बुजूर्ग और बीमार पुरोहितों के लिए पोप का पत्र। 

"वृद्धावस्था एवं बीमारी को एक अवसर के रूप में जीयें।" उक्त बात संत पापा फ्राँसिस ने भ्रातृत्व दिवस के अवसर पर लोम्बार्दिया के धर्माध्यक्षों के साथ उपस्थित पुरोहितों को सम्बोधित कर लिखा।
इस अवसर पर ख्रीस्तीयाग अर्पित करते हुए मिलान के महाधर्माध्यक्ष डेलपिनी ने अपने उपदेश में कहा कि "आनन्द का अभिवादन, हर परिस्थिति में और हर युग में पुरोहितों का मिशन है।"
संत पिता ने भ्रातृत्व दिवस के उपलक्ष्य में लोम्बार्दिया के धर्माध्यक्षों के साथ उपस्थित बुजूर्ग एवं बीमार पुरोहितों को लिखे संदेश में कहा, "आप एक स्थिति, वृद्धावस्था का अनुभव कर रहे हैं जो एक बीमारी नहीं है बल्कि एक अवसर है।"
बाईबिल से सिमेयोन और अन्ना का उदाहरण देते हुए संत पिता ने कहा ˸ "निश्चय ही वे जब बूढ़े हो गये तब ही सुसमाचार उनके जीवन में पूर्णतया प्रवेश किया और उन्होंने येसु को अपनी बाहों में लिया एवं उनकी घोषणा की।" संत पिता ने कहा कि जो बीमार हैं वे भी सौभाग्यशाली हो सकते हैं यदि वे अपने दुःख को येसु के समान स्वीकार कर क्रूस की तरह उठाते हैं। जो समुदाय उनकी देखभाल करता है वह भी येसु में संयुक्त होता है।
संत पिता ने बुजूर्ग पुरोहितों से कहा, "बुजूर्ग एवं बीमार पुरोहित समुदायों के सक्रिय सदस्य हैं जो यादों से भरे सपनों के वाहक हैं अतः युवा पीढ़ी के लिए बहुत महत्वपूर्ण व्यक्ति हैं।" उन्होंने रेखांकित करते हुए कहा, ": "आप से ख्रीस्तीय जीवन और मिशन में फलने-फूलने का रस आता है"।
अंत में संत पिता ने मजाकिया भाव में लिखा, "मैं आप सभी से आग्रह करता हूँ, कृपया मेरे लिए प्रार्थना करें जो थोड़ा बुजूर्ग हूँ और थोड़ा बीमार, अधिक नहीं।"
कारावाजो दिवस, यूनितालती लोम्बार्दिया और सेल के तत्वधान में भ्रातृत्व फाऊंडेशन द्वारा आयोजित लोम्बर्दिया के धर्माध्यक्षीय सम्मेलन की सभा के अवसर पर आयोजित किया गया था। इस अवसर पर पुरोहितों ने धर्माध्यक्षों के साथ संत मरिया देल फोंते तीर्थस्थल पर ख्रीस्तयाग अर्पित किया। ख्रीस्तयाग का अनुष्ठान मिलान के महाधर्माध्यक्ष मारियो डेलपिनी ने किया। उन्होंने याद किया कि लोम्बार्दिया के पुरोहित किस तरह महामारी के शिकार हुए। इस क्षेत्र के करीब 300 पुरोहितों में 92 पुरोहितों की मौत कोरोना वायरस के संक्रमण से हुई।  

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