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प्रचारक सुसमाचार का प्रचार यूखरीस्त को जीते हुए करते हैं, पोप।
संत पिता फ्रांसिस ने शुक्रवार को धर्मशिक्षा के लिए जिम्मेदार यूरोपीय धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के प्रतिनिधियों से मुलाकात की।
प्रचारक सुसमाचार प्रचार करनेवाले हैं जो यूखरीस्त समारोह को जीते और पवित्र आत्मा की रचनात्मता एवं प्रेरणा से विश्वास के प्रसार के लिए उत्साहित होते हैं। "प्रचारकों के लिए सबसे खास स्थान है यूखरीस्तीय समारोह जहाँ भाई और बहनें, अपने जीवन में ईश्वर की उपस्थिति के अलग-अलग रास्तों को खोजने के लिए एक साथ आते हैं।
संत पिता फ्रांसिस ने शुक्रवार को यूरोपीय काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के करीब 80 प्रतिनिधियों को सम्बोधित किया जो धर्मशिक्षा के लिए जिम्मेदार हैं। उन्होंने धर्मशिक्षा और प्रचारकों के लिए नये सुसामाचार प्रचार पर आयोजित सभा में भाग लिया जिसका आयोजन नवीन सुसमाचार प्रचार हेतु गठित परमधर्मपीठीय समिति द्वारा किया गया है।
हंगरी की राजधानी बुडापेस्ट में अंतरराष्ट्रीय यूखरीस्तीय कॉन्ग्रेस की याद करते हुए संत पिता फ्रांसिस ने कहा कि प्रचारकों की प्रतिबद्धता सुसमाचार प्रचार के कार्य में अधिक प्रभावी हो सकती है यदि वे यूखरिस्त के रहस्य पर अपनी निगाहें टिकाए रखें।
संत पिता फ्रांसिस ने गौर किया कि येसु जिन्होंने पास्का भोज की तैयारी की, अपने शिष्यों को यह कहते हुए भेजा, "शहर जाओ।" ख्रीस्तीय जो विश्वास के रहस्य की चरमसीमा को मनाने की तैयारी कर रहे हैं वे पहले शहर जाने के लिए निमंत्रित किये जाते हैं उन लोगों से मुलाकात करने, जो अपने दैनिक जीवन में व्यस्त हैं।
संत पिता फ्रांसिस ने कहा कि प्रचारक एक अस्पष्ट रटाये गये सूत्रों के सैद्धांतिक ज्ञान का एक अमूर्त संचार नहीं है, बल्कि रहस्यमय है। उन लोगों का अनुभव है जो अपने भाइयों और बहनों से मिलना सीखते हैं जहाँ वे रहते और काम करते हैं, क्योंकि वे स्वयं मसीह से मिले हैं, जिन्होंने उन्हें मिशनरी शिष्य बनने के लिए बुलाया है। उन्होंने कहा कि धर्मशिक्षा का केंद्रविन्दु है जोर देना कि पुनर्जीवित येसु ख्रीस्त आपको प्यार करते और आपको कभी नहीं छोड़ते हैं। हमें धर्मशिक्षा की यात्रा के विभिन्न चरणों में इसे दोहराते रहने से नहीं थकना चाहिए।"
यही कारण है कि संत पिता फ्रांसिस ने कहा कि उन्होंने मई में प्रचारक की प्रेरिताई की स्थापना की है जिसकी आरम्भिक रीति की तैयारी चल रही है। प्रचारक एक साक्षी होता है जो यूखरिस्त समारोह को जीता है और दैनिक जीवन में विश्वास को गहरा करने का समर्थन करने के लिए अपने को ख्रीस्तीय समुदाय की सेवा में लगाता है। वह अथक रूप से दया के सुसमाचार की घोषणा करता, ईश वचन को अधिक स्वीकार्य और समीप बनाने के लिए आवश्यक संबंध बनाता और अच्छे कार्यों के फल को चढ़ाते हुए यूखरिस्त के रहस्य को मनाता है।
संत पिता फ्रांसिस ने अपने दो प्रचारकों की याद की जिन्होंने उन्हें प्रथम परमप्रसाद के लिए तैयार किया था। उनके साथ उन्होंने अपना संबंध बनाये रखा, पहले एक पुरोहित के रूप में और बाद में एक धर्माध्यक्ष के रूप में। दूसरी प्रचारक एक धर्मबहन थी जिनके प्रति उनका गहरा सम्मान था। संत पापा ने बतलाया कि उन्होंने इन दोनों के जीवन के अंत तक उनके साथ रहने का अनुभव किया। उन्होंने धर्मबहन के जीवन के अंतिम क्षणों में भी शिरकत की थी।
संत पिता फ्रांसिस ने स्पष्ट किया कि सुसमाचार प्रचार सिर्फ अतीत का दुहरावा नहीं है। यह पवित्र आत्मा की रचनात्मकता है जो उन लोगों को सुनना, उनकी संस्कृति, उनके इतिहास को स्वीकार करना सिखाता है जिनके बीच सुसमाचार प्रचार किया जाता है। सतही रूप से या तैयार उत्तर के रूप में नहीं। यह ईश वचन, येसु ख्रीस्त और जीवित सुसमाचार के साथ सुनने के लिए प्रेरित करता है।
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