बधिरों हेतु कार्यारत इतालवी संघों को संत पापा का संदेश

बधिरों हेतु कार्यारत लोगों से संत पापा की मुलाकात

 संत पापा फ्रांसिस ने बधिरों हेतु कार्यारत इतालवी संघों के सदस्दयों से वाटिकन के क्लेमेटीना सभागार में मुलाकात की और उन्हें अपना संदेश दिया।

उन्होंने कहा कि यह प्रेरितिक कार्य बधिर व्यक्तियों के लिए जीवन की बेहतर गुणवत्ता और अक्षमता को दूर करने के लिए आवश्यक हैजो आध्यात्मिक और अन्य सभी आयामों का मूल्यांकन करते हुए उन्हें मानव समाज का अभिन्न अंग बनाता है।

बधिर मानव जीवन का अंग

बहरे लोग अपरिहार्य रुप से अपने को एक नजुक स्थिति में होने का अनुभव करते हैं। यह जीवन  का अंग है और हम इसे सकारात्मक रुप में स्वीकारने की जरुरत हैं। इस संबंध में ख्रीस्तीय समुदाय में भी बहुत से लोग हैं जो उनके साथ पक्षपात व्यवहार करते हैं जो अपने में उचित नहीं है। देशों, शहरों और पल्लियों को इस संदर्भ में अपने विचारों को विस्तृत करने की जरुरत है। संत पापा ने कहा कि आप अपनी अयोग्य परिस्थिति में हमें उदासीनता के बदले जीवन में मिलन की संस्कृति का पाठ पढ़ाते हैं। इस प्रकारसमाज और समुदाय में सुधार किया जा सकता है और बहरे लोगों को एक अस्तित्वपूर्ण परिपूर्णता प्रदान की जा सकती है जो जीवन के सभी पहलुओं का ध्यान विभिन्न परिस्थितियों में करते हैं।

ईश प्रजा की भलाई

आज की सामाजिक और सांस्कृतिक परिवेश में आप कलीसिया हेत एक उपहार हैं। अतः आप की उपस्थिति हमें एक विशेष प्रेरिताई कार्य में संलग्न करते हुए सुसमाचार प्रचार हेतु एक अवसर प्रदान करती है। संत पापा ने कहा कि मैं आशा करता हूँ कि आप व्यक्तिगत और संघ के रुप में अपने को कलीसियाई जीवन का सम्पूर्ण अंग बनायेंगे जो ईश्वर प्रदत्त गुणों को निखारने हेतु एक अवसर प्रदान करेगा जिसके फलस्वरुप परिवारों और ईश प्रज्ञा की भलाई हो सके।

विश्वास ईश्वरीय उपस्थिति का एहसास 

ईश्वर की उपस्थिति का एहसास हम कानों से नहीं वरन अपने विश्वास के कारण करते हैं अतः मैं आपको प्रोत्साहित करता हूँ कि आप अपने विश्वास को नवीन बनायें जिससे आप ईश्वरीय निकटता का एहसास और गहराई के कर सकें। उनकी वाणी हम सभों के हृदयों में ध्वनित होती और हम सब उसे सुन सकते हैं। ऐसा करने के द्वारा आप बधिरों की सेवा प्रभावकारी ढ़ग से कर पायेंगे।

संत पापा ने विश्व के बधिरों के प्रति अपने सामीप्य का इजहार करते हुए कहा कि मैं इटली और विश्व के सभी सुनने में असमर्थ लोगों की याद करता हूँ विशेषरुप से उनकी जो अपना जीवन दयनीय स्थिति में जीने को विवश हैं। मैं उनके लिए प्रार्थना करता हूँ। मैं आप सभों के लिए भी प्रार्थना करता हूँ जिससे आप समाज को अपनी विशेष सेवा दे सकें। आपकी उपस्थिति कलीसिया हेतु आवश्यकता है जिससे उन समुदायों का निर्माण किया जा सकें जो अपने को खुला रखते हुए हाशिए में पड़े लोगों का स्वागत करते हैं।

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