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भारत-चीन सीमा पर तनाव बढ़ा, 20 भारतीय सैनिकों की मौत
भारत और चीन की विवादित सीमा पर 45 साल बाद पहली बार किसी की जान गई है.
पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में पिछली रात (15/16 जून) चीन और भारत की सेना के आमने-सामने के संघर्ष में भारतीय सेना के एक अधिकारी समेत 19 जवानों की मौत हुई है.
भारतीय सेना ने मंगलवार देर रात एक आधिकारिक बयान जारी कर कहा, ''भारत और चीन की सेना गलवान इलाक़े से पीछे हट गई है. 15/16 जून की रात यहीं पर दोनों देशों के सैनिकों के बीच झड़प हुई थी. झड़प और गतिरोध वाले इलाक़े में ड्यूटी के दौरान 17 भारतीय सैनिक गंभीर रूप से ज़ख़्मी हो गए थे. शून्य डिग्री से भी नीचे तापमान और बेहद ऊंचाई वाले इस इलाक़े में गंभीर से रूप ज़ख़्मी इन 17 सैनिकों मौत हो गई. यहां कुल 20 भारतीय सैनिकों की मौत हुई है. भारतीय सेना देश की अखंडता और संप्रभुता की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है.''
इससे पहले भारतीय सेना ने अपने बयान में एक सैन्य अधिकारी और दो जवानों की मौत की बात कही थी. बयान में यह भी कहा गया था कि दोनों देशों के वरिष्ठ सैन्य अधिकारी तनाव कम करने के लिए बात कर रहे हैं.
समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन की सीमा यानी लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल पर सोमवार को दोनों देशों के बीच हुई हिंसक झड़प के बाद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को आर्मी प्रमुख के साथ समीक्षा बैठक की थी. इस बैठक में विदेश मंत्री एस जयशंकर भी मौजूद थे.
चीन की सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ के मुताबिक़ पीपल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के पश्चिमी थिएटर कमांड के प्रवक्ता चांग शुइली का बयान पीएलए के आधिकारिक वीबो अकाउंट पर पोस्ट किया गया है. इस बयान में चांग ने कहा है कि भारत सख़्ती से अपने सैनिकों को रोके और विवाद ख़त्म करने के लिए संवाद के सही रास्ते पर आगे बढ़े.
चांग ने कहा है, ''भारतीय सैनिकों ने अपने वादे का उल्लंघन किया और एक बार फिर से एलएसी पार किए. जानबूझकर चीनी बलों को उकसाया और उन पर हमला किया. इससे दोनों पक्षों में आमने-सामने झड़प हुई और यही हताहत की वजह बनी. मैं मांग करता हूं कि भारत अपने सैनिकों को सख़्ती से रोके और बातचीत के ज़रिए विवाद को सुलझाए.''
45 साल बाद सीमा पर किसी की जान गई
दोनों देशों की सेना पिछले महीने की शुरुआत से ही लद्दाख में आमने-सामने है. पिछले महीने दोनों देशों के सैनिकों के बीच पूर्वी लद्दाख के पंगोंग और सिक्किम के नाकुला में हाथापाई हुई थी और तब से ही तनाव कायम है. इसके बाद से सीमा पर दोनों देशों के सैनिक बड़ी संख्या में तैनात हैं.
इससे पहले भारत-चीन सीमा पर 1975 में यानी 45 साल पहले किसी सैनिक की मौत हुई थी. तब भारतीय सेना के गश्ती दल पर अरुणाचल प्रदेश में एलएसी पर चीनी सेना ने हमला किया था. इससे पहले 1967 में नाथु ला में सीमा पर दोनों देशों की सेना के बीच हिंसक झड़प हुई थी.
भारतीय मीडिया में चीनी सैनिकों के नुक़सान की भी बात कही जा रही है लेकिन अभी तक इसकी कोई पुष्टि नहीं हो पाई है और न ही चीन ने कुछ कहा है. कहा जा रहा है कि इसका असर दोनों देशों के सभी द्विपक्षीय संबंधों पर पड़ेगा और 1993 से दोनों देशों के बीच सीमा पर शांति बनाए रखने के लिए जो समझौता हुआ था उस पर भी असर पड़ेगा. दोनों देशों के बीच सरहद पर पिछले 40 दिनों से तनाव है और अब तक कोई समाधान नहीं निकल पाया है.
भारत ने मंगलवार को कहा कि चीन को लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल का सम्मान करना चाहिए. वहीं चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारतीय सैनिकों ने सोमवार को दो बार सीमा का उल्लंघन किया और चीनी सेना पर उकसाऊ हमला किया. चीन और भारत दोनों ने एक दूसरे पर एलएसी का सम्मान नहीं करने का आरोप लगाया.
आरोप-प्रत्यारोप
इस घटना के बाद भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने पत्रकारों के सवालों के जवाब देते हुए कहा, "छह जून को सीनियर कमांडरों की बैठक काफ़ी अच्छी रही थी और उसमें तनाव कम करने की प्रक्रिया पर सहमित बनी थी. इसके बाद मौक़े पर मौजूद कमांडरों की बैठकों का भी सिलसिला चला था ताकि उस सहमति को ग्राउंड लेवल पर लागू किया जा सके जो वरिष्ठ अधिकारियों के बीच बनी थी."
अनुराग श्रीवास्तव ने आगे कहा, "हमें उम्मीद थी कि सब कुछ आसानी से हो जाएगा लेकिन चीनी पक्ष इस सहमति से हट गया कि गलवान घाटी में लाइन ऑफ़ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) का सम्मान किया जाएगा.15 जून की देर शाम और रात को एक हिंसक झड़प हुई, इसकी वजह ये थी कि चीनी पक्ष ने एकतरफ़ा तरीक़े से मौजूदा स्थिति को बदलने की कोशिश की. दोनों तरफ़ से लोग हताहत हुए, जिसे टाला जा सकता था अगर चीनी पक्ष ने उच्च स्तर पर बनी सहमति ठीक तरह से पालन किया होता.''
क्या भारत, चीन को समझने में गलती कर रहा है?
20 सैनिकों की मौत देश की मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस के नेता राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा, "सेना के जिन अधिकारी और जवानों ने हमारे देश के लिए अपनी जानें गवां दी हैं, उनके लिए मैं कितना दुखी हूं, ये शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता. उनके सभी प्रियजनों के प्रति मैं अपनी संवेदना ज़ाहिर करता हूं. इस मुश्किल वक़्त में हम आपके साथ हैं."
राहुल गांधी इससे पहले से चीन को लेकर मोदी सरकार पर हमलावर रहे हैं. राहुल गांधी आरोप लगाते रहे हैं कि मोदी सरकार चीन के साथ सीमा पर जो कुछ चल रहा है उसे साफ़-साफ़ नहीं बता रही है.
मोदी पाँच बार चीन गए
नरेंद्र मोदी ने सत्ता में आने के बाद चीन के साथ संबंधों की शुरुआत गर्मजोशी से की थी. 2014 में मोदी के सत्ता में आने के बाद से चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से कम से कम 18 बार मुलाक़ात हो चुकी है. इन मुलाक़ातों में वन-टू-वन मीटिंग के अलावा दूसरे देशों में दोनों नेताओं के बीच अलग से हुई मुलाक़ातें भी शामिल हैं. प्रधानमंत्री रहते हुए मोदी पाँच बार चीन के दौरे पर गए हैं. पिछले 70 सालों में किसी भी एक प्रधानमंत्री का चीन का यह सब
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