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स्वस्थ पर्यावरण पर हरेक व्यक्ति का अधिकार, पोप फ्रांसिस।
यूरोप की समिति को प्रेषित एक संदेश में, संत पिता फ्राँसिस ने हमारे आमघर की रक्षा के लिए तत्काल कार्रवाई हेतु अपने आह्वान को दोहराया। यह संदेश जलवायु परिवर्तन पर कोप 26 की तैयारी में परिषद की सभा द्वारा आयोजित पर्यावरण और मानवाधिकारों पर चर्चा के एक पैनल के अवसर पर भेजा गया है।
ग्लासगो में कोप 26 शिखर सम्मेलन के पूर्व, यूरोपीय समिति ने बुधवार को "पर्यावरण और मानवाधिकार" विषय पर एक उच्च स्तरीय पैनल और बहस का आह्वान किया है। 27 से 30 सितंबर 2021 तक स्ट्रासबर्ग में होनेवाले इसके शरद सत्र का फोकस "सुरक्षित, स्वस्थ और टिकाऊ पर्यावरण का अधिकार" होगा।
बुधवार को प्रतिभागियों को प्रेषित एक वीडियो संदेश में पोप फ्राँसिस ने इस मूलभूत मुद्दे पर पहल और यूरोप परिषद के प्रयासों की सराहना की और हमारे आम घर की देखभाल के लिए तत्काल कार्रवाई हेतु अपना आह्वान दोहराया।
उन्होंने कहा, "परमधर्मपीठ यद्यपि एक पर्यवेक्षक राष्ट्र है, इस संबंध में संगठन की सभी गतिविधियों पर विशेष ध्यान देता है", "इस विश्वास से कि हर ठोस पहल और निर्णय जो हमारे ग्रह के स्वास्थ्य का सामना करनेवाली नाटकीय स्थिति में सुधार कर सकता है, इसका समर्थन और मूल्यवान होना चाहिए।"
पृथ्वी सबसे बड़ा संसाधन है जिसको ईश्वर ने हमें प्रदान किया है
संत पिता फ्राँसिस ने 25 नवम्बर 2014 को दिये अपने पहले के भाषण की याद की जिसमें उन्होंने याद किया कि पृथ्वी सबसे बड़ा संसाधन है जिसको ईश्वर ने हमें दिया है और हमारा कर्तव्य है कि हम इसे विकृत, शोषित और अपमानित न करें ताकि हम इस पृथ्वी पर सम्मान के साथ जी सकेंगे।
संत पिता फ्राँसिस ने अपने प्रेरितिक पत्र "लौदातो सी" का हवाला देते हुए हमारे आमघर की देखभाल के महत्व को एक सार्वभौमिक सिद्धांत के रूप में प्रकाश डाला जो न केवल ख्रीस्तियों के लिए है बल्कि सद इच्छा रखनेवाले सभी लोगों के लिए जो अपने हृदयों में पर्यावरण की रक्षा करने की सोच रखते हैं।
कोप-26 के लिए "वैध योगदान" के रूप में बहस के आयोजन की सराहना करते हुए, पोप फ्रांसिस ने कहा कि यूरोप की परिषद की कोई भी पहल यूरोपीय महाद्वीप तक सीमित नहीं होनी चाहिए, बल्कि "पूरी दुनिया तक पहुंचनी" चाहिए।
उन्होंने कहा कि यही कारण है कि, मौलिक मानवाधिकारों के सम्मान के लिए पर्यावरण की देखभाल को जोड़ने हेतु एक नया कानूनी ढांचा बनाने के लिए परिषद के दृढ़ संकल्प की, परमधर्मपीठ विशेष रूप से सराहना करता है।
संदेश में यह भी कहा गया है कि जब मानव प्राणी खुद को विश्व का स्वामी मानता और इसकी देखभाल के लिए जिम्मेदारी नहीं लेता, तब वह किसी भी तरह की बर्बादी को न्यायसंगत ठहराता है और दूसरे व्यक्ति एवं प्रकृति को सिर्फ एक वस्तु के रूप में देखता है, इस तरह वह सभी लोगों के जीने एवं पूर्ण रूप से विकास करने के मौलिक अधिकार से इंकार करता है।
अतः संत पिता फ्राँसिस ने आधुनिक उपभोक्तावाद के खिलाफ चेतावनी दी है जिसने बहुत अधिक बर्बादी लाया है और उन्होंने बदलाव का आह्वान किया है।
उन्होंने कहा, "सब कुछ जुड़ा हुआ है और राष्ट्रों के एक परिवार के समान हमें आम चिंता करने और यह देखने की जरूरत है कि पर्यावरण साफ, शुद्ध और सुरक्षित रहे। प्रकृति की देखभाल की जाए ताकि यह हमारी भी देखभाल करेगी।"
इस तरह संदेश में संत पिता फ्राँसिस ने व्यक्तिगत एवं सामूहिक जिम्मेदारी पर जोर दिया है ताकि हरेक व्यक्ति की सुरक्षा, स्वास्थ्य और टिकाऊ पर्यावरण के अधिकार को सुनिश्चित किया जा सके, खासकर, भावी पीढ़ी के लिए।
अंत में, संत पिता फ्राँसिस ने आशा व्यक्त की है कि यूरोप की समिति की आमसभा "एक स्वस्थ, निष्पक्ष और अधिक टिकाऊ दुनिया के निर्माण के लिए आवश्यक सभी पहलों को दृढ़-संकल्प के साथ पहचानने, बढ़ावा देने और लागू करने में सक्षम हो।"
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