सत्य तुम्हें स्वतन्त्र बना देगा

सन्त योहन के अनुसार सुसमाचार
8: 31-42

जिन यहूदियों ने उन में विश्वास किया, उन से ईसा ने कहा, "यदि तुम मेरी शिक्षा पर दृढ़ रहोगे, तो सचमुच मेरे शिष्य सिद्ध होगे। तुम सत्य को पहचान जाओगे और सत्य तुम्हें स्वतन्त्र बना देगा।" उन्होंने उत्तर दिया, "हम इब्राहीम की सन्तान हैं, हम कभी किसी के दास नहीं रहे। आप यह क्या कहते हैं- तुम स्वतन्त्र हो जाओगे?" ईसा ने उन से कहा, "मै तुम से यह कहता हूँ - जो पाप करता है, वह पाप का दास है। दास सदा घर में नहीं रहता, पुत्र सदा रहता है। इसलिए यदि पुत्र तुम्हें स्वतन्त्र बना देगा, तो तुम सचमुच स्वतन्त्र होगे। "मैं जानता हूँ कि तुम लोग इब्राहीम की सन्तान हो। फिर भी तुम मुझे मार डालने की ताक में रहते हो, क्योंकि मेरी शिक्षा तुम्हारे हृदय में घर नहीं कर सकी। मैंने अपने पिता के यहाँ जो देखा है, वही कहता हूँ और तुम लोगों ने अपने पिता के यहाँ जो सीखा है, वही करते हो।" उन्होंने उत्तर दिया, "इब्राहीम हमारे पिता हैं"। इस पर ईसा ने उन से कहा, "यदि तुम इब्राहीम की सन्तान हो, तो इब्राहीम-जैसा आचरण करो। अब तो तुम मुझे इसलिए मार डालने की ताक में रहते हो कि मैंने जो सत्य ईश्वर से सुना, वह तुम लोगों को बता दिया। यह इब्राहीम-जैसा आचरण नहीं है। तुम लोग तो अपने ही पिता-जैसा आचरण करते हो।" उन्होंने ईसा से कहा, "हम व्यभिचार से पैदा नहीं हुए। हमारा एक ही पिता है और वह ईश्वर है।"ईसा ने यहूदियों से कहा, "यदि ईश्वर तुम्हारा पिता होता, तो तुम मुझे प्यार करते, क्योंकि मैं ईश्वर से उत्पन्न हुआ हूँ और उसके यहाँ से आया हूँ। मैं अपनी इच्छा से नहीं आया हूँ, मुझे उसी ने भेजा है।

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