लौदातो सी समुदाय को संत पापा का संदेश

रोेसोन द्वीप

लौदातो सी समुदाय उन लोगों और संगठनों का आंदोलन है जो प्रेरितिक उद्बोधन “लौदातो सी” के विचारों को फैलाने के लिए प्रतिबद्ध है। संत पापा फ्राँसिस “लौदातो सी” समुदायों को एक संदेश भेजकर उन्हें याद दिलाया कि "सामाजिक न्याय और पर्यावरण परस्पर जुड़े हुए हैं।"

संत पापा फाँसिस ने शनिवार 6 जुलाई को लौदातो सी समुदाय को संदेश भेजा। मूल रूप से रियेती की कलीसिया और ‘स्लो फूड’ संगठन द्वारा व्यक्तिगत और सामूहिक स्तर पर, बैठकों और सम्मेलनों के माध्यम से, या ठोस कार्यवाहियों और व्यावहारिक कार्यों के माध्यम से, संत पापा फ्राँसिस के दस्तावेज़ “लौदातो सी” के मूल्यों और प्रस्तावों के अनुरूप जीवन शैली को अपनाते और बढ़ावा देते हैं।

संत पापा ने अमात्रिचे में एकत्रित लौदातो सी समुदाय के द्वितीय मंच आयोजकों और सदस्यों का अभिवादन किया। यह मंच 2016 अगस्त में हुए भूकंप के पीड़ितों की याद में आयोजित की गई है।

संत पापा ने कहा कि अमात्रिचे की याद उनके मानस पटल में आज भी ताजी है। उस भयानक घटना की यादगारी के साथ हम उन लोगों के साथ भी अपना एकजुटता प्रकट करते हैं जिसने इस दुखित घड़ी को झेला है और वहीं रहकर आशा के साथ जीवन में आगे बढ़ने की कोशिश में हैं। पर्यावरण को छेड़छाड़ और आघात पहुँचाया जाता है तो उसकी प्रतिक्रिया मनुष्य़ों को ही सहनी पड़ती है। संत पापा ने अपने प्रेरितिक उदबोधन "लौदातो सी" में लिखा है: "नए मनुष्य के बिना प्रकृति के साथ कोई नया संबंध नहीं होगा। पर्याप्त मानव विज्ञान के बिना कोई कोई पारिस्थितिकी नहीं है।" (न. 118)।

संत पापा ने कहा, “गत वर्ष आपने पृथ्वी का दम घोंटने वाले प्लास्टिक के मुद्दे से निपटने का प्रयास किया और आज आप अमेज़ॅन और इसमें निवास करने वाले लोगों की गंभीर स्थिति पर अपना ध्यान केंद्रित कर रहे हैं जो धर्माध्यक्षों के धर्मसभा के विषय से प्रेरित है जो पान-अमेज़ॅन क्षेत्र के लिए अगले अक्टूबर में मनाया जाएगा और जिसका ‘इंस्ट्रूमेंटम लबोरिस’ ‘कार्य उपकरण’ हाल ही में प्रस्तुत किया गया था।”

अमेज़ॅन का उदाहरण

संत पापा ने कहा कि अमेज़ॅन की स्थिति एक दुखद नमूना है: इसी तरह की परिस्थिति दुनिया के कई हिस्सों में हो रही है, एक अंधी और विनाशकारी मानसिकता के साथ मनुष्य प्रकृति के साथ संबंध स्थापित करता है। मनुष्य को यह नहीं भूलना चाहिए कि सामाजिक न्याय और पर्यावरण का आपस में गहरा संबंध है। संत पापा ने अमेज़ॅन की स्थिति पर जोर देते हुए कहा कि वर्षों से अमेज़ॅन की वन-संपदा का दोहन किया जा रहा है। अमेज़ॅन के आदिवासी अपनी ही भूमि में विदेशी हो गए हैं, अपनी संस्कृति और परंपराओं को खत्म कर रहे हैं, सहस्राब्दी से चली आ रही प्राकृतिक संतुलन को तोड़ रहे हैं। मनुष्य इस विनाश के सामने एक उदासीन दर्शक नहीं रह सकता है, न ही कलीसिया चुप रह सकती है, गरीबों का रोना चारों ओर गूंजना चाहिए। ( पॉपुलोरम प्रोग्रेसियो)।

संत पापा ने कहा कि लौदातो सी समुदाय न केवल उदबोधन में प्रस्तावित शिक्षण को बढ़ावा देती, बल्कि नई जीवन शैली को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। इस व्यावहारिक परिप्रेक्ष्य में, संत पापा ने उन्हें तीन शब्दों को दिया।

पहला शब्द है डॉक्सोलॉजी

सृष्टि की भलाई के सामने और विशेष रूप से मनुष्य की भलाई से पहले, प्रशंसा के दृष्टिकोण को मानना आवश्यक है। मनुष्य सृष्टि का सर्वश्रेष्ठ प्राणी है, साथ ही सृष्टि का अभिभावक भी है, उसे एक बच्चे की भाँति आश्चर्य के साथ इसकी सुंदरता की सराहना करने में सक्षम होना चाहिए। हम सभी प्रकृति के हिस्से हैं। प्रशंसा चिंतन का फल है, चिंतन और प्रशंसा सम्मान की ओर ले जाती है तथा सृष्टि की वस्तुओं का सम्मान सृष्टिकर्ता की आराधना करना है।

दूसरा शब्द है यूखरिस्ट

दुनिया और उसके निवासियों के सामने यूखरिस्टिक मनोभाव जानता है कि उपहार की स्थिति को कैसे समझा जाए जिसे हर जीवित व्यक्ति अपने भीतर वहन करता है। सब कुछ हमें मुफ्त में दिया जाता है, लूटने या सिर्फ अपने लिए नहीं, बल्कि उपहार को साझा करने के लिए दिया जाना चाहिए ताकि सभी को अधिक से अधिक खुशी मिले।

तीसरा शब्द है तपस्या

प्रत्येक का सम्मान एक तपस्वी मनोभाव से उत्पन्न होता है, अर्थात् दूसरों की भलाई के लिए, अपनी कुछ चीज़ों का त्याग करना। तपस्या हमें सांकेतिक मनोभाव को बदलने में मदद करता है, हमेशा पर्यावरण को साझा करने, विनम्रता और सम्मान के साथ संबंधों को बनाये रखने हेतु प्रेरित करता है।

अपने संदेश को अंत करते हुए संत पापा ने कहा, “आशा है कि लौदातो सी समुदाय नई जीवन शैली को बढ़ावा देने में अपनी भागीदारी बखूबी निभाएगा।

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