ईश वचन का रविवार : जागने का दिन।

संत पिता फ्राँसिस द्वारा स्थापित ईश वचन रविवार, जिसको पूजन पद्धति के तीसरे सामान्य रविवार को मनाया जाता है, धर्माध्यक्षों एवं विश्वासियों को, ख्रीस्तीय जीवन में पवित्र धर्मग्रंथ के मूल्य और महत्व का स्मरण दिलाता है। यह ईश वचन एवं धर्मविधि (जैसे – ख्रीस्त जयन्ती) के बीच संबंध को दर्शाता है कि हम एक प्रजा हैं, इतिहास के द्वारा तीर्थयात्रा कर रहे हैं, हमारे बीच उपस्थित प्रभु के पोषित होते हैं जो हमसे बोलते और हमें तृप्त करते हैं।
ईश वचन रविवार को हर साल पूजन पद्धति वर्ष के तीसरे सामान्य रविवार को मनाया जाता है जिसकी स्थापना संत पापा फ्राँसिस ने मोतू प्रोप्रियो के रूप में प्रकाशित अपने प्रेरितिक पत्र "अपेरूइत इल्लीस" के द्वारा 30 सितम्बर 2019 को की थी। संत पापा के अनुसार इस दिन को ईश वचन पर चिंतन एवं इसके प्रचार के दिन के रूप में मनाया जाए। 

हमारे जीवन में पवित्र धर्मग्रंथ का महत्व:-
दिव्य उपासना एवं संस्कारों के अनुशासन हेतु गठित परमधर्मपीठीय धर्मसंघ द्वारा जारी एक टिप्पणी (नोट) में कहा गया है कि पवित्र बाईबिल को समर्पित दिवस को एक वार्षिक अवसर के रूप में नहीं बल्कि साल भर के अवसर के रूप में देखा जाना चाहिए क्योंकि हमें धर्मग्रंथ के ज्ञान और पुनर्जीवित प्रभु के प्रति प्रेम में बढ़ना है जो विश्वासी समुदाय में बोलते एवं रोटी तोड़ते हैं। यही कारण है कि हमें पवित्र बाईबिल के साथ नजदीकी स्थापित करना है अन्यथा हमारा हृदय ठंढ़ा रह जाएगा और हमारी आँखें बंद।
दिव्य उपासना एवं संस्कारों के अनुशासन हेतु गठित परमधर्मपीठीय धर्मसंघ के अध्यक्ष कार्डिनल रोबर्ट साराह एवं सचिव महाधर्माध्यक्ष अर्तर रोक ने विश्वासियों को सलाह दी है कि वे इस रविवार को, कलीसिया के दस्तावेजों को फिर एक बार पढ़ें, खासकर, प्राएनोतांदा ऑफ द ऑर्दो लेक्सयुम मिस्साए को, जो पवित्र मिस्सा में घोषित ईश वचन के ईशशास्त्रीय, धर्मविधिक एवं प्रेरितिक सिद्धांत को प्रस्तुत करता है। यह अन्य धर्मविधि समारोहों के लिए भी मान्य है।

धर्मग्रंथ का सम्मान:-

1. धर्मविधि में बाईबिल से लिए गये पाठों के माध्यम से ईश्वर अपनी प्रजा से बोलते हैं और स्वयं ख्रीस्त सुसमाचार में अपने आप को प्रकट करते हैं। ख्रीस्त ही धर्मग्रंथ (पुराने एवं नये व्यवस्थान) की पूर्णता एवं केंद्रविन्दु हैं। सुसमाचार सुनना, वचन समारोह का मुख्य बिन्दु है, जिसके द्वारा विशेष सम्मान प्रकट किया जाता है। यह सम्मान न केवल सुसमाचार की घोषणा एवं भाव से बल्कि सुसमाचार की पुस्तक द्वारा भी प्रकट होता है, अतः इस रविवार को प्रवेश के समय सुसमाचार की पवित्र पुस्तक का प्रोशेसन किया जाना चाहिए अथवा सुसमाचार को वेदी पर स्थापित किया जाना चाहिए।

