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कोरोना अभिशाप या वरदान?
थम्बनेल देखकर आप सोच रहे होंगे कि यह कैसा बेबुनियाद सा सवाल है कि कोरोना अभिशाप है या वरदान! आप सभी का यही जवाब होगा कि कोरोना हम सभी के लिए एक अभिशाप से कम नही है। औऱ यह सही भी है कि जिस वायरस के कारण मानव जीवन के अस्तित्व पर इतना बड़ा सवाल उठ रहा है वह वरदान कैसे साबित हो सकता है, वह तो मानव के लिए अभिशाप है। कोरोना वायरस हम मनुष्यों के लिए महामारी जरूर है मगर पर्यावरण के लिए यह किसी वरदान से कम साबित नही हो रहा है। जहाँ एक ओर इस वायरस के कारण मानव जीवन बुरी तरह अस्त व्यस्त एवं प्रभावित हुआ है, वही दूसरी तरफ यह प्रकृति के लिए किसी वरदान से कम नही है। हम सिर्फ एक पहलू के आधार पर कोरोना वायरस को महामारी मान रहे है मगर अगर देखा जाए तो अन्य जानवरों, प्रकृति एवं पर्यावरण के लिए तो ईश्वर का वरदान साबित हो रहा है। मैं यह बिल्कुल नही कह रहा हूँ कि कोरोना वायरस से हमें खुशी हो रही है। मानव सर्वोपरी है। उसे कभी कोई बीमारी नही होनी चाहिए बल्कि सभी हरदम स्वस्थ रहे, खुश रहे और जीवन का सही रूप में आंनद लेते रहे। एक बात की ओर मैं आपका ध्यान खींचना चाहूंगा कि यह प्रकृति सिर्फ मनुष्यों की ही नही है बल्कि अन्य सभी जीव-जंतुओं एवं जानवरों का भी इस पर उतना ही अधिकार है जितना कि मनुष्यों का। धरती पर मनुष्यों की उत्पत्ति तो सबसे अन्त में हुई है। अन्य सभी जीव-जंतु एवं जानवर तो पृथ्वी के प्रारंभ से ही मौजूद है। लेकिन मनुष्य ने आकर ईश्वर की सर्वश्रेष्ठ कृति को अपने स्वार्थ के लिए इसका गलत रूप से उपभोग कर अपने स्वर्ग को अपने लिए नरक बना दिया। और आज परिणाम आपके सामने है कि मनुष्य किस प्रकार जीवित रहने के लिए संघर्ष कर रहा है। प्रकृति ने मनुष्यों को जीवन यापन के लिए सर्वश्रेष्ठ संसाधन दिए, मगर अपने लालच एवं स्वार्थ के चलते मनुष्य सबकुछ से निर्वासित हो गया और हालात ऐसे बन गए है कि उसे चारदीवारी में छुपकर जीना पड़ रहा है। कोरोना धीरे-धीरे भयानक रूप लेता जा रहा है। और इसके चलते मानवीय क्रियाएं ठप पड़ चुकी है और इसका सीधा-सीधा फायदा प्रकृति को मिल रहा है। वातावरण स्वच्छ हो गया है, पानी, नदियाँ, हवा, जंगल, भूमि एवं पूरा पर्यावरण खिलखिला रहा है। हवा शुद्ध होने से आसमान भी साफ हो गया है। प्रदूषण के कम होने से प्रकृति पुनः अपने वास्तविक स्वरूप में लौट रही है। मनुष्य अपनी गलती के कारण आज अपने घरों में दुबक्कर बैठा है। ज्यादा पीछे जाने की आवश्यकता नही है अगर हम पिछले कुछ सालों पर अपनी दृष्टि दौड़ाये तो हम पाएंगे कि कई प्रकार की बीमारियां जैसे स्वाइन फ्लू, बर्ड फ्लू, इबोला, ज़ीका, सार्स, मेर्स आदि कई बीमारियां एवं वायरस मनुष्यों की गलतियों के कारण जानवरों से मनुष्यों में आये है। मनुष्यों को आज समझना होगा कि उनके समान इन जीव-जंतुओं एवं जानवरो का भी इस पृथ्वी पर पूरा अधिकार है। कोरोना के चलते अब कई प्रकार के जीवों की रक्षा हो रही है। यहां तक देखने