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पीआइएमए की आमसभा प्रतिभागियों को संत पापा का संदेश
विदेशी मिशनों के लिए परमधर्मपीठीय संस्थान (पीआइएमए) की 15वीं आम सभा रोम में 28 अप्रील से ही शुरु हुई और 23 मई तक चलेगी। इसमें विदेशी मिशनों के मिशनरी पुरोहित और धर्मबहनें भाग ले रहे हैं।
संत पापा फ्राँसिस ने सोमवार 20 मई को वाटिकन के कार्डिनल मंडल भवन में विदेशी मिशनों के लिए परमधर्मपीठीय संस्थान (पीआइएमए) की आम सभा के प्रतिभागियों से मुलाकात की।
संत पापा ने संस्थान के फादर जेनरल को उनके परिचय भाषण के लिए धन्यवाद देते हुए सभी का गर्मजोशी से स्वागत किया। संत पापा ने संस्थापक महाधर्माध्यक्ष अंजेलो रामाजोत्ती को याद करते हुए इस संस्थान की शुरुआत के लिए धन्यवाद दिया जिन्होंने 170 साल पहले मिलान शहर में विदेशी मिशन के लिए एक सेमिनरी के रुप में शुरु की थी। उस समय के संत पापा पियुस नवें की इच्छा थी कि सभी धर्मप्रांत प्रभु के राज्य के विस्तार के लिए अपना सहयोग दें, उनकी पहुँच उन लोगों तक हो जो प्रभु येसु को नहीं जानते हैं। इस तरह विदेशी मिशनों में काम करने हेतु मिशनरियों की तैयारी हेतु फ्राँस के पेरिस और इटली के मिलान में सेमिनरी की स्थापना की गई।
मिशनरी कार्य
संत पापा ने कहा कि इन वर्षों में पीआइएमए का अपना स्वतंत्र मार्ग रहा है और इन वर्षों के दौरान अनेक नये धर्मसंघों की भी स्थापना हुई। वास्तव में पीआइएमए के पुरोहित धर्मसंघियों की तरह आजीवन व्रत धारण की प्रतिज्ञा नहीं लेते हैं, लेकिन मिशनरी गतिविधियों के लिए पूरा जीवन समर्पित करते हैं।
उनका पहला मिशन क्षेत्र ओशिनिया, भारत, बांग्लादेश, म्यांमार, हांगकांग और चीन था। उनके मिशन द्वारा अनेक पल्लियों और धर्मप्रांतों का गठन हुआ। स्थानीय कलीसिया की सेवा में अनेक पुरोहितों और धर्मसंघियों, धर्मबहनों ने अपनी बुलाहट को पहचाना और अपना जीवन समर्पित किया। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद आपने संयुक्त राज्य अमेरिका, जापान, गिनी-बिसाऊ, फिलीपींस, कैमरून, आइवरी कोस्ट, थाईलैंड, कंबोडिया, पापुआ न्यू गिनी, मेक्सिको, अल्जीरिया और चाड में अपनी उपस्थिति का विस्तार किया है।
मिशनरी शहीद
संत पापा ने उनके साहसिक कार्यों की सराहना करते हुए धन्य बत्तिस्ता मज्जूकोनी, धन्य मारियो वेरगारा, पापमोचक धन्य फादर पाओलो मन्ना और धन्य फादर क्लेमेंटे विसमारा एवं 19 शहीद मिशनरियों को याद किया जिन्होंने प्रभु के लिए अपने प्राणों का बलिदान दे दिया। संत पापा ने कहा, “आप "प्रेरितों के परिवार" के सदस्य हैं। इस अंतरराष्ट्रीय समुदाय में पुरोहित और लोकधर्मी एक साथ रहते और मिशनरी कार्यों को करते हैं। सुसमाचार का प्रचार करना आपकी संस्थान की सबसे बड़ी पहचान है।”
संत पापा ने विभिन्न देशों में मिश्नरी के रुप में जाकर उस देश की संस्कृति, भाषा, रीति-रिवाज में खुद को ढालने की क्षमता की सराहना की और कहा कि आप ईश्वर पर विश्वास करते हुए वर्तमान चुनौतियों का सामना करने का साहस रखते हैं।
संत पापा ने पुनः सुसमाचार की सेवा में उनके कामों के लिए धन्यवाद देते हुए उन्हें जारी रखने हेतु शुभकामनाएं दी। माता मरियम के संरक्षण में उन्हें सुपुर्द किया और प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।
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