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विनम्र विश्वास की कोई सीमा नहीं, :पोप फ्रांसिस
पोप फ्रांसिस ने 16 अगस्त को रविवारीय देवदूत प्रार्थना के पूर्व संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण में जमा हुए विश्वासियों और तीर्थयात्रियों को संबोधित किया। पोप फ्रांसिस ने रविवार को कनानी महिला की बेटी के उपचार के सुसमाचार को प्रतिबिंबित किया (मत्ती 15:21-28)। येसु गलीलिया के उत्तरी प्रांत की ओर चले जिससे वे भीड़ से अलग अपने शिष्यों के साथ एकांत में कुछ समय व्यतीत कर सकें, क्योंकि भीड़ सदैव उन्हें खोजती थी। उस प्रांत की एक स्त्री उनके पास आयी और अपनी बेटी की चंगाई हेतु पुकार-पुकार का मदद मांगने लगी, “प्रभु, दाऊद के पुत्र मुझ पर दया कीजिए।”
यह पुकार पीड़ा की वेदना से उत्पन्न होती है जहाँ हम एक माता को निसहाय स्थिति में पाते हैं क्योंकि उसकी बेटी दुष्ट आत्मा द्वारा प्रताड़ित की जाती है जिसकी चंगाई हेतु वह अपने में असमर्थ है। येसु शुरू में उसकी ओर ध्यान नहीं देते और अपने शिष्यों से कहते हैं कि वे “इस्रराएल की खोई हुई भेड़ों की खोज” हेतु भेजे गये हैं, गैर-यहूदियों के लिए नहीं, इसपर भी वह बारंबार आग्रह करती है। वह येसु से निवेदन करना जारी रखती है और इस परिस्थति में वे एक कहावत के माध्यम से, जो थोड़ा क्रूरतापूर्ण प्रतीत होता है उसकी परीक्षा लेते हैं, “बच्चों की रोटी को लेकर पिल्लों के सामने फेंकना ठीक नहीं।” वह नारी अपनी वेदना में तुरंत उत्तर देती है, “जी हाँ, प्रभु, फिर भी स्वामी की मेज से गिरा हुआ चूर्ण पिल्ले खाते ही हैं।”
विश्वास की महानता क्या है।
अपने इस कथन के द्वारा वह येसु ख्रीस्त में व्याप्त ईश्वरत्व को स्वीकारती है जो मानवता की सारी जरुरतों के लिए अपने को खुला रखते हैं। विश्वास से भरे उसके ये विवेकपूर्ण कथन येसु के हृदय को स्पर्श करते और वे उसकी प्रशंसा करते हुए कहते हैं, “नारी, तुम्हारा विश्वास महान् है। तुम्हारी इच्छा पूरी हो।” संत पापा ने कहा कि इस विश्वास की महानता क्या हैॽ यह विश्वास अपने में महान है क्योंकि यह जीवन की स्थिति, जीवन की दुःख भरी वेदना के साथ अपने को येसु के चरणों में प्रस्तुत करते हुए चंगाई की गुहार लगाती है।
हममें से हर किसी के जीवन की कहानी ऐसी ही है और यह सदैव अपने में शुद्ध नहीं है...बहुधा यह अपने में एक कठिन कहानी है, जहां हमें बहुत दर्द का अनुभव होता है, जहाँ हम बहुत से दुर्भाग्यों और पापों को पाते हैं। मैं अपने जीवन की कहानी से क्या करता हूँॽ क्या मैं इसे छुपाता हूँॽ संत पापा ने कहा कि नहीं, इसे हमें ईश्वर के सम्मुख लाने की जरुरत है,“प्रभु, यदि आप चाहे तो मुझे चंगाई प्रदान कर सकते हैं”।
जीवन के दुःखद इतिहास, ईश्वर के पास लायें।
कनानी नारी, वह अति सुन्दर माता हमें इसी बात की शिक्षा देती हैं- हम साहस के साथ अपने अपने जीवन के दुःखद इतिहास को ईश्वर के पास लायें, हम येसु के सम्मुख आये और उनकी करूणा से अपने को स्पर्श होने दें। हम इस इतिहास को अपने जीवन में घटित होने दें, हम अपने जीवन के इतिहास को सोचें। हमारे जीवन के इतिहास में सदैव कितनी क्रुर घटनाएं हैं। संत पापा ने कहा कि हम येसु के पास आयें, उनके हृदय को खटखटायें और उनसे कहें, “प्रभु, यदि आप चाहें तो मुझे चंगा कर सकते हैं”। हम ऐसा कर सकते हैं यदि हम येसु के चेहरे को अपने सामने देखते हैं, यदि हम इस बात को समझते हैं कि येसु का हृदय कैसा है। उनका हृदय करूणा के भरा है जो हमारे जीवन के दुःखों, पापों, हमारी गलतियों, असफलताओं को अपने ऊपर लेते हैं।
येसु हमसे प्रेम करते हैं।
हम जैसे भी हैं, बिना साज-श्रृंगार के ही, येसु हमसे प्रेम करते हैं। “प्रभु, यदि आप चाहे तो मुझे चंगा कर सकते हैं”। पोप फ्रांसिस ने कहा यही कारण है कि हमें येसु को समझने की जरुरत है, हमें उससे परिचित होने की आवश्यकता है। येसु ख्रीस्त को जानने हेतु पोप फ्रांसिस सदैव हमें अपने पास धर्मग्रंथ बाईबल रखने की सलाह देते हैं। आप हमेशा बाईबल की छोटी प्रति अपने साथ रखें, उसे अपने बटुवे में, थैली में यहां तक कि मोबईल फोन में रखें जिससे आप उसे देख सकें, प्रति दिन एक पद को पढ़ सकें। उसमें आप येसु को पायेंगे, जैसा कि वे अपने को प्रस्तुत करते हैं। आप येसु को पायेंगे जो आप से प्रेम करते हैं, वे आप को बहुत अधिक प्रेम करते और आपके अच्छे जीवन की चाह रखते हैं।
सुसमाचार में येसु से मुलाकात।
पोप फ्रांसिस ने पुनः इस बात को दुहराते हुए कहा कि हम इस प्रार्थना को याद करें, “प्रभु, यदि आप चाहें तो तो मुझे चंगा कर सकते हैं”। यह कितनी सुन्दर प्रार्थना है। ईश्वर हम सबों की सहायता करें जिससे हम इस सुंदर प्रार्थना को कर सकें जिसे एक ख्रीस्तीय नारी नहीं वरन् एक कनानी नारी, एक यहूदी स्त्री नहीं अपितु गैर-यहूदी स्त्री हमें सिखलाती है।
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