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नवम्बर माह की प्रार्थना के लिए पोप फ्रांसिस का विडीयो संदेश
पोप फ्राँसिस ने नवम्बर माह के विडीयो संदेश में विश्वव्यापी प्रार्थना की प्रेरिताई हेतु रोबोट और कृत्रिम बुद्धिमत्ता के मानवीय रूप में विकसित होने के लिए प्रार्थना का आह्वान किया है।
पोप फ्राँसिस हरेक माह एक विडीयो संदेश प्रकाशित कर, विश्व की विभिन्न परिस्थितियों के आधार पर प्रार्थना करने का आह्वान करते हैं।
नवम्बर माह का विडीयो संदेश 5 नवम्बर को प्रकाशित हुआ जिसमें पोप फ्राँसिस ने रोबोट एवं कृत्रिम बुद्धिमत्ता को मानव व्यक्ति की प्रतिष्ठा एवं सृष्टि के सम्मान की ओर अभिम्मुख करने हेतु प्रेरित किया है।
तकनीकी विकास : एक युग परिवर्तन
इस माह की प्रार्थना की प्रेरिताई में पोप फ्राँसिस ने युग परिवर्तन की ओर ध्यान आकृष्ट किया है जिसको मानव कृत्रिम बुद्धिमत्ता में विकास के साथ महसूस किया जा रहा है। पोप फ्राँसिस के अनुसार इस प्रगति को हमेशा "मानव की सेवा", मानव प्रतिष्ठा को सम्मान देने एवं सृष्टि की देखभाल के लिए होनी चाहिए।
सच्ची प्रगति
पोप फ्राँसिस ने स्पष्ट किया है कि यह प्रगति और इसके साथ रोबोट विश्व को बेहतर बना सकते हैं यदि ये आमहित से जुड़े हों। इस संदर्भ में वे उम्मीद करते हैं कि तकनीकी विकास समाज में असमानता को नहीं बढ़ायेगी और यदि यह असमानता बढ़ाती है तो इसका अर्थ है कि यह "सच्चा विकास" नहीं है।
मानव की सेवा
इंजीनियर फ्रांसेस्को स्टारस का कहना है कि अनुसंधान ने हमारे लिए असाधारण उपकरण प्रदान किये हैं जिसका हमें बेहतर उपयोग करना चाहिए। जैसा कि पोप फ्राँसिस ने पुष्टि दी है कि हमारा काम है यह सुनिश्चित करना कि लाभ का निष्पक्ष रूप से वितरित किया जाए और अवसर एवं हित उत्पन्न किये जाएँ। वर्तमान और भविष्य के संबंध में हमारे कार्यों और विकल्पों को एक सकारात्मक दिशा देने हेतु हमें लोगों और केंद्र में पर्यावरण के लिए सम्मान बढ़ाना चाहिए, एक ऐसा दृष्टिकोण अपनाना चाहिए जो स्थिरता पर आधारित हो। केवल इस तरह से तकनीकी विकास मानवता का मित्र बन सकता और ऐसे अवसर उत्पन्न कर सकता है जिसकी कुछ सालों पहले कल्पना भी नहीं की जा सकती थी।
पोप फ्राँसिस के विश्वव्यापी प्रार्थना की प्रेरिताई के अंतरराष्ट्रीय निदेशक फा. फ्रेडरिक फोरनोस येसु समाजी ने कहा, "समाज में परिवर्तन हमारे कार्यों को भी परिवर्तित करते हैं। ये तेज परिवर्तन हैं जिन्हें दिशा दिया जाना चाहिए कि वे सभी की भलाई के लिए हों। यह प्रार्थना मनोरथ, उस विचार को सुदृढ़ करता है जो मानवता के हित में है, जिसको वह तकनीकी विकास से प्राप्त करता है। तकनीकी विकास के साथ-साथ जिम्मेदारी और मूल्यों का भी पर्याप्त विकास होना चाहिए। पोप फ्राँसिस ने इस बात को प्रेरितक पत्र "लौदातो सी" एवं "फ्रातेल्ली तूत्ती" में व्यक्त किया है, 'यह कितना अनोखा होगा, यदि विज्ञान में प्रगति और तकनीकी अनुसंधान अधिक समानता एवं सामाजिक समावेश के साथ आगे बढ़ेंगे।'"
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