पवित्र भूमि के धर्माध्यक्षों ने "प्राइस टैग" हमले का विरोध किया

पवित्र भूमि

ख्रीस्तीय धरोहर पर "प्राइस टैग" हमला करने वाले यहूदी चरमपंथियों पर करवाई नहीं किये जाने पर काथलिक धर्माध्यक्षों ने खेद प्रकट किया।

 पवित्र भूमि के धर्माध्यक्षों ने यहूदी चरमपंथियों द्वारा ख्रीस्तीय समुदायों के खिलाफ धमकी देने की निंदा की है।

विगत शुक्रवार को उत्तरी गलीलिया के जीश में अज्ञात हमलावरों ने कार को क्षतिग्रस्त किया एवं यहूदियों द्वारा ख्रीस्तियों के विरूद्ध नारे लिखे।  

12 जुलाई को, येरूसालेम के पूर्व में बेइट हनिना के संत जेम्स गिरजाघर में ख्रीस्तयाग में भाग लेने वाले ख्रीस्तियों पर, स्थानीय यहूदी लोगों ने टमाटर और अन्य वस्तुएँ फेंकी।  

जीश के मामले में, धमकियों को उन समूहों से जोड़ा जा रहा है जो हाल के वर्षों में तबघा, बेइट जमाल, लाट्रन और डॉर्मिशन में विभिन्न तरीकों से मस्जिदों या ख्रीस्तीय स्थलों को लक्ष्य बनाया था।

यह अपराध "प्राइस टैग" हमला के नाम से जाना जाता है जो फिलीस्तीन, ख्रीस्तियों एवं इस्राएली सुरक्षा बल के खिलाफ चरमपंथी यहूदियों का प्रतिशोध है जो अपने निवासियों के प्रति किसी भी कार्रवाई के खिलाफ आलोचना के लिए सटीक कीमत चुकाना चाहते हैं।  

प्राइस टैग हमला और ख्रीस्तीय मठों, गिरजाघरों एवं कब्रस्थानों को अपवित्र किये जाने की शुरूआत, फरवरी 2012 को शुरू हुई। उसी समय से चरमपंथी दलों द्वारा इस्लामिक धर्म के फिलिस्तीनी अरबों द्वारा मस्जिदों के खिलाफ लगातार हमले किये जा रहे हैं।

पवित्र भूमि के काथलिक अध्यादेशों की सभा ने शुक्रवार को एक बयान जारी किया जिसमें हो रहे अपराधिक कृत्यों के लिए दुःख और शोक व्यक्त किया गया। कहा जा रहा है कि कई शिकायतें दर्ज किये जाने पर भी उनपर कोई कार्रवाई नहीं की जाती है।

मई 2016 में इस्राएल में रब्बियों के मानव अधिकार की रक्षा हेतु गठित एक संगठन द्वारा इस्राएली राजनीतिक ताकतों के बीच जागृति लाने हेतु आंदोलन चलाया जा रहा है खासकर, जिसमें ख्रीस्तियों एवं मुस्लमानों को चरमपंथियों के हमले का शिकार होना पड़ता है।

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