शुध्द और अशुध्द

सन्त मत्ती के अनुसार सुसमाचार
15: 1-2, 10-14

येरूसालेम के कुछ फ़रीसी और शास्त्री किसी दिन ईसा के पास आये।

और यह बोले, "आपके शिष्य पुरखों की परम्परा क्यों तोड़ते हैं? वे तो बिना हाथ धोये रोटी खाते हैं।"

इसके बाद ईसा ने लोगों को पास बुला कर कहा, "तुम लोग मेरी बात सुनो और समझो।

जो मुहँ में आता है, वह मनुष्य को अशुद्ध करता है; बल्कि जो मुँह से निकलता है, वही मनुष्य को अशुद्ध करता है;

जो मुहँ में जाता है, वह मनुष्य को अशुद्ध नहीं करता है; बल्कि जो मुँह से निकलता है, वही मनुष्य को अशुद्ध करता है;

बाद में शिष्य आ कर ईसा से बोले, "क्या आप जानते हैं कि फ़रीसी आपकी बात सुन कर बहुत बुरा मान गये हैं?"

ईसा ने उत्तर दिया, "जो पौधा मेरे स्वर्गिक पिता ने नहीं रोपा है, वह उखाड़ा जायेगा।

उन्हें रहने दो; वे अन्धों के अंधे पथप्रदर्शक हैं। यदि अन्धा अन्धे को ले चले, तो दोनों ही गड्ढे में गिर जायेंगे।"

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