दक्षिणी सूडानी नेताओं को संत पापा का संदेश

दक्षिणी सूडान के नेताओं को संत पापा का संदेश

संत पापा फ्रांसिस ने वाटिकन के संत मार्था प्रार्थनालय में दक्षिणी सूडान के राजनीति और कलीसियाई अधिकारियों को दो दिवसीय आध्यात्मिक साधना के उपरांत अपना संदेश दिया।
“तुम्हें शांति मिले।” (यो. 20. 19) संत पापा ने आध्यात्मिक साधना में भाग लेने वाले सभी प्रतिभागियों का अभिवादन येसु के इन वचनों से किया। उन्होंने कहा कि हमारे लिए पुनर्जीवित येसु की शांति का अनुभव करना अति महत्वपूर्ण है। मैं आप सबों को ईश्वरीय उसी शांति से अभिवादन करता हूँ क्योंकि आप युद्ध प्रभावित परिदृश्य से आते हैं। यह आप के कानों में गूंजित हो जिसे येसु ने अंतिम व्यारी में अपने शिष्यों से कहा जिससे आप अपने युवा देश में प्रसारित करने में कामयाब हो सकें। यह दक्षिणी सूडान के लोगों में आशा की नई ज्योति बनें।

संत पापा ने कहा कि शांति वह मूलभूत स्थिति है जिसके फलस्वरूप हम लोगों को उनके अधिकार प्रदान करते हैं। पिता ने अपने बेटे को दुनिया में भेजते हुए हमें इसी शांति का उपहार दिया है। अपने जीवन के त्याग और आज्ञाकारिता के द्वारा उन्हें विश्व को शांति प्रदान की। सूडान के राष्ट्रीय गान में हमें इसी शांति और एकता को गूंजित होता हुआ सुनते हैं।

ईश्वर की निगाहें
संत पापा ने कहा कि हम सभी हमारे अपने इस मिलन के उद्देश्य से वाकिफ है क्योंकि चूँकि यह न तो संत पापा और राष्ट्राध्यक्षों के बीच एक साधारण द्विपक्षीय या कूटनीतिक बैठक है, न ही एक ईसाई पहल जिसमें विभिन्न ईसाई समुदायों के प्रतिनिधि शामिल हैं। बल्कि यह आध्यात्मिक साधना है। यह हमारा ध्यान अपने आंतरिक चिंतन की ओर कराता है जहाँ हम प्रार्थना में विश्वास करते हुए एक गहरी चिंतन करते हुए मेल-मिलाप की ओर ध्यान देते हैं जिससे हमारे समुदायों में अच्छे फल उत्पन्न हो सकें।
आध्यात्मिक साधना में हम एक साथ ईश्वर के सम्मुख आते हुए उनके विचारों को अपने में वहन करते हैं। यह हमें अपने कार्यों और अपने जीवन में चिंतन करने की मांग करता है जो हमें ईश्वर की ओर से अपने लोगों के लिए एक उत्तदायित्व स्वरुप दिया गया है। संत पापा ने कहा कि हम अपने में यह न भूलें कि राजनीतिक और धार्मिक नेताओं के रुप में ईश्वर ने हमें अपनी ओर से अपने लोगों के लिए कार्यभार सौंपा है। हमें एक बड़ी जिम्मेदारी सौंपी गई है जिसका बड़ा लेखा हमें ईश्वर को देना होगा। वे हमसे सेवा और प्रबंधन का हिसाब मांगेंगे दूसरे शब्दों में ईश्वर हमें उन लोगों के बारे में हम से पूछेंगे जिनकी जिम्मेदारी हमें सौंपी गई है। (लूका. 12. 48)
वे लोग जो अपने में भूखे और प्यासे हैं जो न्याय की मांग करते हैं वे हमारे कार्यों के केन्द्र-विन्दु हैं। वे दुनिया की नजरों में सबसे छोटे यद्यपि ईश्वर की नजरों में कीमती हैं। “ईश्वर की नजरें” इसके द्वारा संत पापा ने कहा मैं येसु की निगाहों के बारे में सोचता हूँ। आध्यात्मिक साधना हमें अपनी अंतर-आत्मा की जांच करने का निमंत्रण देता है जहाँ हम अपने जीवन की अच्छाइयों और बुराइयों के साथ ईश्वर की नजरों के सामने खड़े होते हैं जो हमारे जीवन की सच्चाई को पूरी तरह से देख सकते हैं। येसु पेत्रुस की ओर तीन बार नजरें फेरते हैं जिसके बारे में कुछ कहना चाहता हूँ।

