विश्व की एक करोड़ दस लाख किशोरियों की शिक्षा ख़तरे में। 

रोम में 15 जुलाई को सम्पन्न तीन दिवसीय "महिला 20 शिखर सम्मेलन" में इस बात के प्रति चिन्ता व्यक्त की गई कि विश्व में कम से कम एक करोड़ दस लाख किशोरियाँ ऐसी हैं जो फिर कभी स्कूल नहीं लौट पायेंगी।
महिला 20 शिखर सम्मेलन के बाद "सेव द चिलड्रन" लोकोपकारी संगठन ने 15 जुलाई को एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बच्चों, लड़कियों एवं महिलाओं के विरुद्ध भेदभाव के प्रति ध्यान आकर्षित कराया तथा भविष्य को सुरक्षित रखने के लिये, विशेष रूप से, किशोरियों की शिक्षा पर ध्यान केन्द्रित करने का विश्व की सरकारों से आग्रह किया।  
इस बात को रेखांकित किया गया कि महामारी के परिणामस्वरूप, एक करोड़ दस लाख लड़कियों के स्कूल नहीं लौटने का जोखिम है, जिसका उनके स्वास्थ्य, सुरक्षा और कल्याण पर संभावित विनाशकारी प्रभाव पड़ रहा है। शिक्षा प्राप्त करने की सम्भावना से वंचित किशोरियों को बाल श्रम, विवाह और प्रारंभिक गर्भधारण के शोषण का शिकार बनना पड़ सकता है, यह वह स्थिति है जो विगत वर्ष से और अधिक बिगड़ गई है।
बताया गया कि ग़रीब देशों के नाबालिगों ने अमीर देशों में रहने वाले अपने साथियों की तुलना में 66% अधिक स्कूल के दिनों को खो दिया है, लड़कियों के लिए स्थिति और भी गंभीर है: कम आमदनी वाले देशों में उन्होंने अपने पुरुष साथियों की तुलना में औसतन 22% कम शिक्षा प्राप्त की है।
"सेव द चिलड्रन" लोकोपकारी संगठन ने इस बात के प्रति भी ध्यान आकर्षित कराया कि सम्पूर्ण विश्व में उपस्थित निरक्षर लोगों में 59 प्रतिशत किशोरियाँ एवं युवा महिलाएं हैं, विशेष रूप से, अफ्रीका के अवर सहारा क्षेत्र, मध्यपूर्व, उत्तरी अफ्रीका तथा दक्षिण एशियाई देशों में महिलाओं एवं किशेरियों की शिक्षा स्थिति चिन्ताजनक निरूपित की गई। 

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