पेत्रुस की भावी निर्बलता

सन्त योहन के अनुसार सुसमाचार
13: 21-33, 36-38

21) यह कहते-कहते ईसा का मन व्याकुल हो उठा और उन्होंने कहा, मैं तुम लोगो से यह कहता हूँ तुम में से ही एक मुझे पकडवा देगा।

22) शिष्य एक दूसरे को देखते रहे। वे समझ नहीं पा रहे थे कि वे किसके विषय में कह रहे हैं।

23) ईसा का एक शिष्य, जिसे वे प्यार करते थे, उनकी छाती के सामने लेटा हुआ था।

24) सिमोन पेत्रुस ने उस से इशारे से यह कहा, "पूछो तो, वे किसके विषय में कह रहे हैं?"

25) इसलिये वह ईसा की छाती पर झुककर उन से बोला, "प्रभु! वह कौन है?"

26) ईसा ने उत्तर दिया, "मैं जिसे रोटी का टुकडा थाली में डुबो कर दूँगा वही है"। और उन्होंने रोटी डुबो कर सिमोन इसकारियोती के पुत्र यूदस को दी।

27) यूदस ने उसे ले लिया और शैतान उस में घुस गया। तब ईसा ने उस से कहा, "तुम्हे जो करना है, वह जल्द ही करो"।

28) भोजन करने वालों में कोई नहीं समझ पाया कि ईसा ने उस से यह क्यों कहा।

29) यूदस के पास थैली थी, इसलिये कुछ लोग यह समझते थे कि ईसा ने उस से यह कहा होगा कि हमें पर्व के लिये जो कुछ जो कुछ चाहिए, वह खरीदना या गरीबों को कुछ दान देना।

30 टुकड़ा लेकर यूदस तुरन्त बाहर चला गया। उस समय रात हो चली थी।

31) यूदस के चले जाने के बाद ईसा ने कहा, अब मानव पुत्र महिमान्वित हुआ और उसके द्वारा ईश्वर की महिमा प्रकट हुई।

32) यदि उसके द्वारा ईश्वर की महिमा प्रकट हुई, तो ईश्वर भी उसे अपने यहाँ महिमान्वित करेगा और वह शीघ्र ही उसे महिमान्वित करेगा।

33) बच्चों! मैं और थोडे ही समय तक तुम्हारे साथ हूँ। तुम मुझे ढूँढोगे और मैंने यहूदियों से जो कहा था, अब तुम से भी वही कहता हूँ - मैं जहाँ जा रहा हूँ, वहाँ तुम नहीं आ सकते।"

36) सिमोन पेत्रुस ने उन से कहा, "प्रभु! आप कहाँ जा रहे हैं"? ईसा ने उसे उत्तर दिया, "मैं जहाँ जा रहा हूँ, वहाँ तुम इस समय मेरे पीछे नहीं आ सकते। तुम वहाँ बाद में आओगे।

37) पेत्रुस ने उन से कहा, "प्रभु! मैं इस समय आपके पीछे क्यों नही आ सकता? मैं आपके लिये अपने प्राण दे दूँगा।"

38) ईसा ने उत्तर दिया, "तुम मेरे लिये अपने प्राण देागे? मैं तुम से यह कहता हूँ मुर्गे के बाँग देने से पहले ही तुम मुझे तीन बार अस्वीकार करोगे।

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