पहली बार येसु ने पेत्रुस की ओर तक निगाहें फेरी जब वह अपने भाई अद्रेयस के साथ यह कहते हुए आया था हमने मसीह को पा लिया है। (यो. 1.41-42) उसके बाद येसु ने पेत्रुस को चट्टान की संज्ञा दी जहाँ वे अपनी कलीसिया का निर्माण करने की बात कहते हैं। वे उसके द्वारा अपने मुक्तिदायी कार्यों को करने की पहल करते हैं। अपनी पहली नजर में येसु चुनते हैं जो विशेष प्रेरिताई का जोश उत्पन्न करता है।

येसु पेत्रुस की ओर दूसरी बार अपनी नजरें पवित्र बृहस्पतिवार के दिन फेरते हैं जहाँ उन्होंने अपने स्वामी को तीन बार अस्वीकार किया। वे अपनी नजरों के द्वारा पेत्रुस में पश्चाताप के भाव उत्पन्न करते और वह फुटफुट कर रोता है। (मत्ती. 26.75) येसु का दूसरी बार पेत्रुस की ओर नजरें फेरना उसके हृदय में परिवर्तन लाता है।

आखरी में येसु तेबेरियस समुद्र के किनारे पेत्रुस की ओर अपनी निगाहें फेरते और अपने लिए तीन बार प्रेम प्रकट कराते हैं। इस तरह वे अपनी भेड़ों की देख-रेख करने की जिम्मेदारी उनके ऊपर सौंपते हैं जो उनके त्यागमय प्रेरिताई जीवन की बात कहता है। (यो. 21. 15-19)

संत पापा ने कहा हम सभों का बुलावा विश्वास में ईश्वर के द्वारा लोगों की सेवा हेतु हुआ है। अपनी इस सेवा के कार्यो में हमने कई छोटी बड़ी गलतियाँ की हैं। फिर भी येसु हमें क्षमा करते और हमें पश्चाताप करने का अवसर प्रदान करते हैं। वे हमारे संग एक नया संबंध स्थापित करते और हम अपने लोगों के प्रति निष्ठावान बने रहने को कहते हैं।

येसु की नजरें हम सबों के ऊपर हैं। हमारे लिए यह जरुरी है कि हम इसे अपने हृदय की आंखों से देखें और अनुभव करें। येसु आज मेरी ओर कैसे देखते हैंॽ वह मुझे किस कार्य हेतु बुलाते हैंॽ येसु किन-किन बातों को क्षमा करते और मेरे किस मनोभाव में परिवर्तन लाने की चाह रखते हैंॽ ईश्वर मुझे अपने लोगों के लिए कौन-सा कार्य सोंपते हैंॽ लोग हमारे नहीं बल्कि ईश्वर के हैं और हम उस समुदाय के अंग हैं। इस तरह यदि हम देखें तो हमारा विशेष उत्तरदायित्व लोगों की सेवा करना है।

