पोप ˸ क्रूस में ईश्वर की दया मानव के हर आयाम का आलिंगन करता है। 

पैशनिस्ट ऑर्डर के सुपीरियर जेनेरल फादर जोवाकिम रेगो को प्रेषित एक पत्र में संत पिता फ्राँसिस ने आशा व्यक्त की है कि अंतरराष्ट्रीय ईशशास्त्रीय सम्मेलन क्रूस की प्रज्ञा के आलोक में समकालीन चुनौतियों की नवीकृत समझदारी प्रदान करेगा।
संत पिता फ्राँसिस ने पैशनिस्ट ऑर्डर के सुपीरियर जेनेरल फादर जोवाकिम रेगो को "बहुलवादी विश्व में क्रूस की प्रज्ञा" पर अंतरराष्ट्रीय ईशशास्त्रीय सम्मेलन के अवसर पर एक पत्र लिखा है।
सम्मेलन का आयोजन परमधर्मपीठीय लातेरन यूनिवर्सिटी के "ग्लोरिया क्रूचिस आसन" द्वारा किया गया है जो येसु ख्रीस्त के दुःखभोग धर्मसमाज (पैश्निस्ट) की पहल है जो अपनी स्थापना की तीसरी शताब्दी मना रहा है।
अपने पत्र में संत पिता फ्राँसिस ने कहा है कि सम्मेलन धर्मसंघ के संस्थापक संत पौलुस के क्रूस के प्रति चाह को व्यक्त करता है – जो पास्का रहस्य को ख्रीस्तीय विश्वास एवं पैशनिस्ट धर्मसंघी परिवार के कारिज्म का केंद्र बनाना चाहते थे, ईश्वरीय उदारता का प्रत्युत्तर देते हुए उसकी घोषणा और प्रचार करना तथा दुनिया के आपेक्षाओं एवं आशाओं के सामने प्रस्तुत करना चाहते थे।  
संत पिता फ्राँसिस ने कहा कि क्रूस पर येसु के चिंतन में "हम हर मानवीय आयाम को ईश्वरीय करूणा में देखते हैं।" ईश्वर का प्रेम हरेक मानव व्यक्ति के लिए है और हर मानव परिस्थिति तक पहुँचता है, हमारे संबंध को सीधे ईश्वर के साथ एवं आपस में सभी मानव व्यक्तियों के साथ जोड़ता है।  
संत पिता फ्राँसिस ने कहा कि क्रूस हमें दीनता के साथ कारणों को एक साथ लाने के महत्व को दर्शाता है। इस तरह ईशशास्त्र निमंत्रण दे रहा है कि विवाद और एजेंडा से बचने के लिए "आत्मविश्वास द्वारा" सबसे कमजोर लोगों की वास्तविक परिस्थिति का सामना किया जाए, उस मूल्यवान बीज को खोजते हुए जिसको वचन कंटीली भूमि में और कभी-कभी संस्कृति के विरोधाभासी बहुलता में बिखेरता है।"
संत पिता फ्राँसिस ने जोर दिया है कि क्रूस हर जगह और हर युग के लोगों की मुक्ति का स्रोत है और विशेष रूप से, जब मानवता एक चौराहे पर होती है।  
अंततः संत पिता फ्राँसिस ने आशा व्यक्त की है कि ईशशास्त्रीय सम्मेलन, "क्रूस की प्रज्ञा के आलोक में समकालीन चुनौतियों की नवीकृत समझ प्रदान करेगा, ताकि ईश्वर की योजना के प्रति निष्ठापूर्ण एवं मानवता के प्रति चौकस सुसमाचार प्रचार को बढ़ावा दिया जा सके।"

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