साइबर सुरक्षा पर चिंतन

सबसे पहले हम लोग बात करेंगे की साइबर क्राइम या अपराध क्या है। साइबर अपराध एक एसा अपराध है जिस में कंप्यूटर और नेटवर्क शामिल है। अगर हम इसे सामन्य शब्दों में कहें तो “साइबर क्राइम एक ऐसा अपराध है जिसमे कंप्यूटर,  इन्टरनेट ,सॉफ्टवेर आदि तकनीकों का इस्तेमाल करते हुए किसी  दुसरे व्यक्ति कंपनी आदि को  किसी भी तरह का नुकसान पंहुचाना साइबर क्राइम  या अपराध  कहलाता है” चाहे उसमे निजी जानकारी चुराना हो या फिर जानकारी मिटाना। आज कल ज्यादातर लोग इन्टरनेट कंप्यूटर मोबाइल आदि का उपयोग करते है ऐसे में कई लोग जाने अनजाने में ऐसी गलतियाँ कर बैठते हैं जो की साइबर क्राइम के अन्तर्गत आता है।

श्रोता साथियों अब हमें विचार करना है कि साइबर सुरक्षा क्या है ? साइबर सुरक्षा (सीएस) प्रभाग साइबर सुरक्षा और दूरसंचार सुरक्षा पर समग्र नीति के तहत दूरसंचार नेटवर्क सुरक्षा से संबंधित गतिविधियों के लिए उत्तरदायी है। दूरसंचार विभाग, गृह मंत्रालय और अन्य साइबर सुरक्षा एजेंसियों के साथ समन्वय रखना।

साथियों, नई दिल्ली में आयोजित वैश्विक साइबर सम्मेलन (जीसीसीएस- ग्लोबल कॉन्फ्रेंस ऑन साइबर स्पेस) से साइबर सुरक्षा की महत्वपूर्ण चुनौती पुन: चर्चा के केंद्र में आई है। जीसीसीएस का यह पांचवा संस्करण है, लेकिन इसका इतने बड़े पैमाने पर पहले कभी आयोजन नहीं हुआ। पहली बार इसमें 124 देशों के प्रतिनिधि शिरकत की। इस कॉन्फ्रेंस में 10 हजार से अधिक अंतरराष्ट्रीय नेता, नीति निर्माता, औद्योगिक विशेषज्ञ, थिंक टैंकों के सदस्य और साइबर जानकार आये। उनकी चर्चा से जो बातें सामने आयी, वो खासकर भारत के लिए बहुत उपयोगी हैं, जहां डिजिटल तकनीक का इस्तेमाल बढ़ाने को सरकार ने अपना मिशन बनाया हुआ है।

भारत सरकार तमाम जरूरी सेवाओं को 'आधार से जोड़ने, बैंकिंग व वित्तीय लेन-देन को अधिक से अधिक डिजिटल तकनीक पर आधारित करने, ई-कॉमर्स को बढ़ावा देने, यहां तक कि शिक्षा में ई-बस्ता और ई-पाठशाला जैसी परियोजनाओं को लागू करने की महत्वाकांक्षी योजनाओं को आगे बढ़ा रही है। इसमें वह तभी सफल हो सकती है, जब इंटरनेट से जुड़े तमाम क्षेत्रों में अभेद्य सुरक्षा सुनिश्चित हो। लेकिन साइबर सुरक्षा का दायरा वैश्विक है। इस तकनीक की प्रकृति ऐसी है कि कहीं बैठा हुआ कोई शख्स किसी दूसरे देश में भी उथल-पुथल मचा सकता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस आह्वान को इसी संदर्भ में देखा जाना चाहिए कि हमारे समाज के कमजोर तबके साइबर अपराधियों का शिकार न बन जाएं, विश्व समुदाय को इसे जरूर सुनिश्चित करना चाहिए। 

