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संत पिता फ्राँसिस ने फिदेस्को संगठन के संचालकों मुलाकात की
संत पिता फ्राँसिस ने 20 मार्च को फिदेस्को संगठन के संचालकों एवं स्वयंसेवकों से मुलाकात की, जो कलीसिया की सेवा एवं विकास में सहयोग देने हेतु संगठन की स्थापना की 40वीं वर्षगाँठ के उपलक्ष्य में तीर्थयात्रा पर रोम आये हैं।
फिदेस्को संगठन एक काथलिक गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) है जो विश्व के दक्षिणी देशों में विकास योजनाओं को स्वेच्छापूर्ण सहयोग देता है। इसकी स्थापना 40 वर्षों पहले 1981 में एम्मानुएल समुदाय के द्वारा हुई थी। इसके द्वारा जाति, धर्म या संस्कृति का भेदभाव किये बिना शिक्षा, भवन निर्माण, स्वास्थ्य, कृषि, शरणार्थी शिविर एवं गली के बच्चों के लिए स्थापित केंद्रों की जरूरतों को पूरा किया जाता है।
गरीबों में प्रभु का दुःखभोग
संत पिता ने उन्हें सम्बोधित कर कहा, "अपने आपको ईश्वर के द्वारा प्रेम किये जाने देना और उसी प्रेम से लोगों को प्यार करना जैसा कि उन्होंने पहले हमें किया, व्यक्ति के जीवन की मौलिक प्रतिक्रिया है और इसी प्रतिक्रिया में वह अपने हृदय में दूसरों की भलाई चाहता और उसकी खोज करता है।"उन्होंने कहा, "यही "दूसरों की भलाई" है जिसकी खोज आप करते हैं और पवित्र आत्मा की प्रेरणा से कुछ वर्षों तक फिदेस्को संगठन के साथ रहकर आप दूर, कम सौभाग्यशाली एवं कम अवसर वाले भाई-बहनों की सेवा करते हैं।कलीसिया इन दिनों प्रभु के दुःखभोग पर चिंतन कर रही है। पीड़ित ख्रीस्त, गरीबों, बहिष्कृत, बीमार और भूखे लोगों में उपस्थित हैं जो उनके साथ क्रूस के रहस्य को धारण करते हैं। संत पिता ने सलाह दी कि वे इस दुःखभोग पर चिंतन करने के द्वारा अपने मिशन के लिए शक्ति प्राप्त करें।
संत पिता ने उन्हें निमंत्रण दिया कि जब वे अपने मिशन में होंगे, प्रभु के साथ संयुक्त होंगे एवं विश्वास के जीवन को जीयेंगे तो भाईचारा के सुसमाचार को जीने के उत्साह, सम्मोहन एवं विस्मय को बनाये रखें। उन्होंने कहा कि एकाकी, निराशा एवं निरूत्साह के समय में हमें इसकी जरूरत होती है।
सर्वांगीण विकास
संत पिता ने फिदेस्को के 40 वर्षों के मिशनरी कार्यों एवं ख्रीस्त के साक्ष्यों के लिए फिदेस्को के सदस्यों को धन्यवाद दिया और प्रोत्साहन दिया कि वे कलीसिया के सामाजिक धार्मिक सिद्धांत पर आधारित होकर इस रास्ते को चलते रहें। उन्होंने कहा, "यह पहले से कहीं आज अधिक आवश्यक है कि ख्रीस्त के विश्वासी उनकी कोमलता एवं दया का साक्ष्य दें। गरीबों की आवाज जो हमारे अंदर गूँजती है हमें दूसरों की पीड़ा से द्रवित होने एवं दूर जाकर उनके घावों (जो ख्रीस्त के घाव हैं) का स्पर्श करने का निर्णय लेने की शक्ति देती है। न केवल अधिक सुन्दर, अधिक भाईचारापूर्ण एवं अधिक सुसमाचारी विश्व के निर्माण में सहभागी होने बल्कि ईश्वर के राज्य की स्थापना करने हेतु कलीसिया के मिशन को बल प्रदान करने के लिए।"
व्यक्तिगत विकास
संत पिता ने कहा कि स्वयंसेवकों का समर्पण चाहे वह अस्थायी ही क्यों न हो मानवीय स्तर पर व्यक्तिगत विकास, साथ ही साथ विश्वास के स्तर पर विकास की ओर अग्रसर करता है।
फिदेस्को मिशन न केवल विश्व एवं संस्कृति के प्रति खुला होने का अवसर देता बल्कि यह ईश्वर की करुणा का जवाब देने का साधन भी है।
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