2. कलीसिया मिस्सा पाठ ग्रंथ को इस क्रम में व्यवस्थित करती है कि वह पूरे ईश वचन को समझने का मार्ग प्रसस्त करे। अतः यह आवश्यक है कि निर्धारित पाठों का सम्मान किया जाए, उनके स्थान में दूसरे पाठ रखे बिना अथवा उन्हें हटाये बिना। उन्हीं संस्करणों का प्रयोग किया जाए जिन्हें प्रयोग की मान्य दी गई हो। पाठ की घोषणा उपस्थित विश्वासियों की एकता को दर्शाता है जो उसे सुनते हैं। ईश वचन की धर्मविधि के ढांचे एवं उद्देश्य को समझना, सभा को ईश्वर के मुक्तिदायी वचन को ग्रहण करने में मदद देता है।   

3. भजन अनुवाक्य जो प्रार्थना में कलीसिया का प्रत्युत्तर है उसे गाने की सिफारिश की  गयी है।

4. उपदेश में, साल भर बाईबिल पाठ से शुरू करते हुए, विश्वास के रहस्य और ख्रीस्तीय जीवन के मानदंड की व्याख्या की जानी चाहिए। पवित्र धर्मग्रंथ की व्याख्या करने एवं उसे समझने में मदद करने हेतु पुरोहित सबसे पहले जिम्मेदार हैं। धर्माध्यक्ष, पुरोहित और उपयाजक अपने मिशन को विशेष भक्ति से पूरा करें तथा कलीसिया द्वारा प्रस्तावित माध्यमों का ही प्रयोग करें।

5. ईश वचन को आत्मसात करने के लिए मौन को खास महत्व दिया गया है और मनन-चिंतन करने की सलाह दी गई है।

6. कलीसिया उन लोगों पर विशेष ध्यान देती है जो विश्वासी समुदाय के लिए ईश वचन की घोषणा करते हैं। अतः पुरोहित, उपयाजक एवं पाठ पढ़नेवालों को विशेष आंतरिक एवं बाह्य तैयारी की जरूरत है ताकि वे उसे किसी तरह नहीं बल्कि स्पष्ट रूप से प्रस्तुत कर सकें।  

7. ईश वचन के महत्व के कारण कलीसिया अम्बो (रीडिंग स्टैंड) पर विशेष ध्यान देने का निमंत्रण देती है जहाँ से ईश वचन की घोषणा की जाती है। यह कोई साधारण फर्निचर नहीं है बल्कि एक ऐसा स्थान है जहाँ वेदी की समानता में सम्मान के साथ ईश वचन को रखा जाता है। वास्तव में, हम इसे ईश वचन की मेज और ख्रीस्त के शरीर की मेज पुकारते हैं। अम्बो का प्रयोग, पाठ पढ़ने, भजन अनुवाक्य गाने, पास्का जयघोष करने, उपदेश देने एवं विश्वासियों के निवेदन पढ़ने के लिए किया जा सकता है। गायन, सूचना या गायन के निर्देशन के लिए अम्बो का प्रयोग कम उपयुक्त है।

8. पाठ संग्रह की किताब उन लोगों में ईश्वर के रहस्य के प्रति भक्ति जगाती है जो अपनी प्रजा से बोलते हैं। यही कारण है कि वे किताबें अच्छी गुणवत्ता की हों एवं सही तरीके से प्रयोग किया जाए। यह उचित नहीं है कि धर्मविधि की किताबों के स्थान पर पेपर, पत्रिका, फोटोकॉपी या अन्य चीजों का सहारा लिया जाए।

9. पवित्र धर्मग्रंथ समरोह के महत्व पर प्रकाश डालते हुए ईश वचन रविवार के पहले दिन प्रशिक्षण सभा को बढ़ावा दिया जाता है जिसमें सही तरीके से पाठ पढ़ना सिखाया जाए।  

10. ईश वचन का रविवार पवित्र धर्मग्रंथ एवं पवित्र घड़ी, स्तोत्र पाठ एवं कलीसिया की प्रार्थना एवं बाईबिल पाठ के बीच संबंध को गहरा करने का उपयुक्त अवसर हो सकता है। इसके लिए प्रातः वंदना (लॉड्स) और संध्या वंदना (वेस्पर्स) को एक साथ समुदाय में करने को प्रोत्साहन दिया जाता है।

दिव्य उपासना एवं संस्कारों के अनुशासन के लिए गठित धर्मसंघ द्वारा जारी टिप्पणी का उद्देश्य है   – ईश वचन रविवार के आलोक में, ख्रीस्तीय विश्वासियों के जीवन में पवित्र बाईबिल के महत्व के प्रति जागृति लाना।

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