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कोरोना का भय
वर्तमान में जब कि पिछले कुछ महीनों से कोरोना की वैश्विक महामारी का भयंकर प्रकोप सामने आया है। विश्व में लाखों कोरोना रोगियों की मौत हो चुकी है। लंबे लॉक डाउन से गुजरना पड़ा है एवं प्रकोप निरन्तर जारी है। जगह-जगह कर्फ्यू लगाने पड़ रहे हैं। भारत में यद्यपि काफी कुछ खोल दिया गया है पर कोरोना का भय जनमानस पर इस कदर हावी है कि सामान्य दिनचर्या अभी भी सपना बना हुआ है।कोरोना वायरस से लोग इतने बीमार नहीं हैं, जितने मानसिक रूप से अपने आपको कोरोना का मरीज समझने लगे हैं। ऐसे लोग न तो अपनी नींद पूरी कर पा रहे हैं और न ही किसी को बता पा रहे हैं। अस्पतालों में और डॉक्टरों के पास आए दिन इस तरह के केस आ रहे हैं। डॉक्टरों का कहना है कि सामान्य सर्दी-जुकाम, सीने में दर्द, सिर दर्द या खांसी होने पर लोग भयभीत हो रहे हैं। वे हेल्पलाइन नंबर या डॉक्टरों को फोन कर कोरोना की जांच कराने का कह रहे हैं। मनोचिकित्सकों ने इस बारे में बताया कि यह कोरोना नहीं है, बल्कि एक प्रकार का सोमेटिक डिसऑर्डर है, यह एक मानसिक बीमारी है। यह किसी भी बीमारी को लेकर हो सकती है। अभी यह शहर के हर दूसरे व्यक्ति को हो रही है। इसका कारण है कि लोग बीमारी से डरे हुए हैं और बार-बार उसी बीमारी के बारे में सोच रहे हैं। उनके लक्षणों के बारे में जान रहे हैं। इससे शरीर और मन का संबंध टूट गया है। यदि किसी व्यक्ति को किसी प्रकार का दर्द या अन्य कोई शिकायत होती है तो वे उसे कोरोना से जोड़कर देख रहे हैं। कई में निराशा के भाव काफी हद तक बढ़ गए हैं। कोरोना कब तक चलेगा,कब खत्म होगा सब कुछ अनिश्चित है। अब तो यही लगता है जन-जन को कोरोना से लम्बी लड़ाई लड़नी होगी। इसी के साथ जीना होगा।ऐसे में बताए हर उपायों को स्वयं अपनाना, धीरज और धैर्य से काम लेकर अपने को मानसिक रोगी बनने से बचाना एवं संक्रमण को फैलने से रोकने में पहले से ज्यादा जिम्मेदारी प्रत्येक नागरिक पर आ गई है।
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