ईसा और इब्राहीम

सन्त योहन के अनुसार सुसमाचार
8: 51-59

मैं तुम लोगो से यह कहता हूँ - यदि कोई मेरी शिक्षा पर चलेगा, तो वह कभी नहीं मरेगा।" यहूदियों ने कहा, "अब हमें पक्का विश्वास हो गया है कि तुम को अपदूत लगा है। इब्राहीम और नबी मर गये, किन्तु तुम कहते हो- ‘यदि कोई मेरी शिक्षा पर चलेगा, तो वह कभी नहीं मरेगा’। क्या तुम हमारे पिता इब्राहीम से ही महान् हो? वह मर गये और नबी भी मर गये। तुम अपने को समझते क्या हो?" ईसा ने उत्तर दिया,"यदि मैं अपने को महिमा देता, तो उस महिमा का कोई महत्व नहीं होता। मेरा पिता मुझे महिमान्वित करता है। उसे तुम लोग अपना ईश्वर कहते हो, यद्यपि तुम उसे नहीं जानते। मैं उसे जानता हूँ। यदि मैं कहता कि उसे नहीं जानता, तो मैं तुम्हारी तरह झूठा बन जाता। किन्तु मैं उसे जानता हूँ और उसकी शिक्षा पर चलता हूँ। तुम्हारे पिता इब्राहीम यह जान कर उल्लसित हुए कि वह मेरा आगमन देखेंगे और वह उसे देख कर आनन्दविभोर हुए।" यहूदियों ने उन से कहा, "अब तक तुम्हारी उम्र पचास भी नहीं, तो तुमने कैसे इब्राहीम को देखा है?" ईसा ने उन से कहा, "मैं तुम लोगों से यह कहता हूँ - इब्राहीम के जन्म लेने के पहले से ही मैं विद्यमान हूँ"। इस पर लोगों ने ईसा को मारने के लिए पत्थर उठाये, किन्तु वह चुपके से मन्दिर से निकल गये।

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