जग को जीवन देने वाली मौत भी तुझसे हारी है,
कोमल है तू कमजोर नहीं, शक्ति का नाम ही नारी है।
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जग को जीवन देने वाली मौत भी तुझसे हारी है,
कोमल है तू कमजोर नहीं, शक्ति का नाम ही नारी है।
वर्तमान में जब कि पिछले कुछ महीनों से कोरोना की वैश्विक महामारी का भयंकर प्रकोप सामने आया है। विश्व में लाखों कोरोना रोगियों की मौत हो चुकी है। लंबे लॉक डाउन से गुजरना पड़ा है एवं प्रकोप निरन्तर जारी है। जगह-जगह...
हमें बचपन से यह शिक्षा दी जाती कि हमें सदैव अच्छे काम करना चाहिए। अच्छे इंसान बनो, अच्छे मार्ग पर चलो, अच्छे कपड़े पहनो। बच्चों में बचपन से ही अच्छाई की भावना भर दी जाती है। अच्छे बनना, अच्छे कपडे पहनना, अच्छे काम करना...
बच्चे पहले टीवी के सामने कई घंटे बैठते थे। अब उसकी जगह कम्प्यूटर और टैबलेट ने ले ली है। व्यक्तिगत रूप से विचारों का आदान- प्रदान करने के लिए टेक्नोलॉजी सबसे घटिया विकल्प है। जो बच्चे इलेक्ट्रॉनिक डिस्प्ले या डिवाइस का...
COVID-19 को फैलने से रोकने के लिए भारत के राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के दौरानप्रवासी मजदूर संगीता गौड़ा गर्भवती थीं। वह दक्षिणी राज्य केरल में थी, लेकिन हजारों किलोमीटर दूर ओडिशा के पूर्वी राज्य में अपने परिवार के पास...
एक बार, जंगल मध्य में तीन पेड़ थे। एक गर्म गर्मी के दिन, वे उनकी आशाओं और सपनों पर चर्चा कर रहे थे। पहले पेड़ ने कहा, "किसी दिन मुझे तिजोरी बनने की उम्मीद है। मैं सोने, चांदी और कीमती पत्थरों से भरा जा सकता हूं। मुझे...
समय के साथ कोरोना का खतरा बढ़ते ही जा रहा है। लगभग 70 दिन के लम्बे लॉकडाउन के बाद जब अनलॉक 1.0 लागू किया गया तब से संक्रमितों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हुई है।
देश में अनलॉक 1.0 लगने के साथ ही लोगों का बाहर निकलना भी शुरू हो गया है। पब्लिक ट्रांसपोर्ट ना होने की वजह से सड़क पर काफी कम मात्रा में ट्रैफिक दिखाई दे रहा है। केवल दो पहिया एवं चार पहिया वाहन ही सड़क पर नजर आ रहे है। जिस कारण रोड़ खुले हुए नजर आ...
कोरोना संकट में कोरोना वायरस के बाद में जो सबका ध्यान अपनी ओर खींच रहा है वो है- बेबस और लाचार "मजदूर"। कोरोना संकट में अगर देश की बात की जाए तो जितनी मौतें कोरोना वायरस की वजह से हुई है, उसी दौरान उसकी लगभग 20 से 25 फीसदी मौतें प्रवासी मजदूरों...
जो लोग अपने घरों से कामकाज के सिलसिले में दूर रहकर कार्य करते है, ऐसे लोंगो के प्रति मेरे मन में हमेशा ही सहानुभूति रहती है। अपने एवं अपनो का पेट पालने के लिए जो कोई अपने घरों से मीलों दूर रहकर कार्य करता है, ऐसे लोग वाकई में तारीफ के काबिल होते...