उपवास से एक कदम आगे। 

हम जीवन में उपवास, तपस्या करते और दान देते हैं तथा इसके लिए अपने आप को बधाई देने से भी नहीं चुकते हैं, इसी सोच से कि हमने विधि का पालन किया है। ईश्वर हमसे और एक कदम आगे की माँग कर रहे हैं। नबी इसायस दो भावनाओं को दर्शाते हैं- सामाजिक न्याय और प्रेम। इनके लिए आत्मत्याग की बहुत जरूरत है। चालीसे के पुण्य काल में अपने से हटकर दूसरों पर ध्यान केंद्रित करें। इस समय समाज में जो अन्याय है उसे हटायें, जुए के बंधन खोलें, पद्दलितों के लिए समय दें, गुलामी को हटाने की कोशिश करें, अपनी रोटी बाँटकर खाएँ, बेघरों की सुधि लें, कपड़ों की व्यवस्था तथा अपने भाई से मुँह न मोड़ें। इसके अलावे उपवास, तपस्या तथा दान जीवन का अभिन्न अंग हों। संत मदर तेरेसा याद दिलाती है कि हमारे यहाँ दूसरों के खाने के लिए नहीं है क्योंकि हमने बाँटना नहीं सीखा है। 
उपवास ईश्वर को स्वीकृत तब होता है जब सामाजिक न्याय और प्रेम उनकी इच्छा में समाहित हों। जब हम इन्हें करते हैं तो उपवास की जरूरत नहीं है। यही उपवास हमें ईश्वर के करीब लाता है। प्रभु ईसा की तुलना एक दूल्हे के रूप में की गई है और कलीसिया दुल्हिन है। इस पुण्य काल में हम उपर्युक्त बातों को अपने जीवन में स्थान दें, जीकर दिखाएँ। दूसरों की मदद करें जिससे हमारे जीवन में इसका एहसास हो।

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