तिबेरियस के समुद्रतट पर दर्शन

सन्त योहन के अनुसार सुसमाचार
21:1-14

1) बाद में ईसा तिबेरियस के समुद्र के पास, अपने शिष्यों को फिर दिखाई दिये। यह इस प्रकार हुआ।

2) सिमोन पेत्रुस, थोमस जो यमल कहलाता था, नथनाएल, जो गलीलिया के काना का निवासी था, ज़ेबेदी के पुत्र और ईसा के दो अन्य शिष्य साथ थे।

3) सिमोन पेत्रुस ने उन से कहा, "मैं मछली मारने जा रहा हूँ"। वे उस से बोले, "हम भी तुम्हारे साथ चलते हैं"। वे चल पडे और नाव पर सवार हुये, किन्तु उस रात उन्हें कुछ नहीं मिला।

4) सबेरा हो ही रहा था कि ईसा तट पर दिखाई दिये; किन्तु शिष्य उन्हें नही पहचान सके।

5) ईसा ने उन से कहा, "बच्चों! खाने को कुछ मिला?" उन्होने उत्तर दिया, "जी नहीं"।

6) इस पर ईसा ने उन से कहा, "नाव की दाहिनी ओर जाल डाल दो और तुम्हें मिलेगा"। उन्होंने जाल डाला और इतनी मछलियाँ फस गयीं कि वे जाल नहीं निकाल सके।

7) तब उस शिष्य ने, जिसे ईसा प्यार करते थे, पेत्रुस से कहा, "यह तो प्रभु ही हैं"। जब पेत्रुस ने सुना कि यह प्रभु हैं, तो वह अपना कपड़ा पहन कर- क्योंकि वह नंगा था- समुद्र में कूद पडा।

8) दूसरे शिष्य मछलियेां से भरा जाल खीचतें हुये डोंगी पर आये। वे किनारे से केवल लगभग दो सौ हाथ दूर थे।

9) उन्होंने तट पर उतरकर वहाँ कोयले की आग पर रखी हुई मछली देखी और रोटी भी।

10) ईसा ने उन से कहा, "तुमने अभी-अभी जो मछलियाँ पकडी हैं, उन में से कुछ ले आओ।

11) सिमोन पेत्रुस गया और जाल किनारे खीचं लाया। उस में एक सौ तिरपन बड़ी बड़ी मछलियाँ थी और इतनी मछलियाँ होने पर भी जाल नहीं फटा था।

12) ईसा ने उन से कहा, "आओ जलपान कर लो"। शिष्यों में किसी को भी ईसा से यह पूछने का साहस नहीं हुआ कि आप कौन हैं। वे जानते थे कि वह प्रभु हैं।

13) ईसा अब पास आये। उन्होंने रोटी ले कर उन्हें दी और इसी तरह मछली भी।

14) इस प्रकार ईसा मृतकों में से जी उठने के बाद तीसरी बार अपने शिष्यों के सामने प्रकट हुये।

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