यूरोपीय कलीसिया के धर्मगुरूओं ने क्रूरता के बीच मानवता का आह्वान किया। 

यूरोपीय काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन एवं यूरोपीय कलीसियाओं के सम्मेलन ने एक संयुक्त बयान जारी कर अफगानिस्तान के लोगों के साथ एकात्मता और यूरोपीय संघ के सदस्य राष्ट्रों से समर्थन का आह्वान किया है। यूरोपीय काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन (सीओएमएसीए) एवं यूरोपीय कलीसियाओं के सम्मेलन (सीएसी) द्वारा जारी एक संयुक्त बयान में अफगानिस्तान से मिलने वाले रिपोर्टों पर हैरानी व्यक्त की गई है जहाँ लोग पीड़ित एवं असहाय हैं तथा बहुत अधिक डरे हुए हैं।
यूरोपीय काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के अध्यक्ष कार्डिनल जीन क्लौदियो होलेरिक और यूरोपीय कलीसियाओं के सम्मेलन के अध्यक्ष माननीय ख्रीस्तीयन क्रिएजर द्वारा हस्ताक्षरित बयान में, उन लोगों के लिए एवं कमजोर समुदायों के लिए "विशेष चिंता" व्यक्ति की गई है जिन्हें अभी भी निकासी की आवश्यकता है,  क्योंकि उनके लिए अवसरों को खोने और संभावित दुर्व्यवहार के शिकार होने का खतरा हैं। बयान में दोनों निकायों ने उन सभी के प्रति अपना धन्यवाद और "आभार" व्यक्त किया है जो अनिश्चित सुरक्षा स्थितियों के बावजूद निकासी और मानवीय प्रयासों में लगे हुए हैं। "हम अफगानिस्तान के पीड़ित लोगों, विशेष रूप से महिलाओं, लड़कियों, बच्चों और अन्य कमजोर व्यक्तियों के साथ विकलांग लोगों के प्रति गहरी एकजुटता व्यक्त करना चाहते हैं।"
दोनों सम्मेलनों ने लिखा है कि वे सभी दलों से अपील करते हैं कि वे कानून के शासन और सभी के मौलिक मानवाधिकारों के लिए संवाद और सम्मान के माध्यम से शांति के लिए निरंतर काम करें। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील की है कि वे उन लोगों की रक्षा करें जो शोषण के निशाने पर हैं और जिनका जीवन खतरे में है, उदाहरण के लिए सामाजिक कार्यकर्ता, मानव अधिकार रक्षक, पत्रकार, कलाकार, जाति एवं लिंग के आधार पर अल्पसंख्यक, साथ ही साथ, ख्रीस्तीय एवं अन्य धार्मिक समुदाय। इसके बाद दोनों धर्माध्यक्षों ने सभी निकासी कर्मियों और मानवीय संगठनों में शामिल लोगों की सुरक्षा बढ़ाने का आह्वान किया है और यूरोपीय संघ से देश में मानवीय सहायता बढ़ाने का आग्रह किया है।
बयान में आगे कहा गया है कि पड़ोसी देशों और उसके बाहर अफगान शरणार्थियों की काफी भीड़ हो सकती है। उन्होंने कहा कि इस संकट में हम यूरोपीय संघ और इसके सदस्य देशों से अफ़गानों को हिंसा और आतंक से बचने में सहायता करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय द्वारा किए गए साझा और समन्वित एकात्मक प्रयासों का नेतृत्व करने की अपील करते हैं। उन्होंने कहा, "यह समय है अफगानियों द्वारा सामना किये जा रहे क्रूर चेहरे के बीच मानवता दिखाना। यह साबित करने का मौका है कि यूरोपीय संघ का मूल्य एक खाली बयानबाजी नहीं, बल्कि व्यावहारिक मार्गदर्शक सिद्धांत भी है जो केवल राजनीतिक या आर्थिक विचारों से परे नैतिक मानकों के आधार पर कार्रवाई की ओर ले जाता है।"
बयान में कहा गया है कि आप्रवासियों के प्रवास से संबंधित निर्णय "यूरोपीय संघ और उसके सदस्य राज्यों द्वारा, यूरोपीय संघ के मूल मूल्यों को लागू करते हुए, मानवाधिकारों और जिनेवा कन्वेंशन पर यूरोपीय कन्वेंशन के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को कायम रखते हुए" विवेक के साथ किए जाने चाहिए।
अंत में दोनों सम्मेलनों के अध्यक्षों ने कहा कि "हमारी कलीसियाएँ सभी विश्वासियों से आग्रह करती हैं हम हमारे अफगानी भाई बहनों के लिए प्रभु से प्रार्थना करें ताकि उनका देश स्थायित्व एवं शांति प्राप्त कर सके तथा सभी की मानव प्रतिष्ठा का सम्मान किया जाए। आतंकवाद के सभी रूपों और अभिव्यक्तियों की निंदा करते हुए, हम अपनी प्रार्थनाओं में हाल के आतंकवादी हमलों से पीड़ित लोगों और उनके परिवारों को याद करते हैं।"

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