बारह प्रेरितों का चुनाव

सन्त लूकस का सुसमाचार
6:12-16

किसी दूसरे विश्राम के दिन ईसा सभागृह जा कर शिक्षा दे रहे थे। वहाँ एक मनुष्य था, जिसका दायाँ हाथ सूख गया था। शास्त्री और फ़रीसी इस बात की ताक में थे कि यदि ईसा विश्राम के दिन किसी को चंगा करें, तो हम उन पर दोष लगायें। ईसा ने उनके विचार जान कर सूखे हाथ वाले से कहा, "उठो और बीच में खड़े हो जाओ"। वह उठ खड़ा हो गया। ईसा ने उन से कहा, "मैं तुम से पूछ़ता हूँ-विश्राम के दिन भलाई करना उचित है या बुराई, जान बचाना या नष्ट करना?" तब उन सबों पर दृष्टि दौड़ा कर उन्होंने उस मनुष्य से कहा, "अपना हाथ बढ़ाओ"। उसने ऐसा किया और उसका हाथ अच्छा हो गया। वे बहुत क्रुद्ध हो गये और आपस में परामर्श करते रहे कि हम ईसा के विरुद्ध क्या करें। उन दिनों ईसा प्रार्थना करने एक पहाड़ी पर चढ़े और वे रात भर ईश्वर की प्रार्थना में लीन रहे। दिन होने पर उन्होंने अपने शिष्यों को पास बुलाया और उन में से बारह को चुन कर उनका नाम ’प्रेरित’ रखा- सिमोन जिसे उन्होंने पेत्रुस नाम दिया और उसके भाई अन्द्रेयस को; याकूब और योहन को; फि़लिप और बरथोलोमी को, मत्ती और थोमस को; अलफाई के पुत्र याकूब और सिमोन को, जो ’उत्साही’ कहलाता है; याकूब के पुत्र यूदस और यूदस इसकारियोती को, जो विश्वासघाती निकला।

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