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युवाओं से पोप˸ ईश्वर आपके लिए प्यासे हैं।
"फ्रांचेस्को इल ग्विल्लारे दी दियो" एक नई किताब है जिसके लेखक कार्डिनल रनियेरो कांतालामेस्सा हैं और संत पिता फ्राँसिस ने इसकी भूमिका लिखी है। किताब में संत पिता फ्राँसिस ने युवाओं को प्रोत्साहन दिया है कि वे ईश्वर के बुलावे का प्रत्युत्तर दें जो हमारे लिए हमेशा प्यासे रहते हैं।
संत पिता फ्राँसिस ने वाटिकन के उपदेशक कार्डिनल रनियेरो कांतालामेस्सा की किताब के लिए भूमिका लिखी है।
नई किताब का शीर्षक है "फ्राँचेस्को इल ग्विल्लारे दी दियो" (फ्राँसिस ईश्वर के विनोदी) है जो पाचिफिकुस एक कहानी सुनाने वाले की कहानी बतलाते हैं। वह संत फ्राँसिस असीसी का शिष्य था।
युवाओं को सम्बोधित:- संत पिता फ्राँसिस ने भूमिका में कहा है कि किताब युवाओं के लिए लिखा गया है। उन्होंने गौर किया है कि सुसमाचार में येसु के उन शब्दों को शायद कई लोगों ने पढ़ा और सवाल किया होगा : "मांगो और तुम्हें दिया जाएगा, ढूँढ़ो और तुम्हें मिल जायेगा, खटखटाओ और तुम्हारे लिए खोला जाएगा। क्योंकि जो मांगता है उसे दिया जाता है और जो खटखटाता है उसके लिए खोला जाता है।"(मती. 7:7-8).
संत पिता फ्राँसिस ने कहा है कि ये प्रभावशाली शब्द हैं जिनमें महान प्रतिज्ञाएँ हैं। "किन्तु हम अपने आप से पूछ सकते हैं: क्या उन्हें गंभीरता से लिया जाना चाहिए? यदि मैं प्रभु से मांगता हूँ तो क्या वे सचमुच मेरी अर्जी सुनेंगे। यदि मैं ढूँढ़ता हूँ तो क्या मैं उन्हें पा सकता हूँ? यदि मैं खटखटाता हूँ तो क्या वे मेरे लिए द्वार खोल देंगे? क्या कभी-कभी ये वादे झूठे नहीं लगते हैं? इन शब्दों पर विश्वास किया जा सकता है अथवा नहीं?...
ये सवाल मन में बाईबिल के दूसरे शब्दों की याद दिलाते हैं। संत पिता फ्राँसिस कहते हैं, "तुम मुझे ढूढ़ोगे और मुझे पा जाओगे, क्योंकि तुम मुझे सारे हृदय से ढूढ़ोगे, मैं तुम्हें अपने को पाने दूँगा।" (येरे.29:13-14)
संत पिता फ्राँसिस लिखते हैं कि "ईश्वर निश्चय ही अपने आपको प्राप्त करने देते हैं किन्तु सिर्फ उन लोगों को जो उन्हें सारे हृदय से ढूँढ़ते हैं।"
संत पिता फ्राँसिस ने येसु की लोगों से मुलाकात करते हुए प्रतिज्ञा को पूरा करने के उदाहरणों का वर्णन किया है। वे कहते हैं कि प्रभु ने अपने आपको जिद्धी विधवा, सच्चाई का प्यासा निकोदेमुस, विश्वासी शतपति, नाइम की रोती विधवा, स्वास्थ्य की चाह रखने वाले कोढ़ी और दृष्टि की कामना करनेवाले बरतेमेयुस को प्रकट किया।
संत पिता फ्राँसिस ने कहा कि इन लोगों के लिए उनका उत्तर पाना एक महत्वपूर्ण बात थी उनमें से कोई भी स्तोत्र 63 के शब्दों का उच्चारण कर सकता था ˸ "मेरी आत्मा तेरे लिए प्यासी है, जल के सूखी भूमि की तरह मैं तेरे लिए तरसता हूँ।"
उसी तरह, "जो खोजता है वह पाता है यदि वह सारे हृदय से खोजता है, प्रभु उनके लिए मरूभूमि में जल की तरह महत्वपूर्ण, एक बीज के लिए धरती की तरह और एक फूल के लिए सूर्य की तरह होता है।"
ईश्वर हमारे लिए प्यासे हैं:- संत पिता फ्राँसिस ने कहा, "शायद आप प्रभु को खोज रहे हैं और नहीं पायें हैं। मैं एक सवाल करता हूँ ˸ उनके लिए आपकी चाह कितनी तेज है?"
"अपनी पूरी शक्ति से उन्हें खोजें, प्रार्थना करें, मांगें, उनका आह्वान करें, पुकारें और अपनी प्रतिज्ञा के अनुसार वे हमारे लिए अपने आपको प्रकट करेंगे क्योंकि प्रभु चाहते हैं कि आप उन्हें ढूढ़ें और प्राप्त करें।"
नजारियुस के संत ग्रेगोरी के शब्दों की याद करते हुए संत पापा ने कहा कि "ईश्वर हमारे लिए प्यासे हैं कि हम उनके लिए प्यासे महसूस करें ताकि हमारी चाह को देखकर वे हमसे मुलाकात करें।"
ईश्वर के बुलावे का प्रत्युत्तर:- संत पिता फ्राँसिस ने कहा, "क्या होगा यदि वे आज आपके द्वार पर दस्तक दें? जब वे हमें अपने पास बुलाते हैं तब वे नहीं चाहते हैं कि हम समझौता करें अथवा संकोच करें बल्कि एक सच्चा जवाब दें।"
ईश्वर को प्रत्युत्तर देने के महत्व पर प्रकाश डालते हुए संत पिता फ्राँसिस ने संत पौलुस का उदाहरण दिया जो दमिश्क जाने के रास्ते पर प्रकाश देखी और तुरन्त उसका संकोच खत्म हो गया।
ईश्वर आज भी बुला रहे हैं और धीरजपूर्वक कुँवारी मरियम की तरह हमारे उत्तर का इंतजार करते हैं, देख मैं प्रभु की दासी हूँ, आपका कथन मुझमें पूरा हो जाए। (लूक.1:38)
संत पिता फ्राँसिस ने कहा, "यदि आप अपनी सुरक्षा को त्यागने का साहस करते हैं और उनके लिए अपने आपको खोलते हैं, तो वे आपके लिए एक नई दुनिया खुलेंगे और आप दूसरों के लिए ज्योति बन जायेंगे।"
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