अविश्वासी यहूदियों को चेतावनी

सन्त योहन के अनुसार सुसमाचार
8: 21-30

ईसा ने फिर लोगों से कहा, "मैं ज रहा हूँ। तमु लोग मुझे ढूँ़ढोगे, किन्तु तुम पाप की स्थिति में मर जाओगे। मैं जहाँ जा रहा हूँ, तुम वहाँ नहीं आ सकते।" इस पर यहूदियों ने कहा, "कहीं यह आत्महत्या तो नहीं करेगा? यह तो कहता है- ‘मैं जहाँ जा रहा हूँ, तुम वहाँ नहीं आ सकते’।" ईसा ने उन से कहा, "तुम लोग नीचे के हो, मैं ऊपर का हूँ। तुम इस संसार के हो, मैं इस संसार का नहीं हूँ। इसलिए मैंने तुम से कहा कि तुम पाप की स्थिति में मर जाओगे। यदि तुम विश्वास नहीं करते कि मैं वही हूँ, तो तुम पाप की स्थिति में मर जाओगे।’ तब लोगों ने उन से पूछा, "आप कौन हैं?" ईसा ने उत्तर दिया, "इसके विषय में तुम लोगों से और क्या कहूँ? मैं तुम लोगों को बहुत सी बातों में दोषी ठहरा सकता हूँ। किन्तु मैं संसार को वही बताता हूँ, जो मैंने उस से सुना है, जिसने मुझे भेजा; क्योंकि वह सच्चा है।" वे नहीं समझ रहे थे कि वे उन से पिता के विषय में कह रहे हैं। इसलिए ईसा ने कहा, "जब तुम लोग मानव पुत्र को ऊपर उठाओगे, तो यह जान जाओगे कि मैं वही हूँ और मैं अपनी ओर से कुछ नहीं करता। मैं जो कुछ कहता हूँ, वैसे ही कहता हूँ, जैसे पिता ने मुझे सिखाया है। जिसने मुझ को भेजा, वह मेरे साथ है। उसने मुझे अकेला नहीं छोड़ा; क्योंकि मैं सदा वही करता हूँ, जो उसे अच्छा लगता है।" बहुतों ने उन्हें यह सब कहते सुना और उन में विश्वास किया।

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