कोविड के कारण विश्व के 83 प्रतिशत बच्चे मानसिक रूप से प्रभावित। 

बाल्य सुरक्षा में संलग्न विश्वव्यापी संगठन सेव द चिल्ड्रन ने अपनी हालिया रिपोर्ट में प्रकाशित किया कि कोविड महामारी के परिणामस्वरूप, समस्त विश्व में 83% बच्चे नकारात्मक भावनाओं में वृद्धि का अनुभव कर रहे हैं और नाबालिगों में अवसाद, चिंता, अकेलापन और आत्म-नुकसान का स्तर बढ़ रहा है।
बाल्य सुरक्षा में संलग्न विश्वव्यापी संगठन सेव द चिल्ड्रन ने अपनी हालिया रिपोर्ट में प्रकाशित किया कि कोविद महामारी के परिणामस्वरूप, समस्त विश्व में 83% बच्चे नकारात्मक भावनाओं में वृद्धि का अनुभव कर रहे हैं और नाबालिगों में अवसाद, चिंता, अकेलापन और आत्म-नुकसान का स्तर बढ़ रहा है।
आठ अक्टूबर को प्रकाशित एक विज्ञप्ति में उक्त रिपोर्ट का हवाला देते हुए सेव द चिल्ड्रन संगठन ने कहा कि कोविड महामारी के कारण जिन देशों में 17 से 19 सप्ताहों तक स्कूल बन्द रहे, वहाँ 96 प्रतिशत बच्चों का मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित हुआ। इटली में भी लगभग 70% बच्चे अधिक असुरक्षित, उदास और नींद की बीमारी से पीड़ित थे।
रिपोर्ट में संगठन ने सरकारों से बच्चों और किशोरों के लिए मानसिक स्वास्थ्य और मनोसामाजिक समर्थन को उनके अधिकार के रूप में मान्यता देने का आग्रह किया है तथा उन्हें राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा में एकीकृत करने की भी मांग की है।
विगत सौ वर्षों से बच्चों के स्वास्थ्य एवं बच्चों के अधिकारों के लिये कार्यरत सेव द चिल्ड्रन संगठन ने विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस की पूर्व सन्ध्या अपनी रिपोर्ट प्रकाशित की। 2020 में 46 राष्ट्रों के 13,000 बच्चों पर किये सर्वेक्षण पर यह रिपोर्ट आधारित है। इसमें कहा गया है कि कोविद-महामारी के उभरने के प्रथम छः माहों में विश्व के कई देशों में बच्चे लॉक डाऊन तथा प्रतिबन्धों की स्थिति में रहे, जिससे उनके मानसिक स्वास्थ्य पर गहन प्रभाव पड़ा।   
रिपोर्ट में कहा गया कि वेनेज़ुएला में 16 माहों तक बच्चे लॉक डाऊन की स्थिति में रहे, लेबनान में 418 दिन जबकि ज़िम्बाबवे में केवल 2021 के दौरान बच्चों ने नौ महीने अलगाव में व्यतीत किया। इसी तरह नेपाल में कोविद-महामारी के आरम्भ से लेकर अब तक बच्चे 12 महीने अपने घरों में बन्द रहे हैं।
भारत के विषय में रिपोर्ट में कहा गया कि कोविड महामारी ने भारत के 4,48,000 से अधिक लोगों की जानें ली हैं। यहाँ भी बच्चों एवं स्कूली छात्रों ने कम से कम सौ दिन घर में बन्द रहकर बिताये।  
नाबालिगों को मानसिक स्वास्थ्य सहायता प्रदान करने के लिए, सेव द चिल्ड्रेन ने बच्चों और किशोरों के लिए एक मुफ्त परामर्श हॉटलाइन स्थापित की है, जिसे इस वर्ष 2,900 से अधिक कॉल प्राप्त हुए हैं। तनाव, चिंता और ऊब के साथ-साथ भविष्य को लेकर अनिश्चितता उनकी मुख्य चिंताओं में से हैं।
रिपोर्ट में ध्यान आकर्षित कराया गया कि विश्व के लगभग हर देश में, नाबालिगों ने कोविड -19 महामारी के दौरान किसी न किसी रूप में बंद होने अथवा अकेलेपन का अनुभव किया है। यद्यपि उच्च आय वाले धनी देशों में मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच आसान है, बच्चों के लिए नींद के चक्र, ऑनलाइन शिक्षा, खेलने की आदतों का छूटना तथा ऑनलाइन जोखिम की बढ़  जाना ऐसे कारक हैं जो उनके मानसिक स्वास्थ्य को जोखिम में डाल सकते हैं।
बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य और कल्याण को एक अधिकार के रूप में मान्यता देने का आग्रह करते हुए संगठन ने  सरकारों से मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से घिरे बच्चों और साथ ही मानसिक विकारों से ग्रस्त विकलांग बच्चों के विरुद्ध मानवाधिकारों के उल्लंघन को दूर करने का आह्वान किया है।  

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