शास्त्रियों का पाखण्ड

सन्त मारकुस के अनुसार सुसमाचार
12: 38-44

38) ईसा ने शिक्षा देते समय कहा, "शास्त्रियों से सावधान रहो। लम्बे लबादे पहन कर टहलने जाना, बाज़ारों में प्रणाम-प्रणाम सुनना,

39) सभागृहों में प्रथम आसनों पर और भोजों में प्रथम स्थानों पर विराजमान होना- यह सब उन्हें बहुत पसन्द है।

40) वे विधवाओं की सम्पत्ति चट कर जाते और दिखावे के लिए लम्बी-लम्बी प्रार्थनाएँ करते हैं। उन लोगों को बड़ी कठोर दण्डाज्ञा मिलेगी।"

41) ईसा ख़जाने के सामने बैठ कर लोगों को उस में सिक्के डालते हुए देख रहे थे। बहुत-से धनी बहुत दे रहे थे।

42) एक कंगाल विधवा आयी और उसने दो अधेले अर्थात् एक पैसा डाल दिया।

43) इस पर ईसा ने अपने शिष्यों को बुला कर कहा, "मैं तुम से यह कहता हूँ - ख़जाने में पैसे डालने वालों में से इस विधवा ने सब से अधिक डाला है;

44) क्योंकि सब ने अपनी समृद्धि से कुछ डाला, परन्तु इसने तंगी में रहते हुए भी जीविका के लिए अपने पास जो कुछ था, वह सब दे डाला।"

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