दरअसल, इंटरनेट ने आमजन को असीमित सुविधाएं तो दी हैं, लेकिन इसकी वजह से कई खतरे भी खड़े हुए हैं। उनमें आतंकवादी मकसदों से इस माध्यम का इस्तेमाल भी एक है। जीसीसीएस का उद्घाटन करते हुए मोदी ने इस तरफ ध्यान खींचा। कहा कि डिजिटल स्पेस को आतंकवाद और चरमपंथ की काली ताकतों के खेल का मैदान नहीं बनने दिया जाना चाहिए। भारत के रुख को और स्पष्ट करते हुए सूचना तकनीक मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि भारत इस सम्मेलन के जरिए दो प्रमुख संदेश देना चाहता है- 'सुरक्षित साइबर-सुरक्षित दुनिया और 'समावेशी साइबर-विकसित दुनिया। स्पष्टत: भारत चाहता है कि यह आयोजन साइबर स्पेस पर सार्थक भागीदारी और संवाद का मंच बने। साइबर स्पेस से मोटे तौर पर आशय कंप्यूटर नेटवर्कों के विश्वव्यापी जाल से है। इस नेटवर्किंग के जरिए एक आभासी दुनिया बनी है। यानी एक ऐसा विश्व, जिसका भौतिक अस्तित्व नजर नहीं आता, लेकिन जो आज तमाम संपर्कों का माध्यम है। आज हमारी तमाम गतिविधियां इसी दुनिया के जरिए संचालित हो रही हैं। अपराधी इसमें सेंध लगाकर एक साथ अनगिनत लोगों को नुकसान पहुंचाते हैं, निजता में दखल देते हैं। पिछले वर्ष अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के बाद सामने आया कि ऐसे अपराधों के सियासी आयाम भी हो सकते हैं। इसलिए साइबर दुनिया को सुरक्षित बनाना आज विश्व की प्राथमिक चुनौती है।

रोज़ साइबर हमले होते है, जिसका एक साथ दुनिया के बहुत से देशों पर असर पड़ता है। साइबर अपराधियों ने लूट-खसोट का यह नया तरीका निकाला है। इसके तहत वे कंप्यूटर सिस्टमों को जाम करने वाले मॉलवेयर (एक प्रकार का वायरस सॉफ्टवेयर) इंटरनेट पर फैला देते हैं। जो भी अपने सिस्टम पर उससे आए संदेश को देखता है, उसका सिस्टम उससे पीड़ित हो जाता है। उसके बाद हैकर उससे लॉक हो गए सिस्टम को खोलने के बदले एक खास रकम मांगते हैं। अनुमान है कि पिछले महीने दुनिया के विभिन्न् देशों में हुए वानाक्राई रैनसमवेयर हमले से उन्होंने करोड़ डॉलर की वसूली की। अब फिर ऐसा हमला हुआ है। अनेक देशों की दर्जनों कंपनियां इससे प्रभावित हुई हैं। इसका सबसे बुरा असर यूक्रेन पर पड़ा है। भारत भी प्रभावित हुआ है। इस बार का वायरस भी उसी ढंग से असर कर रहा है, जैसा वानाक्राई रैनसमवेयर ने किया था। हालांकि मिली जानकारी के मुताबिक अपराधियों ने वायरस को अपडेट किया है। वायरस के नए वर्जन को पेट्रवैप कहा गया है। 

अब साफ है कि गुजरते वक्त के साथ साइबर हमले ज्यादा खतरनाक होते जा रहे हैं। दुनिया में हाल के वर्षों में आतंकवाद से लड़ने का नया इरादा दिखा है। लेकिन हैरानी है कि साइबर अपराध को लेकर वैसे उपाय नहीं हुए, जिससे साइबर हमलों को रोका जा सके। जबकि जान-बूझकर फैलाए गए वायरस का असर मारक है। अनुमान है कि इसी तरह रैनसमवेयर के हमले जारी रहे और उसका असर भारतीय कंपनियों के कामकाज पर पड़ता रहा, तो आने वाले समय में भारत को हजारों करोड़ रुपए का नुकसान हो सकता है। गौरतलब है कि साइबर हमलावर बिटक्वाइन में फिरौती मांगते हैं। इस समय दुनिया में एक बिटक्वाइन की कीमत 1,710 डॉलर है। यानी किसी कंपनी से 100 बिटक्वाइन भी बतौर फिरौती मांग गई, तो एक करोड़ रुपए से अधिक की रकम उसे चुकानी होगी। 