येसु हमारी ओर प्रेम भरी निगाहें फेरते हैं। वे हमें क्षमा करते, हमसे कुछ मांगते और हमें अपना प्रेरितिक कार्य प्रदान करते हैं। उन्होंने हमारा चुनाव करते हुए हम पर एक विश्वास किया है जिससे हम एक न्यायपूर्ण दुनिया की स्थापना कर सकें। हम निश्चित रुप में यह कह सकते हैं कि उनकी निगाहें हमारे हृदय के आर-पार जाती हैं जो हमें प्रेम, क्षमा, परिवर्तन करता और हमें उनके साथ संयुक्त करता है। उनकी निगाहें हमें अपने पापमय जीवन का परित्याग करने का आहृवान करती क्योंकि वह हमें मृत्यु की ओर ले जाता है। वे हमें शांति और अच्छाई के मार्ग में ले चलते हैं।

लोगों की निगाहें
य़ेसु की निगाहें हमारी ओर टिकी हुई हैं जो हमें शांति से भर देती है। वहीं हम अपनी ओर लोगों की निगाहों को पाते हैं जहाँ हम उनकी इच्छाओं को देखते हैं जो न्याय, मेल-मिलाप और शांति की मांग करती है। संत पापा ने कहा इस परिस्थिति में मैं आप के देश के सभी नागरिकों को अपनी आध्यात्मिक निकटता का एहसास प्रदान करता हूँ विशेषकर शरणार्थियों और बीमारों को जो देश में बड़ी आशा के साथ निवास करते हैं और ऐतिहासिक दिन की प्रतीक्षा कर रहे हैं। जिस भांति नूह ने कबूतर का इंतजार किया उसी भांति वे बड़ी आशा में इस समय हमारे साथ प्रार्थना करते हुए चल रहे हैं जिससे आप उनके लिए मेल-मिलाप, शांति और समृद्धि का संदेश लेकर लौटे।

संत पापा ने कहा कि मैं उनकी याद करता हूं जिन्होंने अपने प्रियजनों, परिवारों, घरों को खो दिया और एक दूसरे के कभी नहीं मिल पाये। वे बच्चे और बुजुर्ग, नर और नारी जिन्हें युद्ध का भंयकर दंश झेलना पड़ा है जिसके कारण उनकी आंखों में मृत्यु, भूख और दर्द के आंसू हैं। हम उन गरीबों और जरुरतमंदों की कराह को जानते हैं जिनकी आवाज ईश्वर के कानों में पहुँचती हैं जो उन्हें शांति और न्याय देने की चाह रखते हैं। मैं उन दुःखित हृदयों की याद करते हुए प्रार्थना करता हूँ जिससे युद्ध की आग बुझे जिससे वे अपने घरों को शांति में लौट सकें। मैं शांति हेतु प्रार्थना करता हूं और सभी लोगों से यही निवेदन करता हूँ कि हम शांति हेतु कार्य करें।

संत पापा ने कहा कि शांति संभंव है। मैं यह कहते हुए नहीं थकूंगा कि हमारे बीच शांति स्थापित की जा सकती है। ईश्वर के इस उपहार का उत्तरदायित्व हम लोगों के ऊपर है। ख्रीस्तीय अपने में विश्वास करते हैं कि शांति संभंव है क्योंकि येसु मृतकों में से जी उठे हैं। उन्होंने अच्छाई द्वारा बुराई पर विजयी पाई है।

संत पापा ने अपनी प्रार्थनामय आशा में कहा कि हम सभी वार्ता, क्षमा और समझौता द्वारा शांति हेतु कार्य करें। मैं आप से निवेदन करता हूँ आप उस बात की खोज करें जो लोगों में एकता लाती है। आप इस बात को याद करें कि युद्ध के द्वारा सारी चीजों का विनाश हो जाता है। आप के लोग अच्छे भविष्य की आशा करते हैं जो कि केवल मेल-मिलाप और शांति के द्वारा स्थापित किया जा सकता है।

