भ्रातृत्व एवं सामाजिक धर्मशिक्षा मानवता के लिए ईश्वर के प्रेम पर आधारित। 

संत पिता फ्राँसिस ने कार्डिनल माईकेल चरनी द्वारा "फ्रतेल्ली तत्ती" में पोप की सामाजिक धर्मशिक्षा पर लिखी किताब की प्रस्तावना लिखी है, जिसमें उन्होंने कहा है कि भ्रातृत्व एवं कलीसिया की सामाजिक शिक्षा ईशशास्त्र के बाहर है किन्तु मानवता के लिए ईश्वर के प्रेम में इसकी जड़ें गहरी हैं।
संत पिता फ्राँसिस ने कार्डिनल माईकेल चरनी एवं फादर ख्रीस्तीय बरोने की लिखी किताब "भ्रातृत्व ˸ समय का चिन्ह" की प्रस्तावना में लिखा, "सुसमाचार के केंद्र में ईश्वर के राज्य की घोषणा है जो येसु – इम्मानुएल और ईश्वर हमारे साथ हैं। वास्तव में, उन्हीं में ईश्वर निर्णायक रूप से प्रकट होते, मानव के लिए उनकी प्रेम योजना पूरी होती, सृष्टि पर उनका प्रभुत्व स्थापित होता तथा ईश्वरीय जीवन का बीज मानव इतिहास में प्रवेश करता है जो इसे अंदर से बदल देता है।" वाटिकन पब्लिशिंग हाऊस द्वारा इताली भाषा में प्रकाशित किताब को वाटिकन प्रेस कार्यालय द्वारा बृहस्पतिवार को प्रस्तुत किया जाएगा।

भ्रातृत्व एवं ईश्वर का राज्य
अपनी प्रस्तावना में संत पिता फ्राँसिस ने बतलाया है कि भ्रातृत्व का विचार ईश्वर के राज्य पर आधारित है। ईश्वर का राज्य निश्चय ही पहचान योग्य नहीं है, या किसी प्रकार की सांसारिक या राजनीतिक अभिव्यक्ति के साथ भ्रमित होने के लिए नहीं है।" हालांकि, इसे विशुद्ध रूप से आंतरिक, व्यक्तिगत और आध्यात्मिक वास्तविकता या केवल बाद के जीवन के लिए एक वादे के रूप में भी नहीं पहचाना जाना चाहिए।" संत पापा ने जेस्विट ईशशास्त्री हेनरी दी लुबक के शब्दों में कहा कि ख्रीस्तीय विश्वास को इसी आकर्षक विरोधाभास के साथ जीया जाता है। ईश्वर का राज्य यहाँ और अभी मौजूद है जबकि प्रतिज्ञा और मुक्ति हेतु सृष्टि की पुकार शेष है।  

हमारी आधुनिक दुनिया में अंकित
संत पिता फ्राँसिस ने कहा कि ख्रीस्तीय, ईश्वर के राज्य को पृथ्वी पर स्थापित करने के लिए बुलाये गये हैं, हमें ख्रीस्तीय विश्वास के सामाजिक आयाम को नहीं भूलना चाहिए।
"हम प्रत्येक जन दुनिया में ईश्वर के राज्य के विस्तार हेतु योगदान दे सकते हैं, "उद्धार और मुक्ति के लिए स्थान देकर, आशा के बीज बोकर, सुसमाचारी भ्रातृत्व के द्वारा अहंकार के तर्क को मात देकर, और अपने पड़ोसी, विशेषकर सबसे गरीब लोगों के प्रति कोमलता और एकजुटता दिखाने के लिए काम करने के द्वारा।"
ईश्वर का राज्य हमारे विश्व में उसी आधार पर प्रकट होगा जिस आधार पर समाज भ्रातृत्व, न्याय और सभी के प्रति सम्मान से भरा हो।
इस अर्थ में, उन्होंने लिखा कि "हमारी मातृभूमि की देखभाल और एकात्मता पर आधारित समाज का निर्माण जिसमें हम सभी भाई और बहन होंगे, आस्था के दायरे से बाहर नहीं है बल्कि एक ठोस साक्ष्य है।"

सामाजिक शिक्षा ईश्वर के प्रेम पर आधारित
संत पिता फ्राँसिस ने आगे लिखा कि "कलीसिया की सामाजिक शिक्षा सिर्फ ख्रीस्तीय विश्वास का सामाजिक आयाम नहीं है बल्कि ईशशास्त्र – मानव के लिए ईश्वर के प्रेम एवं भ्रातृत्व और प्रेम के लिए उनकी योजना में गहराई से रोपा गया है।"
पोप ने कहा कि कार्डिनल चरनी एवं फादर बरोने की किताब प्रेरितिक विश्व पत्र फ्रतेल्ली तूत्ती का परिचय देते हुए, द्वितीय वाटिकन महासभा एवं कलीसिया की सामाजिक शिक्षा के बीच संबंध स्थापित करना चाहती है।
उन्होंने कहा कि भ्रातृत्व "समय का चिन्ह है जिसको वाटिकन प्रकाश में लाता और यह एक ऐसी चीज है जिसकी दुनिया को बहुत अधिक आवश्यकता है।"

कलीसिया मानवता की सेवा में
संत पिता फ्राँसिस ने कहा कि उनका प्रेरितिक पत्र, आधुनिक दुनिया में कलीसिया के प्रेरितिक संविधान गौदियुम एत स्पेस की "सांस" से आधुनिक दुनिया की चुनौतियों को प्रकाश में लाने की कोशिश है।  
उन्होंने लिखा है कि "आज जब हम महासभा के धर्माचार्यों द्वारा बताए गए मार्ग पर आगे बढ़ रहे हैं," "हम महसूस करते हैं कि हमें न केवल आधुनिक दुनिया में एक कलीसिया और उसके साथ संवाद करने की आवश्यकता है, बल्कि सबसे बढ़कर एक ऐसी कलीसिया की जरूरत है जो मानवता की सेवा में है, सृष्टि की देखभाल कर रही है, और एक नई सार्वभौमिक भ्रातृत्व की घोषणा कर रही है, जिसमें मानवीय रिश्ते स्वार्थ और हिंसा से चंगे होते एवं आपसी प्रेम, स्वागत और एकजुटता पर आधारित होते हैं।"

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