को मिल रहा है कि जानवर अब स्वतंत्र रूप से जंगलो में बेफिक्र होकर विचरण कर रहे है। साथ ही कई प्रकार के जानवरों को शहरों में भी देखा जा रहा है। पानी साफ होने के कारण मछलियां समुद्र एवं नदियों के तट तक आ रही है। कई अन्य प्रकार के पक्षियों की चहचहाहट भी सुनने को मिल रही है। कोरोना के चलते अपराध दर में तेजी से गिरावट आई है। मैं यह नही कह रहा हूँ कि अपराध होना पूरी तरह से बंद हो गया है मगर मनुष्य के घरों में रहने के कारण काफी हद तक अपराध दर में कमी आयी है। मगर मेरे मन मे यह प्रश्न उठ रहा है कि यह सब कब तक रहेगा? क्योंकि आज नही तो कल इस कोरोना का अध्याय समाप्त हो ही जायेगा। मगर उसके बाद क्या...? कोरोना खत्म होने के बाद मनुष्य फिर से अपने स्वतंत्र स्वरूप में आ जायेगा और प्रकृति पुनः अपना अस्तित्व खोने लगेगी। अगर देखा जाए तो हम इंसान ही प्रकृति के असली दुश्मन है। क्योंकि हमारे ही कारण यह सब परेशानी उत्पन्न हुई है। प्रकृति ने हमें कई बार विभिन्न आपदाओं (भूकंप, सूनामी, क्लाइमेट चेंज) के द्वारा चेतावनी भी दी है। प्रकृति ने कई माध्यमों से अपनी पीड़ा हमारे समक्ष प्रस्तुत की मगर हमने इसे गंभीर रूप से नही लिया। मगर आज हमें यह सीख लेने की आवश्यकता है कि यदि हमने अब भी इसे गंभीर रूप से नही लिया तो हमें इसके घातक परिणाम देखने को मिल सकते है। हमें ज़रूरत है तो अपने स्वार्थ को त्यागने की। यदि हमने अपने स्वार्थ को नही त्यागा तो हमें प्रकृति के कई अन्य रौद्र रूपों का सामना करना पड़ सकता है। प्रकृति के लिये हम सभी को एकजुट एवं जागरूक होंने की आवश्यकता है। हमें अपनी जीवनशैली में कुछ महत्वपूर्ण बदलाव लाने होंगे, नही तो हमारा भविष्य खतरे में पड़ जायेगा। हम इस मुगालते में ना रहे कि मनुष्य के बिना पृथ्वी का कोई अस्तित्व नही है, क्योंकि मानव की उत्पत्ति के पहले भी पृथ्वी चल रही थी और मानव के समाप्त होने के बाद भी पृथ्वी का अस्तित्व बना रहेगा। आज भी सूरज अपने निर्धारित समय पर उगता है और डूबता है। चांद भी अपनी रोशनी बिखेर रहा है। नदियाँ, तालाब, समुद्र सब बह रहे है। जंगल, पहाड़, पर्वत, हवा सब अपने अपने स्थान पर स्थित है। प्रकृति अपना कार्य बखूबी कर रही है, तो हम क्यों उसे नष्ट करने पर तुले हुए है? आज यह समय है जब हमें प्रकृति के लिए कुछ करने की आवश्यकता है, नही तो हमें इसके खतरनाक परिणाम देखने को मिल सकते है।
Comments
Commerce
So very best note on corona
Commerce
Please take me more math questions
Hindi lang
Very good
hindi
very long niband
Hindi
But in this there is not a preface
Very great speech is given
Very great speech is given .to encourage people
Hindi lang
Very good thought for coron virus
Hindi lang
It is really excellent thought on corona virus I hope everyone liked it as best thought on corona virus if I say any thing that is best for you is less for me
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