मजबूरी का नाम 'मजदूर' 

प्रतीकात्मक तस्वीरप्रतीकात्मक तस्वीर

कोरोना संकट में कोरोना वायरस के बाद में जो सबका ध्यान अपनी ओर खींच रहा है वो है- बेबस और लाचार "मजदूर"। कोरोना संकट में अगर देश की बात की जाए तो जितनी मौतें कोरोना वायरस की वजह से हुई है, उसी दौरान उसकी लगभग 20 से 25 फीसदी मौतें प्रवासी मजदूरों की घर जाते वक्त सड़क पर हुई है। कोरोना संकट के साथ ही प्रवासी मजदूरों का संकट भी एक भयानक समस्या बनकर उभरा है। जिसका सामना पूरा देश कर रहा है।
मैंने मजदूर शब्द का मतलब विस्तार से जानने के लिए जब गूगल पर सर्च किया तो उसका जवाब आया- "शारीरिक श्रम के द्वारा जीवका कमाने वाला व्यक्ति" एवं
"कार्य को अपनी मेहनत के द्वारा अपनी मानवीय शक्ति को बेचकर कार्य करने वाले को मजदूर कहा जाता है।"
इन दो वाक्यों से यह बिल्कुल स्पष्ट हो जाता है कि मजदूर वह व्यक्ति है जो प्रतिदिन कार्य करता है और खाता है। अगर वह एक भी दिन कार्य ना करें तो उसके खाने के लाले पड़ सकते है। मजदूरों का अपने गाँवों से बड़े शहरों में पलायन करने यही कारण है कि उनके पास आजीविका चलाने के लिए उपयुक्त साधन नही है। ना ही उनके पास अच्छी शैक्षणिक योग्यता है। इन्ही चीजों के चलते वे सिर्फ एक जून की रोटी है लिए बड़े शहरों का रुख करते है। ज़रा विचार कीजिये कि कोई मजदूर बिना कमाए किसी बड़े शहर में रहने का खर्च कैसे वहन कर सकता है? 
खाने से लेकर, कमरे के किराए तक सबकुछ का बन्दोबस्त करना पड़ता है। महीने के अंत मे शायद ही कुछ उनके हाथ में बच पता होगा। मजदूरों के लिए बिना काम किये शहर में गुजारा करना लगभग नामुमकिन है।
वो मजदूर जिनके बिना हमारी अर्थव्यवस्था आगे नही बढ़ सकती वो ही मजदूर आज सबसे ज्यादा बेबस और लाचार है। बेबसी का आलम इस प्रकार है कि मजदूरों को ना चाहते हुए भी पैदल अपने घर जाना पड़ रहा है। सबके घरों को बनाने वालों के पास खुदका कोई घर नही है। यदि हुक्मरानों द्वारा इन मजदूरों की कुछ सुध ली होती हो आज ये मजदूर यूं सड़क पर ना मरते। मजबूरी एवं बेबसी के कारण ही इनकी इतनी दयनीय हालत हुई है।
आज हम जिस संकट के दौर से गुजर रहे है तो हमें आवश्यकता है कि हम जितना हो सके उतना ज़रूरतमंद लोगों की मदद करे। प्रवासी मजदूर अपने उस घर में जाने के लिए जद्दोजहद कर रहे है जिस घर में आप अभी शांति से बैठे हो। इसलिए यदि आपके आसपास ऐसा कोई ज़रूरत मंद व्यक्ति हो जिसे मदद की अति आवश्यकता हो तो उसकी मदद करने से पीछे ना हटे। ज़रूरतमंद लोगों की मदद करें एवं अन्य लोगों को भी इसके लिए प्रोत्साहित करें।

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