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विविधता एक समृद्धि है, बहिष्कार का कारण कभी नहीं, पोप।
संत पिता फ्राँसिस ने शनिवार02 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय संगठन फोई एत लुमियर (विश्वास और प्रकाश) की 50वीं वर्षगांठ के अवसर पर प्रतिनिधियों से मुलाकात की और उन्हें मिलन और मित्रता के कारिस्मे को जारी रखने हेतु प्रेरित किया।
संत पिता फ्राँसिस ने वाटिकन के संत क्लेमेंटीन सभागार में ‘फोई एत लुमियर संघ’ के प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की जो अपने संघ की स्थापना का स्वर्ण जयंती मना रहे हैं। संत पिता फ्राँसिस ने वाटिकन में उनका स्वागत करते हुए श्री राउल इज़क्विएर्डो गार्सिया को उनके परिचय भाषण के लिए धन्यवाद दिया। संत पिता फ्राँसिस ने कहा, “आप अपनी जयंती मना रहे हैं: यह अनुग्रह का एक सुंदर अवसर है, इन वर्षों की यात्रा में प्रभु ने आपको जो उपहार दिए हैं उन्हें पहचानने और उनके प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने, साथ ही यह जयंती भविष्य को देखने का भी अवसर है। उस कार्य को जो पवित्र आत्मा अभी भी आपको सौंपता है और उन फलों के लिए जो कलीसिया अभी भी फोई एत लुमियर से उम्मीद करती है, उस व्यवसाय और मिशन के लिए जिसे आपने प्रभु से प्राप्त किया था।”
संत पिता फ्राँसिस ने कहा कि ईस्टर 1971 में लूर्द की उस तीर्थयात्रा को पचास साल बीत चुके हैं, जिसमें मानसिक विकलांग लोगों, उनके परिवारों और कई दोस्तों को आमंत्रित किया गया था। माता मरियम की प्रेमपूर्ण निगाहों और छत्रछाया तले इस संध फोई एट लुमियर को शुरु किया गया। आपके समुदाय, जिसमें आप आनंद, मेल-मिलाप और आपसी मिलन का समारोह मनाते हैं। इस संघ ने पुनर्जीवित प्रभु के प्रकाश और शक्ति ने बहुत से लोगों को आशा दी है जो बहिष्कृत और अस्वीकृत महसूस करते हैं, कभी-कभी कलीसिया में भी।
संत पिता फ्राँसिस ने कहा उस क्षण से पवित्र आत्मा आपके आंदोलन की यात्रा में शामिल हो गया और "विश्वास और प्रकाश" के कई समुदायों ने प्रेम और स्वीकृति का संदेश लेकर पांच महाद्वीपों के कई देशों में जन्म लिया। यह संदेश सुसमाचार का हृदय है! यह हमें याद दिलाता है कि हर व्यक्ति, यहां तक कि सबसे छोटा और सबसे नाजुक, पर ईश्वर का प्यारा है और कलीसिया और दुनिया में उसका स्थान है। यह "छोटापन का सुसमाचार" है, जैसा कि कुरिन्थियों को लिखे संत पौलुस के पत्र में हम पाते हैं। (1 कुरिं 1: 26-29)
संत पिता फ्राँसिस ने कहा कि ‘फोई एत लुमियर’ की उपस्थिति एक भविष्यवाणी थी और है, क्योंकि अक्सर सबसे कमजोर और नाजुक लोगों को छोड़ दिया जाता है, जिन्हें बेकार माना जाता है। आपकी भविष्यवाणी आज और भी अधिक महत्वपूर्ण है, फेंकने की संस्कृति का मुकाबला करने के लिए और सभी को यह याद दिलाने के लिए कि विविधता एक समृद्धि है और इसे कभी भी बहिष्कार और भेदभाव का कारण नहीं बनना चाहिए।
संत पिता फ्राँसिस ने कहा कि हम ‘फोई एत लुमियर’ में जीवन के इन पचास वर्षों को एक महान तीर्थयात्रा के रूप में, पहली तीर्थयात्रा की एक आदर्श निरंतरता के रूप में देख सकते हैं। यह एक विश्वव्यापी यात्रा भी है, क्योंकि आपके समुदायों में काथलिक, प्रोटेस्टेंट, एंग्लिकन, ऑर्थोडोक्स ख्रीस्तीय मिलते हैं। यह एकता का संकेत, एकता का एक ठोस बीज है। सबसे नाजुक लोग ही मेल-मिलाप का स्रोत बनते हैं, क्योंकि वे हम सभी को हृदयपरिवर्तन के मार्ग पर बुलाते हैं।
संत पिता फ्राँसिस ने ख्रीस्तीय समुदायों के भीतर उन्हें खमीर बनने के लिए आमंत्रित करते हुए कहा, “आप अपने को दूसरों से अलग न करें और पीछे न हटें, पल्लियों और पड़ोस में कलीसिया के जीवन में भाग लें, अपना अनुभव साझा करें। मिलन और मित्रता की भावना जो आपके करिश्मे का हिस्सा है, आपको हमेशा सुलह और शांति का साधन बना दे, खासकर जहां संघर्ष और विभाजन है।”
संत पिता फ्राँसिस ने अपना संदेश अंत करते हुए कहा, “प्रतीक जो आपके अनुभव का प्रतिनिधित्व करता है, आपका "लोगो", तुफानी समुद्र पर एक नाव है, जबकि सूरज तूफान के बाद बादलों से उगता है। इस महामारी के दौरान हम सब एक ही नाव में हैं। लोगों और परिवारों के तूफानों में एक छोटी नाव जिस पर हर कोई जगह पा सकता है, निश्चित रूप से उसी नाव पर प्रभु येसु हैं। विश्वास और आशा का सूरज, जो हमारे डर और हमारी असुरक्षा के बादलों से उगता है, हमेशा उस रास्ते पर आपका साथ दे जो अभी भी आपका इंतजार कर रहे हैं।”
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