सुन्दर समय है। चालीस दिनों में हम अपने जीवन में नवीनीकरण लाने का प्रयास करते हैं। आज के तीनों पाठों में पश्चात्ताप के अलग- अलग पहलू दर्शाए गए हैं। योएल नबी सबों को आमंत्रित करते हैं कि हम हृदय से पिता ईश्वर की ओर फिरें। हमारा प्रयास हो कि हम कपड़ा फाड़कर नहीं पर हृदय से पश्चात्ताप करें। रोते हुए , उपवास , शोक मनाते हम प्रभु के पास आएँ एवं दूसरों को भी पिता के पास लाएँ। पौलुस हमलोगों को बताते हैं कि चालीसा काल ही उपयुक्त समय है। हमलोगों के लिए यही कल्याण का दिन है। इसे हम गौर करें और उनकी कृपाओं के सहभागी बनें।
सुसमाचार हमें बताता है कि इस समय हमारा धर्म- कार्य किस प्रकार हो। भिक्षादान, प्रार्थना और उपवास ख्रीस्तीय जीवन के मुख्य औजार हैं जिनकी बदौलत हम ईश्वर तथा पड़ोसियों से अपने संबंध को मधुर बनाने की कोशिश करते हैं। हम समाज के नेताओं और फरीसियों का अनुकरण न करें। दान - दक्षिणा की बात, प्रार्थना करने का ढंग, पीड़ितों की सेवा या उपवास के दिन हों इसमें किसी प्रकार का दिखावा न हो। हमें पिता को खुश करना है न कि अपने पड़ोसियों को। इस राखबुध में हम पिता से प्रार्थना करें कि हमें आध्यात्मिक और आंतरिक शक्ति मिले। हम पिता के प्रिय पुत्र - पुत्रियाँ बन सकें। यही हमारे लिए पर्याप्त है। पिता ईश्वर हम सभों को इस चालीसे काल में प्रचुर मात्रा में कृपा प्रदान करे जिसकी शुरुआत आज हम कर रहे हैं। 

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