योहन का भविष्य

सन्त योहन के अनुसार सुसमाचार
21: 20-25

20) पेत्रुस ने मुड़ कर उस शिष्य को पीछे पीछे आते देखा जिसे ईसा प्यार करते थे और जिसने व्यारी के समय उनकी छाती पर झुक कर पूछा था, ’प्रभु! वह कौन है, जो आप को पकड़वायेगा?’

21) पेत्रुस ने उसे देखकर ईसा से पूछा, "प्रभ! इनका क्या होगा?"

22) ईसा ने उसे उत्तर दिया, "यदि मैं चाहता हूँ कि यह मेरे आने तक रह जाये तो इस से तुम्हें क्या? तुम मेरा अनुसरण करो।"

23) इन शब्दों के कारण भाइयों में यह अफ़वाह फैल गयी कि वह शिष्य नहीं मरेगा। परन्तु ईसा ने यह नहीं कहा कि यह नहीं मरेगा; बल्कि यह कि ’यदि मैं चाहता हूँ कि यह मेरे आने तक रह जाये, तो इस से तुम्हें क्या?’

24) यह वही शिष्य है, जो इन बातों का साक्ष्य देता है और जिसने यह लिखा है। हम जानते हैं कि उसका साक्ष्य सत्य है।

25) ईसा ने और भी बहुत से कार्य किये। यदि एक-एक कर उनका वर्णन किया जाता तो मैं समझता हूँ कि जो पुस्तकें लिखी जाती, वे संसार भर में भी नहीं समा पातीं।

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