ख्रीस्तीय एकता संवाद को धर्मसभा के प्रतिबिंब पर आधारित होना चाहिए, पोप। 

संत पिता फ्राँसिस ने बृहस्पतिवार 7 अक्टूबर को संत एरेनियुस ऑर्थोडॉक्स–काथलिक संयुक्त कार्यकारी दल को सम्बोधित किया। संत एरेनियुस ऑर्थोडॉक्स–काथलिक संयुक्त कार्यकारी दल के सदस्य इन दिनों रोम में अपनी वार्षिक सभा में भाग ले रहे हैं।
संत पिता फ्राँसिस ने काथलिक एवं ऑर्थोडेक्स के बीच सम्पर्क की ईशशास्त्रीय सेवा के लिए अपना आभार प्रकट किया। उन्होंने कहा, "आपके विशिष्ट कार्य से मैं चकित हूँ: जो एक साथ ऐसे तरीकों की तलाश करना चाहता है जिससे विभिन्न परंपराएँ अपनी पहचान खोए बिना एक-दूसरे को समृद्ध कर सकें।" विविधताओं से समृद्ध एकता को विकसित करना अच्छा है जिससे एक नीरस एकरूपता का प्रलोभन में नहीं आएगा। इस तरह उनके विचार-विमर्श का केंद्र है किस तरह हमारी परम्पराओं की पृथकता को सराहा जाए ताकि यह असहमति बढ़ाने की अपेक्षा साझा प्रेरितिक विश्वास को व्यक्त करने के लिए वैध अवसर बन सके।
संत पिता फ्राँसिस ने उनके दल के नाम की भी सराहना की जिसको आयोग या समिति नहीं बल्कि "कार्यकारी दल" की संज्ञा दी गई है। दल के सदस्य भ्रातृत्व की भावना से एकत्रित होते एवं विभिन्न देशों और कलीसियाओं के विशेषज्ञ वार्ता में भाग लेते हैं जो एकता के लिए एक साथ प्रार्थना करना एवं अध्ययन करना चाहते हैं। संत पिता फ्राँसिस ने कहा कि दल के संरक्षक लेयोन के संत इरेनियुस जो आध्यात्मिक एवं ईशशास्त्रीय रूप में पूर्वी और पश्चिमी कलीसियाओं के बीच एक महान सेतु हैं। उनके नाम, येरेनियुस में, "शांति" शब्द शामिल है। हम जानते हैं कि प्रभु की शांति एक "समझौते की" शांति नहीं है, जो हितों की रक्षा के लिए किए गए समझौतों का फल होता है, लेकिन एक ऐसी शांति है जो मेल-मिलाप से आती है, जो एकता में एक साथ लाती है। यही येसु की शांति है। संत पौलुस कहते हैं ख्रीस्त हमारी शांति हैं जिन्होंने हमें एक किया है और विरोध के हर प्रकार की दीवार को तोड़ डाला है। (एफे. 2:14) संत पापा ने कार्यकारी दल से कहा, "ईश्वर की कृपा से आप भी दीवारों को तोड़ने और एकता के सेतु के निर्माण के लिए कार्य कर रहे हैं।  
संत पिता फ्राँसिस ने एकता के लिए काम करने हेतु दल को धन्यवाद दिया, खासकर, प्रधानता और धर्मसभा के बीच संबंध पर पुनः विचार के लिए। उन्होंने कहा, "वार्ता के निर्माणात्मक धैर्य के द्वारा, विशेषकर, ऑर्थोडोक्स कलीसिया के द्वारा हम अधिक अच्छी तरह समझ गये है कि कलीसिया में प्रधानता और धर्मसभा, एक-दूसरे की प्रतिस्प्रद्धा के लिए नहीं हैं ताकि संतुलन रखा जा सके, बल्कि दो वास्तविकताएं हैं जो एक-दूसरे को एकता की सेवा में स्थापित करती और सुदृढ़ बनाए रखती हैं।"
संत पिता फ्राँसिस ने आगामी सिनॉड द्वारा सभी ख्रीस्तीय समुदायों के साथ एकता की उम्मीद जताते हुए कहा, "मैं दृढ़ विश्वास करता हूँ कि ईश्वर की कृपा से सिनॉड प्रक्रिया जो आनेवाले दिनों में सभी काथलिक धर्मप्रातों में शुरू होगा, अन्य ख्रीस्तीय समुदायों के साथ, इस आयाम पर गहरे चिंतन का अवसर होगा।"

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