प्रभु ईसा का रूपान्तर

सन्त मत्ती के अनुसार सुसमाचार
17: 1-9

छः दिन बाद ईसा ने पेत्रुस, याकूब और उसके भाई योहन को अपने साथ ले लिया और वह उन्हें एक ऊँचे पहाड़ पर एकान्त में ले चले।

उनके सामने ही ईसा का रूपान्तरण हो गया। उनका मुखमण्डल सूर्य की तरह दमक उठा और उनके वस्त्र प्रकाश के समान उज्ज्वल हो गये।

शिष्यों को मूसा और एलियस उनके साथ बातचीत करते हुए दिखाई दिये।

तब पेत्रुस ने ईसा से कहा, "प्रभु! यहाँ होना हमारे लिए कितना अच्छा है! आप चाहें, तो मैं यहाँ तीन तम्बू खड़ा कर दूगाँ- एक आपके लिए, एक मूसा और एक एलियस के लिए।"

वह बोल ही रहा था कि उन पर एक चमकीला बादल छा गया और उस बादल में से यह वाणी सुनाई पड़ी, "यह मेरा प्रिय पुत्र है। मैं इस पर अत्यन्त प्रसन्न हूँ; इसकी सुनो।"

यह वाणी सुनकर वे मुँह के बल गिर पडे़ और बहुत डर गये।

तब ईसा ने पास आ कर उनका स्पर्श किया और कहा, "उठो, डरो मत"।

उन्होंने आँखें ऊपर उठायी, तो उन्हें ईसा के सिवा और कोई नहीं दिखाई पड़ा।

ईसा ने पहाड़ से उतरते समय उन्हें यह आदेश दिया, "जब तक मानव पुत्र मृतकों मे से न जी उठे, तब तक तुम लोग किसी से भी इस दर्शन की चरचा नहीं करोगे"।

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