अच्छा और सही!

हमें बचपन से यह शिक्षा दी जाती कि हमें सदैव अच्छे काम करना चाहिए। अच्छे इंसान बनो, अच्छे मार्ग पर चलो, अच्छे कपड़े पहनो। बच्चों में बचपन से ही अच्छाई की भावना भर दी जाती है। अच्छे बनना, अच्छे कपडे पहनना, अच्छे काम करना इन चीजों में कोई बुराई नहीं है। ये तो बहुत अच्छा है कि लोग अच्छे काम कर रहे है। अच्छाई से ओतप्रोत जीवन जीने में कोई बुराई नहीं है। अगर देखा जाए तो इन सब चीजों की हमारे समाज में बहुत ज़रूरत है।

मगर मैं आपसे एक बात पूछना चाहता हूँ कि क्या जो अच्छा काम हम कर रहे है क्या वह सही भी है? अच्छा और सही के बीच में एक महीन सी रेखा है जो उन्हें अलग करती है, मगर इन दोनों में जो अंतर है वह काफी बड़ा है।  यदि हमारे कार्य अच्छे होने के साथ सही भी है तो हमारे उस कार्य का पूरा लाभ हमारे द्वारा अन्य लोगों को प्राप्त होगा। और यदि हमारे कार्य सिर्फ अच्छे है तो हमारे कार्य कुछ समय तक ही अच्छे साबित होंगे और कुछ ही समय तक वह कार्य प्रभावशाली होंगे। बाद उनका महत्व कम होते चला जाएगा।  क्योंकि समय के साथ अच्छाई परिभाषा बदलती चली जायेगी मगर सही की परिभाषा अनंत काल तक वही रहेगी जो आज है। यह कभी भी परिवर्तित नहीं होगी।

एक बात है सही काम करने पर आपको विभिन्न प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। सही काम प्रारम्भिक रूप से देखने पर गलत दिखाई देता है। और साथ ही कार्य मुश्किल भी प्रतीत होता है। मगर उसका परिणाम हमेशा अच्छा ही होगा। इसी तरह यदि आप अच्छा काम करते है तो वह अच्छा तो होता ही है मगर समय के साथ वह सही भी हो यह ज़रूरी नहीं है।

अच्छे और सही में एक प्रकार से जमीं और आसमान का फर्क है। यह ज़रूरी नहीं है कि अच्छा काम हमेशा सही होगा, मगर यह बात पक्की है कि सही कार्य हमेशा अच्छा ही होगा। इसके मायने कभी भी परिस्थिति के साथ नहीं बदलेंगे। सही काम को करने के लिए हमें बड़ी हिम्मत की ज़रूरत होती है। क्योंकि समय एवं परिस्थिति के साथ में सही चीज़ों के मायने कभी नहीं बदलते है।

इसलिए आप सभी को यह बात ध्यान देनी चाहिए की हमें ज़िन्दगी में अच्छे कामों से ज्यादा सही कामों को प्राथमिकता देनी चाहिए। हमारे सही काम ही हमारे समाज को आगे तरक्की की ओर ले जाएंगे।

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