राई का दाना | Gospel | Sunday Gospel | 13 June

सन्त मारकुस के अनुसार पवित्र सुसमाचार
4:26-34

ईसा ने उन से कहा, "ईश्वर का राज्य उस मनुष्य के सदृश है, जो भूमि में बीज बोता है। वह रात को सोने जाता और सुबह उठता है। बीज उगता है और बढ़ता जाता है हालाँकि उसे यह पता नहीं कि यह कैसे हो रहा है। भूमि अपने आप फसल पैदा करती है- पहले अंकुर, फिर बाल और बाद में पूरा दाना। फ़सल तैयार होते ही वह हँसिया चलाने लगता है, क्योंकि कटनी का समय आ गया है।" ईसा ने कहा, "हम ईश्वर के राज्य की तुलना किस से करें? हम किस दृष्टान्त द्वारा उसका निरूपण करें? वह राई के दाने के सदृश है। मिट्टी में बोये जाते समय वह दुनिया भर का सब से छोटा दाना है; परन्तु बाद में बढ़ते-बढ़ते वह सब पौधों से बड़ा हो जाता है और उस में इतनी बड़ी-बड़ी डालियाँ निकल आती हैं कि आकाश के पंछी उसकी छाया में बसेरा कर सकते हैं। वह इस प्रकार के बहुत-से दृष्टान्तों द्वारा लोगों को उनकी समझ के अनुसार सुसमाचार सुनाते थे। वह बिना दृष्टान्त के लोगों से कुछ नहीं कहते थे, लेकिन एकान्त में अपने शिष्यों को सब बातें समझाते थे।

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