संत पापा फ्रांसिस ने अपनी मोरक्को की प्रेरितिक यात्रा का वृतांत सुनाया।

Pope Francis Reading Something

संत पापा फ्रांसिस ने अपने बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर पर वाटिकन संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण में विश्व के विभिन्न देशों से आये हुए विश्वासियों और तीर्थयात्रियों को अभिवादन करते हुए कहा, प्रिय भाइयो एवं बहनों सुप्रभात।

पिछले शनिवार और रविवार को मैंने महामहिम राजाधिराज मोहम्मह छटवें के निमंत्रण पर मोरक्को की अपनी प्रेरितिक यात्रा पूरी की। मैं उनके गर्मजोशी स्वागत और सहयोग के लिए महामहिम और मोरक्को के सभी अधिकारियों के प्रति पुनः अपनी कृतज्ञता के भाव अर्पित करता हूँ।

संत पापा मुस्लिमों के पास ही क्यों जाते हैंॽ

संत पापा फ्रांसिस ने कहा कि मैं ईश्वर का धन्यवाद अदा करता हूँ क्योंकि उन्होंने मुझे अपने मुस्लिम भाई-बहनों से वार्ता और मिलन के मार्ग में और एक कदम आगे चलने में मदद की है। मेरी इस प्रेरितिक यात्रा का आदर्श वाक्य, “आशा का सेवा” था। अपनी इस तीर्थ में मैंने दो संतों, अस्सीसी के संत फ्रांसिस और संत पापा पौल द्वितीय का अनुसारण किया। 800 सौ साल पहले संत फांसिस अस्सीसी ने शांति और भाईचारे के संदेश के साथ सुल्तान अल-मालिक अल-कमील से मुलकात की जबकि सन् 1985 में संत पापा जोन पौल द्वितीय ने मोरक्को की अपनी यात्रा को यादगारी पूर्ण बनाया था जब उन्होंने पहली बार वाटिकन में मुस्लिम समुदाय के अधिकारियों राजा हस्सन द्वितीय का स्वागत किया था। संत पापा ने कहा कि हममें से कुछ लोग कह सकते हैं पर क्यों संत पापा मुलसमानों के पास ही जाते हैं ख्रीस्तीय के पास क्यों नहीं जाते। वे भी हमारी तरह आब्रहम की संतान हैं। हमें विभिन्नता से नहीं डरना है अपितु हमें इसके साथ मिलकर चलने की जरुरत है।

सेतु का निर्माण करना

वर्तमान समय में आशा करने का अर्थ दो सभ्यताओं के बीच सर्वप्रथम सेतुओं का निर्माण करना है। मेरे लिए यह एक खुशी और सम्मानजनक अवसर था जब मैंने मोरक्को साम्राज्य में उनके लोगों और उनके शासकों के साथ मिलते हुए इसे स्थापित कर पाया। हाल ही के दिनों ने समपन हुए अन्तरराष्ट्रीय शिखर सम्मेलनों की याद करते हुए हमने राजा मोहम्मद छटवें के संग मिलकर मानव के सम्मान, शांति और न्याय की स्थापना तथा प्रर्यावरण की देखरेख जो हमारा सामान्य निवास है, के संबंध में धर्म के महत्वपूर्ण योगदान की चर्चा की। इस संदर्भ में हमने येरुसालेम को लेकर एक अपील पर भी हस्ताक्षर किये ताकि पवित्र शहर को मानवता की संरक्षकता और शांतिपूर्ण मिलन स्थल के रूप में संरक्षित किया जा सके, विशेष रूप से तीन एकेश्वरवादी धर्मों के लिए।

संत पापा ने बातलाया कि उन्होंने मोहम्मद पांचवें के मकबरे की भी भेंट की जहाँ उन्होंने उन्हें तथा हस्सन द्वितीय को श्रद्धाजंलि अर्पित की। इसके आलवे मैंने इम्मामों के परिशिक्षण संस्थान की भी भेंट करते हुए सभी उपदेशकों से मुलाकात की। यह संस्थान एक ऐसे इस्लाम को बढ़ावा देता है जो अन्य धर्मों का सम्मान करता है और हिंसा और कट्टरवाद का विरोध करता है।

