दुनिया में सद्भाव के ईश्वर के "सपने" को साकार करने में मदद करें, पोप। 

संत पिता फ्रांसिस ने शनिवार को फोकलारे मूवमेंट द्वारा आयोजित सभा में भाग लेनेवाले विभिन्न कलीसियाओं एवं ख्रीस्तीय समुदायों के धर्माध्यक्षों से मुलाकात की तथा कहा कि धर्माध्यक्ष ईश प्रजा की सेवा में समर्पित हैं ताकि वे विश्वास, आशा एवं उदारता की एकता में सुदृढ़ हो सकें।
संत पिता फ्रांसिस ने शनिवार 25 सितम्बर को फोकलारे मूवमेंट के 15 मित्र धर्माध्यक्षों से वाटिकन में मुलाकात की। धर्माध्यक्षों को सम्बोधित कर संत पिता फ्रांसिस ने कहा, "मरियम का कार्य या फोकलारे मूवमेंट ने अपने संस्थापक कियारा लूबिक द्वारा प्राप्त कैरिज्म के लिए अर्थ और एकता की सेवा हमेशा प्राप्त की है ˸ कलीसिया की एकता, विश्वासियों के बीच एकता, पूरे विश्व में एकता, "एक संकेंद्रित वृत्त" है। यह हमें द्वितीय वाटिकन महासभा द्वारा कलीसिया की परिभाषा पर चिंतन करने हेतु प्रेरित करता है जो एक "संस्कार है, ईश्वर के साथ घनिष्ठ संबंध और संपूर्ण मानव जाति की एकता का संकेत और साधन है।"
फोकलारे मूवमेंट जिसको आधिकारिक रूप से मरियम का कार्य कहा जाता है इसकी स्थापना करिस्माटिक इताली लोकधर्मी महिला कियारा लुबिक द्वारा द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान 1943 में हुई थी।
संत पिता फ्रांसिस ने कहा कि युद्ध के विनाश और घाव के बीच, पवित्र आत्मा ने युवा कियारा के हृदय में भाईचारा एवं सहभागिता का बीज बोया। यह बीज समय के साथ मित्रों के दल में बढ़ा एवं विकसित हुआ एवं ईश्वर के प्रेम की शक्ति से हर भाषा एवं देश के स्त्री एवं पुरूषों को आकर्षित किया जिसने एकता का निर्माण किया।
मूवमेंट की विशिष्ठता एवं धर्माध्यक्षों की प्रेरिताई के बीच संबंध पर गौर करते हुए संत पिता फ्रांसिस ने कहा कि हम धर्माध्यक्ष ईश प्रजा की सेवा में समर्पित हैं ताकि वे विश्वास, आशा एवं उदारता की एकता में निर्मित हो सकें। धर्माध्यक्ष के हृदय में पवित्र आत्मा येसु ख्रीस्त की इच्छा का छाप लगाता है कि सभी ख्रीस्तीय एक हो जाएँ। त्रिएक ईश्वर की स्तुति एवं महिमा के लिए और इसलिए ताकि दुनिया येसु ख्रीस्त में विश्वास कर सके। (यो. 17:21) पोप और धर्माध्यक्ष बाह्य एकता की सेवा में नहीं है बल्कि उस सहभागिता के रहस्य की सेवा में हैं जो ख्रीस्त की कलीसिया है। पवित्र आत्मा में कलीसिया एक जीवित शरीर, एक प्रजा के रूप में इतिहास में और साथ ही, इतिहास से परे एक यात्रा पर है। लोग दुनिया में भेजे गये हैं ताकि वे ख्रीस्त का साक्ष्य दे सकें और पास्का रहस्य की विनम्रता एवं दयालुता की शक्ति से सभी लोगों को उनकी ओर आकर्षित कर सकें।  
संत पिता फ्रांसिस ने धर्माध्यक्षों से कहा कि हम इसे ईश्वर का सपना कह सकते हैं। यह मेल-मिलाप की और ख्रीस्त में सब कुछ एवं सभी लोगों को संयुक्त करने की योजना है। यह भाईचारा का सपना भी है जिसके लिए प्रेरितिक पत्र फ्रातेल्ली तूत्ती को समर्पित किया गया है। बंद दुनिया की छाया के सामने जहाँ एकता के कई सपने बिखर जाते हैं जहाँ सभी लोगों के लिए एक योजना, एक आम रास्ता नहीं है जहाँ महामारी का संकट असमानता बढ़ा रहा है, पवित्र आत्मा हमें "एक होने के साहस" के लिए आमंत्रित कर रहा है। एक होने का साहस उस चेतना से शुरू होता है कि एकता एक वरदान है।
एकता का साक्ष्य संत कोर्नेलियुस और संत सिप्रियन ने भी दिया है जो धर्माध्यक्ष थे। आज भी कई संत हैं जिन्हें एकता की बड़ी कीमत चुकानी पड़ी है। यह एक मौलिक मानदंड है, जो व्यक्ति के लिए सम्मान, दूसरे के चेहरे का सम्मान सुनिश्चित करता है, विशेषकर, जो गरीब, निम्न और बहिष्कृत हैं।
अंत में संत पिता फ्रांसिस ने धर्माध्यक्षों समर्पण के लिए उन्हें धन्यवाद देते हुए सलाह दी कि वे हमेशा खुले रहें। सहभागिता की सेवा में लगे रहें और खुश रहें। उन्होंने उनके तथा उनके समुदाय के लिए प्रार्थना की और उन्हें अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।
काथलिक कलीसिया द्वारा 1962 में मंजूरी प्राप्त इस मूवमेंट का उद्देश्य है एकता के संदेश का प्रचार करना। येसु की प्रार्थना कि "वे सब के सब एक हो जाएँ" से प्रेरित होकर इसकी स्थापना हुई थी। इसका उद्देश्य है भाईचारा को प्रोत्साहन देना एवं एक अधिक एकजुट विश्व का निर्माण करना जिसमें लोग विविधता का सम्मान करें एवं महत्व दे सकें।

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