पिछले सितम्बर के महीने में शांति समझौते हेतु मैं सभी राजनीतिक प्रतिनिधियों का धन्यवाद करता हूँ। मैं आशा करता हूँ कि हमारे बीच शत्रुता समाप्त होगी जिससे देश के नागरिक एक नये सपनों के देश का निर्माण कर सकेंगे। मैं वाटिकन में सूडान धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के धर्माध्यक्षों से अपनी मुलाकात और विचारों के आदान-प्रदान की याद करते हुए उन सभी लोगों और राजनीतिज्ञों के प्रति धन्यवाद के भाव अर्पित करता हूँ जो जरूरमंद लोगों की सहायता हेतु अपने को आगे लाते हैं। दक्षिणी सूडान के सभी ख्रीस्तीय जो देश को इस वृहृद जरुरत के समय में सहायता करते औऱ येसु ख्रीस्त के घावों की मलहम पट्टी करते हैं मैं उनके ऊपर ईश्वरीय प्रचुर आशीष की कामना करते हुए उन्हें अपनी प्रार्थनाओं में याद करता हूँ। वे सूडानी लोगों के बीच अपनी प्रार्थना और साक्ष्य के द्वारा शांति के प्रवर्तक बनें।

अपने संदेश संबोधन के अंत में संत पापा फ्रांसिस ने सूडान के सभी अधिकारियों के प्रति अपनी कृतज्ञता अर्पित की जिन्होंने आध्यात्मिक साधना में भाग लिया। उन्होंने सूडानवासियों को अपनी शांति और समृद्धि की शुभकामनाएँ प्रदान की। ईश्वर की करूणा सूडान के हर व्यक्ति के हृदय को स्पर्श करे, वे उन्हें अपनी आशीष और कृपा से भर दे जिससे वे नील नदी के पानी का तरह शांति में बने रहते हुए फलहित हों और अपना विकास कर सकें। मैं आशा करता हूं कि ईश्वरीय कृपा से मैं आपके प्रिय देश की यात्रा शीघ्र कर पाऊंगा।

अंतिम प्रार्थना
संत पापा ने अपने संदेश का अंत संत पौलुस की प्रार्थना से किया,“मैं सब से पहले यह अनुरोध करता हूँ कि सभी मनुष्यों के लिए, विशेष रुप से राजाओं और अधिकारियों के लिए, अनुनय-विनय, प्रार्थना, निवदेन ताथ धन्यवाद अर्पित किया जाये, जिससे हम भक्ति तथा मर्यादा के साथ निर्विध्न तथा शांत जीवन बीता सकें। (1 तिमथी 2.1-2)

हे ईश्वर, तूने हमें अपनी अनंत अच्छाई में नवीनता को धारण करने हेतु निमंत्रण देता और हम पर अपनी क्षमा की कृपा बरसाता है। हम अपनी इस विखंडित दुनिया में तेरे पितातुल्य प्रेम को पहचानते हैं, हमारे हृदय़ों का स्पर्श कर और हमें मेल-मिलाप की ओर ले चल। मानव ने कितनी बार तेरे विधान को भंग किया है। फिर भी तुने उसका परित्याग नहीं किया वरन उसे अपने बेटे येसु ख्रीस्त में पुनः संयुक्त किया है, क्योंकि येसु ख्रीस्त तेरे पुत्र हमारे मुक्तिदाता में हमारा संबंध इतना मजबूत है कि यह कभी टूट नहीं सकता है।

हम निवेदन करते हैं तू पवित्र आत्मा में हमारे हृदय को स्पर्श कर जिससे हम वार्ता हेतु अपने को खोल सकें, विरोधी एकता हेतु अपना हाथ बढ़ा सकें। तेरे उपहार से, हे पिता हम सारे दिल से शांति की स्थापना कर सकें, घृणा में प्रेम की विजयी हो, बदले की भावना क्षमा के द्वारा दूर हो जिससे तेरी करूणा में आश्रित रहते हुए हम तेरी ओर फिर सकें। हमें पवित्र आत्मा के वरदानों के प्रति खुल रख जिससे हम येसु ख्रीस्त में नये जीवन की शुरूआत करते हुए तेरे नाम में अपने भाई-बहनों की सेवा में अपने को दे सकें।

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