सुरक्षित पेयजल तक पहुँच मौलिक मानव अधिकार। 

जेनेवा में संयुक्त राष्ट्र के लिए वाटिकन के स्थायी पर्यवेक्षक का कहना है कि सुरक्षित पेयजल तक पहुंच एक बुनियादी मानव अधिकार है।
परमधर्मपीठ का कहना है कि “पानी कोई वस्तु नहीं है; यह एक सार्वभौमिक प्रतीक और जीवन एवं स्वास्थ्य का स्रोत है। इसलिए सभी के लिए पेयजल और स्वास्थ्यकर सेवाएँ सुनिश्चित करना आवश्यक है।"
जेनेवा में मानव अधिकार समिति द्वारा आयोजित जल एवं स्वच्छता पर वार्ता हेतु आयोजित 48वें सत्र में यूएन के लिए वाटिकन के स्थायी मिशन इंचार्ज मोनसिन्योर जॉन पुतजर ने जोर दिया कि पीने के पानी की सार्वभौमिक पहुंच "मानव व्यक्ति की गरिमा को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण" है और हमेशा परमधर्मपीठ की प्राथमिकता रही है।"  
उन्होंने सुरक्षित पेयजल और स्वच्छता के मानवाधिकारों पर विशेष प्रतिवेदक के रूप में इसपर चर्चा की जो वैश्विक जल संकट की गंभीरता के बारे में जागरूकता बढ़ाता है जिसका सामना मानवता को करना पड़ रहा है और जो पानी के वित्तीयकरण, जलवायु परिवर्तन और हाल ही में कोविड-19 महामारी से बढ़ गया है।
जलवायु परिवर्तन एवं कोविड-19 महामारी ने जल के इस अंतराल को बढ़ा दिया है
संत पापा फ्रांसिस के शब्दों का हवाला देते हुए मोनसिन्योर ने कहा, "सुरक्षित पेयजल तक पहुँच एक मौलिक एवं वैश्विक मानव अधिकार है चूँकि यह मानव के जीने के लिए आवश्यक है और मानव अधिकार की अन्य शर्तों को पूरा करता है।" उन्होंने गौर किया कि दुर्भाग्य से हमारे युग के विकास एवं तकनीकी प्रगति के बावजूद सुरक्षित, पीने योग्य पानी तक पहुँच सभी के लिए संभव नहीं है और यह अंतराल जलवायु परिवर्तन एवं कोविड-19 महामारी के कारण अधिक बढ़ गया है। निश्चय ही कोविड-19 महामारी ने सामाजिक एवं आर्थिक असामनता एवं जल सेवाओं के अभाव या अक्षमता के कारण सबसे अधिक जरूरतमंद लोगों को हुए नुकसान को उजागर किया।
स्वच्छ जल तक सार्वभौमिक पहुंच सभी के लिए एक तत्काल प्राथमिकता और जिम्मेदारी है। मोनसिन्योर पुतजर ने कहा, "इसने यह भी रेखांकित किया है कि वैश्विक समुदाय परस्पर जुड़ा हुआ है।" उन्होंने यह भी जोर दिया कि वैश्विक स्वास्थ्य आपात स्थितियों के जोखिम को कम करने की आवश्यकता को देखते हुए स्वच्छ पानी और स्वच्छता तक सार्वभौमिक पहुंच "न केवल एक तत्काल प्राथमिकता है", बल्कि यह "सभी द्वारा साझा की गई एक गंभीर जिम्मेदारी" भी है।
इसलिए वाटिकन के प्रतिनिधि ने निष्कर्ष निकाला कि "सभी हितधारकों की ओर से यह सुनिश्चित करने के लिए कि सभी लोगों की स्वच्छ और पर्याप्त पानी तक पहुंच हो, एक संयुक्त और समन्वित प्रयास की आवश्यकता है"।

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