जानकारों के मुताबिक बिटक्वाइन का इस्तेमाल कालाधन, हवाला व आतंकी गतिविधियों के लिए किया जा रहा है। अब ये राय बनी है कि इन्हीं धंधों से जुड़े अपराधी रैनसमवेयर हमलों को भी संचालित कर रहे हैं। यानी साइबर हमले किसी शौकिया हैकर का काम नहीं रह गए हैं। इसके आयाम व्यापक हैं। इससे दुनिया में अस्थिरता व अशांति का बड़ा खतरा है। पिछले माह जब रैनसमवेयर का बड़ा हमला हुआ, तो भारत सरकार ने साइबर सुरक्षा पुख्ता करने के लिए एक समिति का गठन किया था। उसमें साइबर विशेषज्ञ शामिल हैं। लेकिन ऐसी कोशिश अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर करनी होगी। जिस तरह भारत आतंकवाद के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय संधि की मुहिम चला रहा है, अब वक्त है कि वैसा ही अभियान साइबर सुरक्षा हेतु अंतरराष्ट्रीय सहयोग के लिए चलाया जाए। दो महीनों के अंदर दूसरे साइबर हमले से यही सबक लिया जाना चाहिए। वरना, दुनिया के तमाम देशों की सुरक्षा और आम कारोबार के लिए खतरा बढ़ता जाएगा।

आधुनिक दौर में साइबर क्राइम तेजी से फैल रहा है। ज्यादा से ज्यादा जागरुकता ही इसका बचाव है। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया पर युवा सबसे ज्यादा सक्रिय हैं और जानकारी के अभाव में वे साइबर क्राइम के शिकार हो जाते हैं। जरूरी है कि उन्हें इससे जुड़े बेसिक तथ्यों की जानकारी दी जाए, ताकि वे इससे बच सकें। 2 घंटे तक चले प्रश्न-उत्तर के दौर में अध्यापकों ने सवाल उठाया कि सोशल साइट पर किस तरह से पोस्ट किया। अनजान व्यक्ति से बात करनी चाहिए या नहीं करनी चाहिए। अगर कोई साइबर क्राइम का शिकार हो जाए तो उसे तुरंत क्या करना चाहिए। साइबर टीम के एक्सपर्ट ने बताया कि निजी फोटो व वीडियो को साइट पर डालने से बचना चाहिए। अनजान व्यक्ति से संपर्क बढ़ाने से पहले उसके बारे में जानें और संदेह होने पर उससे बात न करें। साइबर क्राइम का शिकार होने पर तत्काल साइबर सेल में शिकायत दर्ज कराएं।

साथियों, साइबर क्राइम से बचाव के लिए जागरूकता ही सबसे बड़ा हथियार है। हम सब इस बात से अवगत हो जाए कि साइबर क्राइम के प्रति जागरूकता के मामले में अमेरिका पहले स्थान पर है।

मित्रों,जैसे हम अपने जीवन में अपनी सुरक्षा के उपाय खुद करते हैं, ठीक उसी तरह वर्चुअल दुनिया में भी सुरक्षा के उपाय करने होंगे।

साइबर तकनीक का इस तरह दुरुपयोग देखते हुए अब विशेषज्ञ भी खासे चिंतित हैं। आज कम्प्यूटर का उपयोग करने वाला हर व्यक्ति कम्प्यूटर वायरस के हमले के बारे में जानता है। जब यह खतरा बड़े पैमाने पर हो तो इसकी भयावहता और दुष्परिणाम के बारे में सहजता से समझा जा सकता है ।

आज रेलवे, एयरलाइंस, बैंक, स्टॉक मार्केट, हॉस्पिटल के अलावा सामान्य जनजीवन से जुड़ी हुई सभी सेवाएं कम्प्यूटर नेटवर्क के साथ जुडी हैं, इनमें से तो कई पूरी तरह से इंटरनेट पर ही आश्रित हैं, यदि इनके नेटवर्क के साथ छेड़-छाड़ की गयी, तो क्या परिणाम हो सकते हैं यह बयान करने की नहीं अपितु समझने की बात है।

प्यारे श्रोता साथियों मैं आप से अंत सिर्फ इतना कहता चाहती हु कि अगर हमें साइबर क्राइम से बचाव हैं तो हमारे पास एक ही रास्ता है। और वह है साइबर क्राइम  के प्रति जागरूक होना। धन्यवाद !!!!!

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