प्रवासन मुद्दे पर विशेष बल

उन्होंने कहा कि प्रेरितिक यात्रा के दौरान मैंने प्रवासन मुद्दे पर विशेष ध्यान दिया अतः मैंने इस विषय पर अधिकारियों से वार्ता की और विशेष रूप से प्रवासियों से भेंट की। उनमें से कुछ से अपना साक्ष्य देते हुए कहा कि जो प्रवासी के रुप में अपना जीवन बदले हैं, एक स्वागत करने वाले समुदाय को पाने पर, जो उन्हें मानव के रुप में सम्मान देता, उनके जीवन को बदल देता है। यह मोरक्को के माराकेच में मुख्य रुप से देखा जा सकता है जहाँ पिछले साल दिसम्बर के महीने में “सुरक्षित, व्यवस्थित और नियमित प्रवास के लिए विश्व समझौता" की पुष्टि की गई थी। यह अन्तरराष्ट्रीय समुदाय के लिए जिम्मेदारी लेने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। परमधर्मपीठ के रुप में हमने अपनी ओर से चार क्रियाओं को संक्षेपित किया, प्रवासियों का स्वागत करना, उनकी सुरक्षा करना, उन्हें बढ़ावा देना और उन्हें एकीकृत करना। यह कल्याणकारी कार्यक्रमों को कम करने का सवाल नहीं है, बल्कि इन चार कार्यों के माध्यम से हम एक साथ यात्रा करते हुए, शहरों और देशों का निर्माण करने में सहयोग करते हैं, जिससे फलस्वरुप हम अपनी संबंधित सांस्कृतिक और धार्मिक पहचानों को संरक्षित करते, मतभेदों के लिए खुले रहते और भ्रातृत्व के नाम पर दूसरों को सम्मान देना सीखते हैं। मोरक्को की कलीसिया प्रवासियों के प्रति निष्ठावान है  इसलिए मैं उन लोगों को धन्यवाद और प्रोत्साहित करना चाहता था जो मसीह के वचन को उदारतापूर्वक अपनी सेवा द्वारा जीते हैं: "मैं एक अजनबी था और आपने मेरा स्वागत किया" (मत्ती. 25.35)

संत पापा ने कहा कि रविवार को हमने ख्रीस्तीय समुदाय के संग ख्रीस्तीयाग अर्पित किया। मिस्सा बलिदान के पूर्व मैंने करूणा की पुत्रियों के धर्मसमाज की भेंट की जो ग्रामीण समाज सेवा केन्द्र संचालित करती हैं जहाँ कई स्वयंसेवकगण अपना सहयोग देते हुए असंख्य लोगों को विभिन्न सेवाएँ प्रदान कर रहे हैं।

ईश्वर हमारे द्वारा कार्य करते हैं

राबात के महागिरजाघऱ में मैंने पुरोहितों समर्पित लोगों और कलीसियाओं की विश्व परिषद से मुलाकात की। मोरक्को में इनकी संख्या छोटी है अतः मैंने सुसमाचार के उन छवियों की याद की जहाँ येसु नमक, दीपक और खमीर की चर्चा करते हैं। (मत्ती.5.13-16, 13.33) यहां हमारे लिए मात्रा मायने नहीं रखता वरन नमक का स्वाद, दीपक का जगमगाना और खमीर का पूरे आटा को खमीरा बनाने से है। संत पापा ने कहा कि यह कार्य हमारे द्वारा नहीं होता बल्कि यह ईश्वर के द्वारा किया जाता है, पवित्र आत्मा जो हमें येसु ख्रीस्त का साक्ष्य देने को प्रेरित करते हैं जिसके फलस्वरुप हम सर्वप्रथम अपने बीच में मित्रता और वार्ता के भाव प्रदर्शित करते हैं, क्योंकि येसु ख्रीस्त करते हैं, “यदि तुम एक दूसरे को प्रेम करते हो तो इससे दूसरे यह जानेंगे की तुम मेरे शिष्य हो।” (यो.13.35)

विश्व में आशा के सेवक बनें

रविवारीय मिस्सा बलिदान में हजारों की संख्या में लोगों ने भाग लिया जिसमें करीबन 60 विभिन्न देशों के नागरिक उपस्थित थे। करूणावान पिता के दृष्टांत ने हमारे बीच में ईश्वरीय सुन्दर विधान को प्रकट किया जिसके फलस्वरुप वे हमें अपनी संतानों को अपनी खुशी में सहभागी होने की चाह रखते हैं, जहाँ वे हमें क्षमा करते और एक दूसरे से हमारा मेल-मिलाप कराते हैं। इस भोज में वे सभी सहभागी होते हैं जो अपने में यह एहसास करते हैं कि उन्हें पिता के करुणा की जरुरत है जो अपने बच्चों के वापस आने पर आनंदित होते हैं। यह हमारे लिए कोई संयोग की बात नहीं जहाँ हम मुस्लिमों को करुणा और मेहरबान पिता को पुकारते हुए सुनते है जिसे हम करूणावान पिता के दृष्टांत में ध्वनित होता हुआ पाते हैं। संत पापा ने कहा कि वे जो पिता के आलिंगन में पुनः लौटकर आते और अपना जीवनयापन करते, जो अपने को भाइयों की तरह देखते केवल वे ही विश्व में आशा के सेवक बन सकते हैं।

इतना कहने के बाद संत पापा ने सभों के साथ हे पिता हमारे प्रार्थना का पाठ किया और सभों को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया।

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