पोप ने नये अर्मेनियाई प्राधिधर्माध्यक्ष का स्वागत किया। 

संत पिता फ्रांसिस ने एक पत्र भेजकर अर्मेनियाई काथलिक कलीसिया के नये प्राधिधर्माध्यक्ष को "एक्लेसियास्तिका कोम्मुनियो" (कलीसियाई समन्वय) प्रदान किया जिनका चयन 23 सितम्बर को हुआ है। संत पिता फ्रांसिस ने शुक्रवार को सिलिसिया के प्राधिधर्माध्यक्ष रफाएल बेत्रोस 21वें मिनासियन का वाटिकन में स्वागत किया।
चुनाव के बाद अर्मेनियाई काथलिक कलीसिया में सिलिसिया के प्राधिधर्माध्यक्ष ने पोप फ्राँसिस से "एक्लेसियास्तिका कोम्मुनियो" के लिए आग्रह करते हुए पत्र लिखा था जिसे पोप ने बृहस्पतिवार को अपने एक पत्र द्वारा प्रदान किया। संत पिता फ्रांसिस ने पत्र में कहा है कि वे अर्मेनिया की काथलिक कलीसिया के आनन्द में सहभागी होते हैं जिन्होंने पहले लेबनान में, उसके बाद रोम में एकत्रित होकर स्वर्गीय क्रिकोर बेत्रोस 20वें गाब्रोयान के उत्तराधिकारी का चुनाव किया। जिनका निधन 25 मई को हुआ था।
सिलिसिया में अर्मेनिया के काथलिक प्राधिधर्माध्यक्षालय, उन 22 पूर्वी काथलिक कलीसियाओं में से एक है जिनकी परमधर्मपीठ एवं विश्वव्यापी काथलिक कलीसिया के साथ पूर्ण सहभागिता है। प्राधिधर्माध्यक्षालय का मुख्यालय लेबनान के बेरूत में है।  
अपने पत्र में संत पिता फ्रांसिस ने सीरिया एवं लेबनान में लोगों की पीड़ा की याद की है जहाँ सिलिसिया की कलीसिया के अर्मेनियाई लोग मौजूद हैं। उन्होंने कहा है कि दुनिया के कई हिस्सों के लिए महामारी के निपटना अब भी कोसों दूर है।  
ऐसी परिस्थिति में, सदइच्छा रखनेवाले सभी लोग खासकर, ख्रीस्तीय एक-दूसरे के पड़ोसी बनने और यह दिखलाने के लिए बुलाये जाते हैं कि वे आपस में भाई हैं, तथा उदासीनता एवं एकाकीपन से ऊपर उठ सकते हैं। उन्होंने लिखा, "इतिहास के बाढ़ एवं हमारे समय के मरूस्थल में भी हम क्रूसित एवं पुनर्जीवित प्रभु की ओर चल सकते हैं।"
संत पिता फ्रांसिस ने लिखा कि अर्मेनियाई लोगों को दुःख झेलने में माहिर माना जाता है क्योंकि उन्होंने अपने 1,700 वर्षों के ख्रीस्तीय इतिहास में बहुत सारी कठिनाइयों को पार किया है। "अपने संतों एवं शहीदों की पवित्रता एवं विवेक से, अपने विशेषज्ञों एवं विचारकों की संस्कृति से तथा कला जो क्रूस के चिन्ह को चट्टान पर स्थापित करना एवं विश्व में विश्वास की जीत का साक्ष्य देना जानता है, उनमें बढ़ने और फल लाने की अद्वितीय क्षमता है।"
संत पिता फ्रांसिस ने इस बात की ओर भी इंगित किया कि अर्मेनियाई कलीसिया, अर्मेनिया लोगों के मामलों में पूरी तरह एकीकृत है, उनकी यादों एवं परम्परा को बनाये रखती है और साथ ही साथ, संत पेत्रुस के उत्तराधिकारी से गहराई से जुड़ी है।
संत पिता फ्रांसिस की उम्मीद है कि ईश्वर की माता धन्य कुंवारी मरियम और अर्मेनिया के संत नारेक के ग्रेगोरी, नये प्राधिधर्माध्यत्र के लिए आदर्श होंगे एवं मध्यस्थता प्रदान करेंगे। उनकी आशा है कि वे लातीनी कलीसिया को सच्चे भ्रातृत्व एवं अर्मेनियाई प्रेरितिक कलीसिया के भाई बहनों के साथ ख्रीस्तीय एकता वर्धकवार्ता का रास्ता दिखा पायेंगे।   
प्राधिधर्माध्यक्ष रफाएल बेत्रोस ने 24-26 जून 2016 को अर्मेनिया में प्रेरितिक यात्रा के दौरान संत पापा फ्रांसिस का स्वागत किया था। 

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